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MOTHER'S DAY : कुएं के पानी की तरह पाक-साफ और मीठी होती हैं मां - शायर मुनव्वर राणा

मदर्स डे पर ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया की हर मां कुंए की पानी की तरह पाक-साफ और मीठी होती हैं.

ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राणा ने की खास बातचीत.
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Published : May 12, 2019, 7:47 PM IST

लखनऊ: 'घेर लेने को जब भी बलाएं आ गईं, ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं', मुनव्वर राणा की यह लाइन मदर्स डे की अहमियत समझाने के लिए बेहतर हैं. मदर्स डे पर ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया की हर मां कुएं की पानी की तरह पाक-साफ और मीठी होती हैं.

ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राणा ने की खास बातचीत.

ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने की खास बातचीत-

  • मुनव्वर राना ने उस दौर के अपने अनुभव साझा किए जब गजल को प्रेमी-प्रेमिका के लिए इस्तेमाल किया जाता था और उस वक्त उन्होंने किस तरह गजल में मां को शामिल किया.
  • जब उन्होंने मां पर गजल लिखी तो लोगों ने बहुत बुरा भला कहा क्योंकि गजल का मतलब ही प्रेमी-प्रेमिका के मोहब्बत को बताना है.
  • लोगों की परवाह किए बिना मां के मुकद्दस रिश्ते को शायरी और गजलों में लिखता चला गया.
  • संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मुनव्वर राना ने कुएं से मां के रिश्ते की परिभाषा भी समझाई.
  • वह कहते हैं कि जिस तरह कुएं का पानी पाक-साफ और मीठा होता है, उसी तरह दुनिया की हर मां भी पाक-साफ और मीठी होती हैं.

लखनऊ: 'घेर लेने को जब भी बलाएं आ गईं, ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं', मुनव्वर राणा की यह लाइन मदर्स डे की अहमियत समझाने के लिए बेहतर हैं. मदर्स डे पर ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया की हर मां कुएं की पानी की तरह पाक-साफ और मीठी होती हैं.

ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राणा ने की खास बातचीत.

ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने की खास बातचीत-

  • मुनव्वर राना ने उस दौर के अपने अनुभव साझा किए जब गजल को प्रेमी-प्रेमिका के लिए इस्तेमाल किया जाता था और उस वक्त उन्होंने किस तरह गजल में मां को शामिल किया.
  • जब उन्होंने मां पर गजल लिखी तो लोगों ने बहुत बुरा भला कहा क्योंकि गजल का मतलब ही प्रेमी-प्रेमिका के मोहब्बत को बताना है.
  • लोगों की परवाह किए बिना मां के मुकद्दस रिश्ते को शायरी और गजलों में लिखता चला गया.
  • संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मुनव्वर राना ने कुएं से मां के रिश्ते की परिभाषा भी समझाई.
  • वह कहते हैं कि जिस तरह कुएं का पानी पाक-साफ और मीठा होता है, उसी तरह दुनिया की हर मां भी पाक-साफ और मीठी होती हैं.
Intro:लखनऊ। 'घेर लेने को जब भी बलाएं आ गई, ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गई', मुनव्वर राणा की यह लाइनें मदर्स डे की अहमियत समझाने और बखूबी समझने के लिए बेहतरीन साबित होती हैं। अगर मदर्स डे की बात कही जाए तो उर्दू में मां की अहमियत और मां को मुनव्वर से अलग नहीं किया जा सकता। इस मदर्स डे पर मां की अहमियत को समझने और इसे गजलों में उतारने के लिए की गई मशक्कत को जानने के लिए हम पहुंचे शायर सैयद मुनव्वर अली राणा के पास।


Body:वीओ1
ईटीवी भारत संवाददाता रामांशी से बातचीत करते हुए राणा ने उस दौर के अपने अनुभव साझा किए जब गजल को प्रेमी प्रेमिका के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था और उन्होंने किस तरह ग़ज़ल में मां को शामिल किया।वह कहते हैं कि जब मैंने मां पर ग़ज़ल लिखी तो लोगों ने मुझे बहुत बुरा भला कहा क्योंकि गजल का मतलब ही प्रेमी प्रेमिका मोहब्बत को बताना है लेकिन मुझे लगा कि अगर एक आम औरत मेरी प्रेमिका बन सकती है तो मेरी मां मेरी मोहब्बत क्यों नहीं बन सकती और इसीलिए मैं लोगों की परवाह किए बिना मां के मुकद्दस रिश्ते को शायरी और ग़ज़लों में लिखता चला गया।

अभी संघर्ष के दिनों को याद करते हुए राणा ने कुएं से मां के रिश्ते की परिभाषा भी समझाई। वह कहते हैं कि जिस तरह कुएं का पानी पाक साफ और मीठा होता है उसी तरह दुनिया की हर माँ भी पाक साफ और मीठी होती हैं। इसके साथ ही राणा ने अपने और अपनी मां के रिश्ते को भी बेहद संजीदा तरीके से हमें बताया।


Conclusion:ईटीवी भारत संवाददात रामांशी से शायर मुनव्वर राणा की बातचीत का वन टू वन।
रामांशी मिश्रा
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