लखनऊ: बीते अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहर में 18 पिंक टॉयलेट का लोकार्पण किया था, लेकिन सरकारी अफसरों और पिंक टॉयलेट का निर्माण करने वाली एजेंसी की अनदेखी से अब इन पिंक टॉयलेटों का हाल बुरा है. इस विषय में जब नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से बात की तो वह मुंह छिपाकर निकल गए.
खास बात यह है कि 18 पिंक टॉयलेट का लोकार्पण किया गया था. इसमें से सिर्फ 12 पिंक टॉयलेट का ही संचालन हो रहा था, लेकिन मौजूदा समय में भी या तो किसी टॉयलेट पर ताला लटका है या फिर साफ-सफाई व पानी नहीं आने की समस्या है. ऐसे में इन पिंक पायलटों का उपयोग भी महिलाएं नहीं कर रही हैं.
डूडा द्वारा पिंक टॉयलेट पर महिलाकर्मियों की तैनाती भी की गई थी, लेकिन समय से भुगतान नहीं मिलने पर उन महिलाओं ने भी नौकरी छोड़ दी. ईटीवी भारत की टीम ने शहर के चार पिंक टॉयलेट की पड़ताल की. इसमें केसरबाग, परिवर्तन चौक, 1090 और हजरतगंज पिंक टॉयलेट शामिल हैं.
पिंक टॉयलेट के विषय के जब महिलाओं से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा है कि इतने गंदे टॉयलेट में कौन जाएगा. न तो यहां पर साफ-सफाई होती है और न ही यहां पर पानी आता है. ऐसे में बहुत इमरजेंसी होने पर ही महिलाएं जाती होंगी. पिंक टॉयलेट में तैनात महिला कर्मचारी ने बताया कि यहां की स्थिति बहुत खराब है. सफाई कर्मचारी नहीं है, बिजली नहीं है, पानी नहीं है, सैनेटरी नेपकीन नहीं है, साफ-सफाई के नाम पर कुछ नहीं है. यहां तक कि बीते सात महीने से पिंक टॉयलेट में मौजूद महिला कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली है.
गंदी है टॉयलेट सीट, नहीं आ रहा पानी
ईटीवी भारत की पड़ताल में यह पाया गया कि शहर के कुछ पिंक टॉयलेट खुले हैं, लेकिन यहां की स्थिति बेहद खराब है. तीन दिन में एक बार यहां साफ-सफाई होती है, जोकि महिला कर्मचारी स्वंय पैसे देकर करवाती हैं. महिला कर्मचारियों ने बताया कि पिंक टॉयलेट यहां पर खोल दिए गए हैं, लेकिन रख-रखाव ठीक नहीं है. यहां तक कि यहां पर कोई भी सामान की जरूरत पड़ती है तो कर्मचारी अपनी जेब से लगाते हैं. बीते सात महीनों से इनको वेतन नहीं मिला हैं.
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मीटर लगा है, लेकिन कनेक्शन नहीं
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 12 पिंक टॉयलेट का लोकार्पण किया गया था. इसमें से कुछ ही चल रहे हैं. जो चल रहे हैं उनकी स्थिति भी खराब है. पिंक टॉयलेट पर मौजूद महिला कर्मचारी ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले ही मीटर तो लगा दिया गया, लेकिन रिचार्ज नहीं किया गया है. इसका कनेक्शन बिजली विभाग से नहीं हुआ है. यहां तक की बिजली विभाग के कर्मचारी भी कह-कहकर थक गए हैं कि भैया एक बार रिचार्ज तो करवा लो. वहीं, बीच सड़क पर पिंक टॉयलेट होने की वजह से बगल की पुलिस चौकी से कटिया फंसाकर बिजली की व्यवस्था की जाती है. बिजली की चोरी नगर निगम की ओर से होने लगी है, तो आम पब्लिक की बात ही अलग है.
जिम्मेदार का क्या है कहना
डूडा के अधिकारी रामपाल और कालरा ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है. इसमें पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की है. मेयर और अपर नगर आयुक्त का सबसे बड़ा रोल है. हमसे कोई लेना-देना नहीं है. नगर निगम की ओर से ही हमसे कुछ महिला कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए कहा गया था. बाकी नगर निगम के उच्च अधिकारी जानें.
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