लखनऊ: 'घेर लेने को जब भी बलाएं आ गईं, ढाल बनकर सामने मां की दुआएं आ गईं', मुनव्वर राणा की यह लाइन मदर्स डे की अहमियत समझाने के लिए बेहतर हैं. मदर्स डे पर ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया की हर मां कुएं की पानी की तरह पाक-साफ और मीठी होती हैं.
ईटीवी भारत ने शायर मुनव्वर राना ने की खास बातचीत-
- मुनव्वर राना ने उस दौर के अपने अनुभव साझा किए जब गजल को प्रेमी-प्रेमिका के लिए इस्तेमाल किया जाता था और उस वक्त उन्होंने किस तरह गजल में मां को शामिल किया.
- जब उन्होंने मां पर गजल लिखी तो लोगों ने बहुत बुरा भला कहा क्योंकि गजल का मतलब ही प्रेमी-प्रेमिका के मोहब्बत को बताना है.
- लोगों की परवाह किए बिना मां के मुकद्दस रिश्ते को शायरी और गजलों में लिखता चला गया.
- संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मुनव्वर राना ने कुएं से मां के रिश्ते की परिभाषा भी समझाई.
- वह कहते हैं कि जिस तरह कुएं का पानी पाक-साफ और मीठा होता है, उसी तरह दुनिया की हर मां भी पाक-साफ और मीठी होती हैं.