लखनऊ: राजधानी लखनऊ के जिला जेल में कैदियों के बीच मारपीट मामले की जांच डीआईजी ने पूरी कर ली है. जांच रिपोर्ट के अनुसार एक कैदी के पास नशीली दवाएं थी, जिसे लेकर मारपीट हुई थी. वहीं यह भी बताया जा रहा है कि घटना के समय जेल में मौजूद अन्य कैदी जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है. कैदियों और डॉक्टर आउट फार्मासिष्ट के बयान को रिपोर्ट में तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. बताया जाता है कि जांच रिपोर्ट में अस्पताल प्रशासन को दोषी ठहराया गया है.
बीते दिनों जेल अस्पताल में कैदी सईद ने एक अन्य कैदी अंशुमान पांडे को पैसे न देने पर ग्लूकोज चढ़ाने वाली रॉड से हमला कर घायल कर दिया था. जेल के डॉक्टर ने कई चोट इंजरी रजिस्टर पर दर्ज की थी और जेल से बाहर घायल कैदी की स्वास्थ्य जांच के लिए अधिकारियों के कहा था. बावजूद इसके जेल प्रशासन ने कैदी की जांच नहीं कराई.
कैदी अंशुमान पांडेय की मां का आरोप है कि उसके बेटे का इलाज लोहिया अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में चल रहा है. वही दवाएं जेल प्रशासन के पास थी. जेल प्रशासन ने बाहर से नशीली दवाएं लाकर बेटे के पास दिखा दी हैं. डीआईजी कारागार संजीव त्रिपाठी ने बताया कि नशे की गोलियों को लेकर कैदियों की बीच मारपीट हुई थी. कैदी के पास भारी मात्रा में नशीली दवाएं बरामद हुई हैं. आगे की कार्रवाई की जा रही है.