लखनऊ: आज यानी 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकना है. अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस पर महिलाओं पर की जाने वाली हिंसा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है.
अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाने की वजह
सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी भारत में महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. महिलाओं को घर के साथ ही बाहर भी शारीरिक और मानसिक यातनाओं का सामना करना पड़ता है. महिलाओं के लिए घर हो या ऑफिस, हर जगह दहलीज तय कर दी गई है. उन्हें समाज ने ऐसे बंधनों में बांध दिया है, जिसे न चाहते हुए भी निभाना उनकी मजबूरी बन गई है. इस बढ़ते भेदभाव को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस पर रोक लगाने के लिए 25 नवंबर का दिन अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में घोषित किया था.
सरकार महिलाओं को हिंसामुक्त करने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इसके बावजूद भी महिलाओं के साथ हिंसा और अपराध के प्रति घंटे लगभग 26 अपराध दर्ज किए जाते हैं. वहीं अगर एक रिपोर्ट की मानें तो 70 फीसदी महिलाओं को अपने जीवन में कभी न कभी शारीरिक अथवा मानसिक शोषण का सामना करना पड़ता है
महज किताबी महसूस होती हैं महिला सशक्तिकरण की बातें
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक पिता, भाई और पति का चिंतित होना न केवल समाज के लिए शर्मनाक है, बल्कि यह हमारी सोच पर भी कई सवालिया निशान खड़ा करता है. बेटी है तो कल है, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटियां अनमोल हैं... ये सभी बातें तभी हमें और हमारी समाज को शोभा देंगी, जब हम उनकी कद्र करने लगेंगे.
क्यों न हम आज अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के दिन यह संकल्प लें कि अपनी बेटियों और बहन-बहुओं को ऐसा माहौल देंगे, जिसमें उन्हें असुरक्षा की भावना पैदा ही न हो. इसके साथ ही क्यों न हम ऐसा वातावरण दें कि वे खुलकर जीने की आजादी महसूस कर सकें और फिर कभी अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस न मनाना पड़े.