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किलिमंजारो और एलब्रुस की पूर्वा करेगी चढ़ाई, फिर आएगी एवरेस्ट की बारी

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पूर्वा धवन प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं. अब वह मिशन एवरेस्ट की तैयारियों में जुट गई हैं. मिशन एवरेस्ट में किलिमंजारो अफ्रीका और माउंट एलब्रुस विंटर्स की चढ़ाई शामिल है.

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प्रदेश की पहली पर्वातारोही.
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Published : Jan 22, 2020, 10:31 AM IST

Updated : Jan 22, 2020, 3:17 PM IST

लखनऊ: अक्सर मां-बाप के सपने बच्चे पूरा करते नजर आते हैं, लेकिन जब पिता भी अपना नाम एक मुकाम पर पहुंचा चुके हों तो बच्चे खुद-ब-खुद अपना नाम कमाने की राह पर आगे बढ़ जाते हैं. ऐसी ही एक 22 वर्षीय युवती पूर्वा धवन अपने सपनों की उड़ान भरने की तैयारी शुरू कर चुकी हैं. पूर्वा प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं.

प्रदेश की पहली सबसे कम उम्र पर्वतारोही
22 वर्षीय पूर्वा धवन 1 साल पहले यूरोप की एक टीम के साथ माउंट एलब्रुस पर चढ़ाई कर चुकी हैं. यूरोप के दल में शामिल होने वाली पूर्वा प्रदेश की एकमात्र लड़की थीं. अब वह मिशन एवरेस्ट 2021 की तैयारियों में जुट गई हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही.

परिवार ने आगे बढ़ने में दिया साथ
पूर्वा बताती हैं कि बचपन से ही उनको गर्दन में एक बीमारी थी, जिसकी वजह से गर्दन टेढ़ी थी और उन्हें 3 साल की उम्र से ही कई सर्जरीज का सामना करना पड़ा था. इस दौरान स्कूल में वह कई बार बुलिंग का शिकार भी हुईं, लेकिन स्कूल में उनके टीचर ने दूसरे क्लासेज में जाकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. जब उन्हें यह बात पता चली तो उनके अंदर जोश आया और उन्हें लगा कि उन्हें जिंदगी में आगे कुछ करना है. इसी के आगे जब एक दिन बैठे-बैठे पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के बारे में वह पढ़ रही थी तो उनके मन में ख्याल आया कि अरुणिमा के आगे उनकी परेशानियां कुछ भी नहीं हैं. इसके बाद वह पूर्वा की प्रेरणा बन गईं. अपने घर-परिवार के सामने जब पूर्वा ने पर्वतारोही बनने की बात कही तो सबसे पहला प्रोत्साहन उन्हें अपने पापा से मिला.
पिता ने दिया सबसे ज्यादा साथ
पूर्वा के पापा एके धवन खुद भी मोपेड से लेह लद्दाख तक का दौरा अपने नाम कर चुके हैं. ऐसे में वह कहते हैं कि मैंने अपनी बेटियों को पूरी छूट दे रखी है कि वह जो चाहे अपनी जिंदगी में कर सकती हैं. जब पूर्वा ने बताया कि वह पर्वतारोही बनना चाहती हैं तो मुझे लगा कि उसके सपने को आगे बढ़ाने के लिए यह सही कदम होगा और मैंने सबसे पहले उसके लिए हामी भरी.

दुर्घटना में घुटने की करानी पड़ी सर्जरी
पूर्वा कहती हैं कि पिछले दिनों वह एक दुर्घटना का शिकार हो गई, जिसमें उनके घुटने की सर्जरी करनी पड़ी. सर्जरी के बाद जब उन्होंने आंखें खोली तो डॉक्टर से सबसे पहला सवाल यही किया कि क्या वह पहाड़ चढ़ सकती हैं. डॉक्टरों के हामी भरने के बाद उन्हें दोबारा जोश आया और वह फिर से अपने माउंटेनियरिंग के सपने को पूरा करने में जुट गईं.

मिशन एवरेस्ट को पूरा करने की तैयारी
पूर्वा धवन अब तक यूरोप के माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करने वाले दल के साथ पर्वतारोही थीं और अब आगे वह मिशन एवरेस्ट की तैयारियों में जुट गई हैं. उनके आगे के मिशन में किलिमंजारो अफ्रीका और माउंट एलब्रुस विंटर्स की चढ़ाई शामिल है. इन दोनों के बाद पूर्वा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की ख्वाब देख रही हैं.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक, इन 14 प्रस्तावों को मिली मंजूरी

लखनऊ: अक्सर मां-बाप के सपने बच्चे पूरा करते नजर आते हैं, लेकिन जब पिता भी अपना नाम एक मुकाम पर पहुंचा चुके हों तो बच्चे खुद-ब-खुद अपना नाम कमाने की राह पर आगे बढ़ जाते हैं. ऐसी ही एक 22 वर्षीय युवती पूर्वा धवन अपने सपनों की उड़ान भरने की तैयारी शुरू कर चुकी हैं. पूर्वा प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं.

प्रदेश की पहली सबसे कम उम्र पर्वतारोही
22 वर्षीय पूर्वा धवन 1 साल पहले यूरोप की एक टीम के साथ माउंट एलब्रुस पर चढ़ाई कर चुकी हैं. यूरोप के दल में शामिल होने वाली पूर्वा प्रदेश की एकमात्र लड़की थीं. अब वह मिशन एवरेस्ट 2021 की तैयारियों में जुट गई हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.

प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही.

परिवार ने आगे बढ़ने में दिया साथ
पूर्वा बताती हैं कि बचपन से ही उनको गर्दन में एक बीमारी थी, जिसकी वजह से गर्दन टेढ़ी थी और उन्हें 3 साल की उम्र से ही कई सर्जरीज का सामना करना पड़ा था. इस दौरान स्कूल में वह कई बार बुलिंग का शिकार भी हुईं, लेकिन स्कूल में उनके टीचर ने दूसरे क्लासेज में जाकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही. जब उन्हें यह बात पता चली तो उनके अंदर जोश आया और उन्हें लगा कि उन्हें जिंदगी में आगे कुछ करना है. इसी के आगे जब एक दिन बैठे-बैठे पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के बारे में वह पढ़ रही थी तो उनके मन में ख्याल आया कि अरुणिमा के आगे उनकी परेशानियां कुछ भी नहीं हैं. इसके बाद वह पूर्वा की प्रेरणा बन गईं. अपने घर-परिवार के सामने जब पूर्वा ने पर्वतारोही बनने की बात कही तो सबसे पहला प्रोत्साहन उन्हें अपने पापा से मिला.
पिता ने दिया सबसे ज्यादा साथ
पूर्वा के पापा एके धवन खुद भी मोपेड से लेह लद्दाख तक का दौरा अपने नाम कर चुके हैं. ऐसे में वह कहते हैं कि मैंने अपनी बेटियों को पूरी छूट दे रखी है कि वह जो चाहे अपनी जिंदगी में कर सकती हैं. जब पूर्वा ने बताया कि वह पर्वतारोही बनना चाहती हैं तो मुझे लगा कि उसके सपने को आगे बढ़ाने के लिए यह सही कदम होगा और मैंने सबसे पहले उसके लिए हामी भरी.

दुर्घटना में घुटने की करानी पड़ी सर्जरी
पूर्वा कहती हैं कि पिछले दिनों वह एक दुर्घटना का शिकार हो गई, जिसमें उनके घुटने की सर्जरी करनी पड़ी. सर्जरी के बाद जब उन्होंने आंखें खोली तो डॉक्टर से सबसे पहला सवाल यही किया कि क्या वह पहाड़ चढ़ सकती हैं. डॉक्टरों के हामी भरने के बाद उन्हें दोबारा जोश आया और वह फिर से अपने माउंटेनियरिंग के सपने को पूरा करने में जुट गईं.

मिशन एवरेस्ट को पूरा करने की तैयारी
पूर्वा धवन अब तक यूरोप के माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करने वाले दल के साथ पर्वतारोही थीं और अब आगे वह मिशन एवरेस्ट की तैयारियों में जुट गई हैं. उनके आगे के मिशन में किलिमंजारो अफ्रीका और माउंट एलब्रुस विंटर्स की चढ़ाई शामिल है. इन दोनों के बाद पूर्वा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की ख्वाब देख रही हैं.

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Intro:लखनऊ। अक्सर मां-बाप के सपने बच्चे पूरा करते हुए नजर आते हैं लेकिन जब पिता भी अपना नाम एक मुकाम पर पहुंचा चुके हो तो बच्चे खुद ब खुद अपना नाम कमाने की राह पर आगे बढ़ा आते हैं। ऐसे ही एक 22 वर्षीय पूर्वा धवन अपने सपनों की उड़ान भरने की तैयारी शुरू कर चुकी है पूर्वा प्रदेश की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं।


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22 वर्षीय पूर्वा धवन 1 साल पहले यूरोप की एक टीम के साथ माउंट एलब्रुस पर चढ़ाई कर चुकी हैं। यूरोप के दल में शामिल होने वाली पूर्वा प्रदेश की एकमात्र लड़की थी। अब वह मिशन एवरेस्ट 2021 की तैयारियों में जुट गई है ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की।

पूर्वा बताती है कि बचपन से ही गर्दन में एक बीमारी थी जिसकी वजह से गर्दन टेढ़ी थी और उन्हें 3 साल की उम्र से ही कई सर्जरीज का सामना करना पड़ा था इस दौरान स्कूल में वह कई बार बुलिंग का शिकार भी हुई, लेकिन इसी स्कूल में उनके टीचर ने दूसरे क्लासेस में जाकर उनसे प्रेरणा लेने की बात कही। जब उन्हें यह बात पता चली तो उनके अंदर एक जोश आया और उन्हें लगा कि उन्हें जिंदगी में आगे कुछ करना है। इसी के आगे जब एक दिन बैठे बैठे पर्वतारोही अरुणिमा सिन्हा के बारे में बढ़ रही थी तो पूर्वा के मन में ख्याल आया कि अरुणिमा के आगे उनकी परेशानियां कुछ भी नहीं है और वही पूर्वा की प्रेरणा बन गई। अपने घर-परिवार में आकर जब पूर्व आने पर्वतारोही बनने के सपने को जताया तो सबसे पहला प्रोत्साहन उन्हें अपने पापा से मिला।

पूर्वा के पापा एके धवन खुद भी मोपेड से लेह लद्दाख तक का दौरा अपने नाम कर चुके हैं। ऐसे में वह कहते हैं कि मैंने अपनी बेटियों को पूरी छूट दे रखी है कि वह जो चाहे वह अपनी जिंदगी में कर सकती हैं। जब पूर्वा ने बताया कि वह पर्वतारोही बनना चाहती है तो मुझे लगा कि उसके सपने को आगे बढ़ाने के लिए यह सही कदम होगा और मैंने सबसे पहले उसके लिए हामी भरी।

पूरा कहती हैं कि पिछले दिनों वह एक दुर्घटना का शिकार हो गई जिसमें उनके घुटने की सर्जरी करनी पड़ी। सर्जरी के बाद जब उन्होंने आंखें खोली तो डॉक्टर से उन्होंने सबसे पहला सवाल यही किया कि क्या वह पहाड़ चढ़ सकती हैं। डॉक्टरों के हामी भरने के बाद उन्हें दोबारा जोश आया और वह फिर से अपने माउंटेनियरिंग के सपने को पूरा करने में जुट गई।

पूर्वा धवन अब तक यूरोप के माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करने वाले दल के साथ अकेली पर्वतारोही थी और अब आगे वह मिशन एवरेस्ट की तैयारियों में जुट गई हैं। उनके आगे के मिशन में किलिमंजारो अफ्रीका और माउंट एलब्रुस विंटर्स की चढ़ाई शामिल है। यह दोनों ही माउंट एवरेस्ट चढ़ने के सबसे दुर्गम रास्तों में से एक हैं जिन पर पूर्वा फतेह करना चाहती हैं।


Conclusion:अपने हमउम्र लोगों को संदेश देते हुए पूर्वा कहती हैं कि अपने सपने को पूरा करने में कभी भी थकना नहीं चाहिए और अपने अंदर के छोटे-छोटे पहाड़ों को जरूर चढ़ाना चाहिए, तभी बड़े पहाड़ को चल पाना मुमकिन होगा और तभी आपका लक्ष्य जो आपका सपना होगा वह पूरा हो सकेगा।

बाइट- पूर्वा धवन, पर्वतारोही
बाइट- एके धवन, पूर्वा के पिता

रामांशी मिश्रा
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Last Updated : Jan 22, 2020, 3:17 PM IST
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