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'चिट्ठी तो लिख दिया है, पता क्या लिखे बिटिया, बाबुल ने शादी कर दिया मकान बेचकर' - uttar pradesh news

उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग (uttar pradesh transport department) के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश को देश-विदेश में मंचों पर काव्य पाठ का अवसर मिला है. उन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के जरिए समाज की तमाम विषमताओं पर चोट की है. उनके विषय में और जानने के लिए देखें पूरा साक्षात्कार...

कवि आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश का साक्षात्कार
कवि आईएएस अधिकारी डॉ. अखिलेश का साक्षात्कार
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Published : Sep 7, 2021, 9:06 PM IST

Updated : Sep 7, 2021, 10:27 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मिश्रा (poet ias akhilesh mishra) तामझाम से दूर लोगों में अपनी सुलभता और सादगी के लिए जाने जाते हैं. हालांकि सिर्फ यही उनकी पहचान नहीं है. पीलीभीत (Pilibhit) जिले के डीएम रहते उन्होंने गोमती के उद्गम स्थल माधोटांडा में नदी के पुनर्जीवन के लिए जो काम किया उसे लोग आज भी नहीं भूलते. यही नहीं वह एक मंचीय कवि और शायर भी हैं. प्रशासनिक दायित्वों के साथ वह इसके लिए समय कैसे निकाल पाते हैं? एक कवि या शायर के साथ वह समाज के विभिन्न विषयों को उठाने में न्याय कैसे कर पाते हैं? वह जिन सपनों को लेकर इस सेवा में आए थे, क्या वह पूरे हो पाए? इन्हीं विषयों पर हमने डॉ. अखिलेश मिश्रा से बातचीत की .

मूलरूप से बनारस के निवासी डॉ. मिश्रा की आरंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से हुई और उच्च शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से. प्रशासनिक सेवा में आने के बाद भी उनके व्यक्तित्व में एक बनारसी अंदाज और विद्रोही तेवर झलकता है. यह उनकी कविताओं में देखा जा सकता है.

डॉ. अखिलेश मिश्रा विशेष सचिव परिवहन विभाग से खास बातचीत



अब्दुल्ला बुखारी हों, ठाकरे हों तोगड़िया,
करते हो सियासत खुदा-भगवान बेचकर !
मुंशी, वकील, अहलम, ये हाकिम ये पेशकार,
हिस्सा बटेगा सबमें ये फरमान बेचकर !
चिट्ठी तो लिख दिया है, पता क्या लिखे बिटिया,
बाबुल ने शादी कर दिया मकान बेचकर...!



शायद यही कारण कि वह अब तक के सेवाकाल में 33 बार स्थानांतरण का सामना कर चुके हैं. वह कहते हैं कि जब आप किसी पद पर हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि जो गलत लगे उसका विरोध करें. जेनेटिक्स विषय में पीएचडी डॉ. मिश्रा ने बड़ी बेबाकी से न्याय व्यवस्था पर लिखा है...



अब कहां इस मुल्क में कातिल को फांसी हो रही है,
अब अदालत में खड़ी मूरत रुआसी हो रही है...!



एक लोक सेवक से अलहदा एक बेहतरीन कवि और उम्दा शायर अपने जीवन में हर जगह से अनुभव लेता है. शायद यही कारण है कि पिछले दिनों एक सब्जी की दुकान पर बैठे हुए उनकी फोटो वायरल हुई. सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने इसमें राजनीतिक रंग भी ढूंढ लिए. शायद उन्हें इल्म नहीं कि एक बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी का छोटी दुकान पर बैठना उसके व्यक्तित्व को कितना बड़ा बनाता है. अक्सर बड़े अधिकारियों में दंभ और रुआब होता है, पर वह इससे कोसों दूर हैं. शायद ऐसी जगहों से ही उन्हें गरीबी, बेबसी, धर्म और नारी के विषय में सच्ची कविता लिखने की प्रेरणा मिलती है.



ये मजहब है इसे पाकीजा रखिए
यूं फ़तवे ब-सबब जारी न कीजे..!
वो बिटिया है उसे जीने का हक है,
मुहब्बत में उजरदारी न कीजे..!

डॉ. अखिलेश को देश-विदेश में मंचों पर काव्य पाठ का अवसर मिला है. उन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के जरिए समाज की तमाम विषमताओं पर चोट की है. उनके विषय में और जानने के लिए देखें पूरा साक्षात्कार...

इसे भी पढ़ें-यूपी में टूरिज्म की असीम संभावनाएं, अयोध्या-काशी पर है विशेष फोकस: मुकेश मेश्राम

इसे भी पढ़ें-कुछ समय बाद लोग कहेंगे-अयोध्या जैसा कोई नहीं: प्रमुख सचिव पर्यटन व संस्कृति

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी डॉक्टर अखिलेश मिश्रा (poet ias akhilesh mishra) तामझाम से दूर लोगों में अपनी सुलभता और सादगी के लिए जाने जाते हैं. हालांकि सिर्फ यही उनकी पहचान नहीं है. पीलीभीत (Pilibhit) जिले के डीएम रहते उन्होंने गोमती के उद्गम स्थल माधोटांडा में नदी के पुनर्जीवन के लिए जो काम किया उसे लोग आज भी नहीं भूलते. यही नहीं वह एक मंचीय कवि और शायर भी हैं. प्रशासनिक दायित्वों के साथ वह इसके लिए समय कैसे निकाल पाते हैं? एक कवि या शायर के साथ वह समाज के विभिन्न विषयों को उठाने में न्याय कैसे कर पाते हैं? वह जिन सपनों को लेकर इस सेवा में आए थे, क्या वह पूरे हो पाए? इन्हीं विषयों पर हमने डॉ. अखिलेश मिश्रा से बातचीत की .

मूलरूप से बनारस के निवासी डॉ. मिश्रा की आरंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय से हुई और उच्च शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से. प्रशासनिक सेवा में आने के बाद भी उनके व्यक्तित्व में एक बनारसी अंदाज और विद्रोही तेवर झलकता है. यह उनकी कविताओं में देखा जा सकता है.

डॉ. अखिलेश मिश्रा विशेष सचिव परिवहन विभाग से खास बातचीत



अब्दुल्ला बुखारी हों, ठाकरे हों तोगड़िया,
करते हो सियासत खुदा-भगवान बेचकर !
मुंशी, वकील, अहलम, ये हाकिम ये पेशकार,
हिस्सा बटेगा सबमें ये फरमान बेचकर !
चिट्ठी तो लिख दिया है, पता क्या लिखे बिटिया,
बाबुल ने शादी कर दिया मकान बेचकर...!



शायद यही कारण कि वह अब तक के सेवाकाल में 33 बार स्थानांतरण का सामना कर चुके हैं. वह कहते हैं कि जब आप किसी पद पर हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि जो गलत लगे उसका विरोध करें. जेनेटिक्स विषय में पीएचडी डॉ. मिश्रा ने बड़ी बेबाकी से न्याय व्यवस्था पर लिखा है...



अब कहां इस मुल्क में कातिल को फांसी हो रही है,
अब अदालत में खड़ी मूरत रुआसी हो रही है...!



एक लोक सेवक से अलहदा एक बेहतरीन कवि और उम्दा शायर अपने जीवन में हर जगह से अनुभव लेता है. शायद यही कारण है कि पिछले दिनों एक सब्जी की दुकान पर बैठे हुए उनकी फोटो वायरल हुई. सोशल मीडिया में कुछ लोगों ने इसमें राजनीतिक रंग भी ढूंढ लिए. शायद उन्हें इल्म नहीं कि एक बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी का छोटी दुकान पर बैठना उसके व्यक्तित्व को कितना बड़ा बनाता है. अक्सर बड़े अधिकारियों में दंभ और रुआब होता है, पर वह इससे कोसों दूर हैं. शायद ऐसी जगहों से ही उन्हें गरीबी, बेबसी, धर्म और नारी के विषय में सच्ची कविता लिखने की प्रेरणा मिलती है.



ये मजहब है इसे पाकीजा रखिए
यूं फ़तवे ब-सबब जारी न कीजे..!
वो बिटिया है उसे जीने का हक है,
मुहब्बत में उजरदारी न कीजे..!

डॉ. अखिलेश को देश-विदेश में मंचों पर काव्य पाठ का अवसर मिला है. उन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के जरिए समाज की तमाम विषमताओं पर चोट की है. उनके विषय में और जानने के लिए देखें पूरा साक्षात्कार...

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Last Updated : Sep 7, 2021, 10:27 PM IST
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