लखनऊ : देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. सीएनजी भी काफी महंगी हो चुकी है. ऐसे में जहां आम आदमी के लिए गाड़ी चला पाना कठिन हो गया है. डीजल महंगा होने के कारण ट्रांसपोर्ट की दरें भी बढ़ गई हैं. यही नहीं सिंचाई महंगी होने से किसानों की कमर भी टूट रही है. इन सभी विषयों को लेकर ईटीवी भारत ने बात की प्रदेश की राजधानी लखनऊ आए केंद्रीय पेट्रोलियम, आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से.
पुरी भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी हैं. मोदी सरकार में वह स्वतंत्र प्रभार के मंत्री भी रह चुके हैं. पुरी के कामकाज से खुश होकर प्रधानमंत्री ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया और इसी वर्ष जुलाई में पेट्रोलियम जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का जिम्मा भी सौंपा. उड्डयन का जिम्मा संभाल चुके पुरी 2021 में कोरोना त्रासदी के दौरान 'वंदे भारत मिशन' को लेकर खासे चर्चा में थे. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
उत्पादन बढ़ाने का हो रहा प्रयास
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते मूल्यों पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ये बात सही है, लेकिन आप इसका कारण देखिए. कोरोना के कारण दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां एकदम बंद हो गई थीं. आर्थिक गतिविधियां बढ़ते-बढ़ते आज कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 78 डॉलर प्रति बैरल हैं. 2010 में कांग्रेस की सरकार ने पेट्रोल को डी-रेगुलर कर दिया. बढ़ते दामों पर नियंत्रण के लिए कांग्रेस ने 1 लाख 40 हजार करोड़ के ऑयल बॉड निकाले और 2020 से उसका भुगतान शुरू हुआ, जिसका ब्याज ही 20 हजार करोड़ सालाना बनता है. कीमतों पर नियंत्रण के लिए अभी हम जो प्रयास कर रहे हैं, उनमें जैव ईंधन का सम्मिश्रण बढ़ाना प्रमुख है. इसे 5 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक ले जाने का प्रयास है. हम उत्पादन भी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. मूल्यों को लेकर हम जहां भी अनुबंध कर रहे हैं, हमारी कोशिश है कि यह लंबे समय के लिए और स्थिरता के साथ हो. 85 प्रतिशत पेट्रोलियम पदार्थ हम बाहर से मंगाते हैं. यह स्थिति और गंभीर हो सकती है, यदि हम सावधानी से नहीं चले.
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महंगाई के बारे में राज्य सरकार से पूछिए
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ एक लीटर का 32 रुपये लेती है. इन्हीं 32 रुपयों से नब्बे करोड़ लोगों को तीन वक्त का खाना एक साल तक दिया. 90 करोड़ से अधिक वैक्सीन मुफ्त बांटीं. आवास योजना में 1 लाख 17 हजार घर स्वीकृत किए. महंगाई को लेकर तो आपको राज्य सरकार से पूछना चाहिए. हाल ही में जीएसटी काउंसिल में यह विषय लाया गया, किंतु कोई राज्य इसके लिए तैयार नहीं हुआ. हम चिंतित हैं और राज्य सरकारों से बात करेंगे.
उत्पादन बढ़ने से कीमतें कम होंगी
भविष्य में तेल के दामों को लेकर लोगों को कुछ राहत मिलने वाली है या नहीं. इस पर पुरी कहते हैं कि मैं आपकी बात मानने को तैयार नहीं हूं. ओपेक प्लस ने ज्यादा तेल मार्केट में लाने की बात कही है. उत्पादन बढ़ेगा तो कीमतें कम होंगी ही. हम अपने रिजर्व भी बढ़ा रहे हैं. हम और भी कदम उठा रहे हैं.
हर गरीब के लिए घर के संकल्प में मिली सफलता
प्रधानमंत्री हर गरीब के लिए घर का संकल्प लेकर काम कर रहे हैं. इस संकल्प को पूरा करने के लिए अब तक आपने क्या किया. इस सवाल पर पुरी कहते हैं कि सफलता मिली है. जब हमने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) पर काम शुरू किया था, उससे पहले उन्होंने डिमांड असेसमेंट की थी, शायद 1 करोड़ आवास स्वीकृत करने के लिए. इन घरों में हर एक मूलभूत सुविधा का ध्यान रखा गया. जब हमने डिमांड असिसमेंट रिवाइज किया जो यह 1 करोड़ 12 लाख हो गया. मैं गर्व से कह सकता हूं कि 1 करोड़ 13 लाख हमने पहले ही स्वीकृत कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश के आंकड़े कितने शानदार हैं. जून 2015 से प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू हुई है, तब से अखिलेश यादव की सरकार (2017 तक) मात्र 20 हजार आवास की डिमांड आई थी. अभी यहां 11 लाख आवास ग्राउंड हो गए हैं और 8 लाख दिए जा चुके हैं. यूपीए सरकार में 2004 से 2014 के बीच केंद्र की सभी योजनाओं पर 1 लाख 57 हजार करोड़ खर्च किए. मोदी जी की सरकार ने योजनाएं बनाई हैं. जून 2015 से आज तक 6 साल में 7 गुना बढ़कर केंद्रीय योजनाओं में 11 लाख 83 हजार करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.
लखीमपुर की घटना दुखद
लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना के विषय में पूछे जाने पर वह कहते हैं कि जो भी हुआ है, बहुत दुखद है. मैं समझता हूं कि मेहनती किसान राजपथ पर आकर अपने ट्रैक्टर को नहीं जलाता, वह अपनी फसल नहीं जलाता. लखीमपुर में जो हुआ है, उस पर मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि पूरी कार्रवाई होगी. जिन्होंने भी यह काम किया है, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी.