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मानव हित में प्लाज्मा साइंस का अहम योगदानः वैज्ञानिक

लखनऊ विश्वविद्यालय में प्लाज्मा साइंस और इसके विभिन्न आयामों पर चर्चा के लिए तीन दिवसीय 12वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें देश-विदेश के साइंटिस्ट शामिल हो रहे हैं. इसका थीम 'मानवता के हित में प्लाज्मा साइंस का योगदान' रखा गया है.

लखनऊ विश्वविद्यालय में 12वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन.
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Published : Nov 12, 2019, 4:10 PM IST

लखनऊ. लखनऊ विश्वविद्यालय में सोमवार को प्लाज्मा साइंस और इसके आयामों पर चर्चा के लिए 12वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. यह तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस 13 नवंबर तक चलेगा. आयोजन के आयोजक प्रो. पुनीत कुमार ने बताया कि यह आयोजन पहली बार भारत में हो रहा है. इसमें दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया है. इस कॉन्फ्रेंस की थीम 'मानवता के हित में प्लाज्मा साइंस का योगदान' रखा गया है.

मानव हित में प्लाज्मा साइंस का अहम योगदानः वैज्ञानिक.

प्रो. पुनीत कुमार ने बताया कि प्लाज्मा साइंस हमारे जीवन का काफी गहरा हिस्सा बनता जा रहा है. विज्ञान में तमाम ऐसे शोध होते रहते हैं, जो हमारे आम जीवन को सरल बनाने के काम आते हैं. विज्ञान में हर दिन, हर पल नए-नए रिसर्च होते रहते हैं और उन पर तमाम चर्चाएं भी होती हैं. ऐसे में भारत में पहली बार प्लाज्मा साइंस और उसके विभिन्न आयामों पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर, पंजाब से आई रिसर्च स्कॉलर सुनिधि ने बताया कि प्लाज्मा साइंस सिर्फ धरती पर ही नहीं, बल्कि सौरमंडल में भी अपना काम कर रहा है. इस पर हम रिसर्च कर रहे हैं. यहां पोस्टर प्रेजेंटेशन में भाग लेने आई हूं. इसमें हमें बताया गया कि गैलेक्सी में जब किसी भी तरह का सॉलिटन किसी दूसरे सॉलिटन से टकराता है तो उसकी एनर्जी में तो चेंज आता है, लेकिन स्ट्रक्चर में कोई चेंज नहीं आता. ऐसे ही कई तरह के पहलू हमने अपने पोस्टर में दिखाने की कोशिश की है.

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, विशिष्ट अतिथि के रूप में एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक और सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अविनाश खरे मौजूद रहे. इनके अलावा रशिया से आए प्रो. ए वी किम और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के प्रो. एट ऑस्टिन, यूएसए से आए प्रो. स्वदेश महाजन आदि उपस्थित रहे.

प्लाज्मा रिसर्च के तमाम आयाम हैं, जो हमारे आसपास मौजूद हैं. जिन पर दिन प्रतिदिन हम काम भी करते आ रहे हैं. टीवी. कम्प्यूटर और मोबाइल फोन में प्लाज्मा इस्तेमाल होने के बाद अब प्लाज्मा के मेडिसिनल वैल्यू भी सामने आ रही हैं. कृषि में भी इसके इस्तेमाल पर बात की जा रही है. खेती में प्लाज्मा के इस्तेमाल से कीटनाशकों और कृमिनाशकों के उपयोग में कमी की जा रही है, ताकि मानव शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके. इन्हीं आयामों पर हम चर्चा कर रहे हैं, जो हमारे लिए बेहद जरूरी है.
-सर्वेश्वर शर्मा, साइंटिस्ट, इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च

लखनऊ. लखनऊ विश्वविद्यालय में सोमवार को प्लाज्मा साइंस और इसके आयामों पर चर्चा के लिए 12वीं अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. यह तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस 13 नवंबर तक चलेगा. आयोजन के आयोजक प्रो. पुनीत कुमार ने बताया कि यह आयोजन पहली बार भारत में हो रहा है. इसमें दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया है. इस कॉन्फ्रेंस की थीम 'मानवता के हित में प्लाज्मा साइंस का योगदान' रखा गया है.

मानव हित में प्लाज्मा साइंस का अहम योगदानः वैज्ञानिक.

प्रो. पुनीत कुमार ने बताया कि प्लाज्मा साइंस हमारे जीवन का काफी गहरा हिस्सा बनता जा रहा है. विज्ञान में तमाम ऐसे शोध होते रहते हैं, जो हमारे आम जीवन को सरल बनाने के काम आते हैं. विज्ञान में हर दिन, हर पल नए-नए रिसर्च होते रहते हैं और उन पर तमाम चर्चाएं भी होती हैं. ऐसे में भारत में पहली बार प्लाज्मा साइंस और उसके विभिन्न आयामों पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.

गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर, पंजाब से आई रिसर्च स्कॉलर सुनिधि ने बताया कि प्लाज्मा साइंस सिर्फ धरती पर ही नहीं, बल्कि सौरमंडल में भी अपना काम कर रहा है. इस पर हम रिसर्च कर रहे हैं. यहां पोस्टर प्रेजेंटेशन में भाग लेने आई हूं. इसमें हमें बताया गया कि गैलेक्सी में जब किसी भी तरह का सॉलिटन किसी दूसरे सॉलिटन से टकराता है तो उसकी एनर्जी में तो चेंज आता है, लेकिन स्ट्रक्चर में कोई चेंज नहीं आता. ऐसे ही कई तरह के पहलू हमने अपने पोस्टर में दिखाने की कोशिश की है.

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक, विशिष्ट अतिथि के रूप में एकेटीयू के कुलपति प्रो. विनय पाठक और सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अविनाश खरे मौजूद रहे. इनके अलावा रशिया से आए प्रो. ए वी किम और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के प्रो. एट ऑस्टिन, यूएसए से आए प्रो. स्वदेश महाजन आदि उपस्थित रहे.

प्लाज्मा रिसर्च के तमाम आयाम हैं, जो हमारे आसपास मौजूद हैं. जिन पर दिन प्रतिदिन हम काम भी करते आ रहे हैं. टीवी. कम्प्यूटर और मोबाइल फोन में प्लाज्मा इस्तेमाल होने के बाद अब प्लाज्मा के मेडिसिनल वैल्यू भी सामने आ रही हैं. कृषि में भी इसके इस्तेमाल पर बात की जा रही है. खेती में प्लाज्मा के इस्तेमाल से कीटनाशकों और कृमिनाशकों के उपयोग में कमी की जा रही है, ताकि मानव शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके. इन्हीं आयामों पर हम चर्चा कर रहे हैं, जो हमारे लिए बेहद जरूरी है.
-सर्वेश्वर शर्मा, साइंटिस्ट, इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च

Intro:लखनऊ। विज्ञान में तमाम ऐसे शोध होते रहते हैं जो हमारे आम जीवन को सरल बनाने के काम आते हैं। विज्ञान में हर दिन, हर पल नए-नए रिसर्च होते रहते हैं और उन पर तमाम चर्चाएं भी होती हैं। ऐसे में भारत में पहली बार प्लाज्मा साइंस और उसके विभिन्न आयामों पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित हुई इस कॉन्फ्रेंस की थीम 'मानवता के हित में प्लाज्मा साइंस का योगदान' रखा गया है।


Body:वीओ1 प्लाज्मा साइंस और इसके आयामों पर आयोजित हुई 12वीं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित किया गया था। इस आयोजन के ऑर्गेनाइजर और चेयर कर रहे प्रोफेसर पुनीत कुमार ने बताया कि यह आयोजन पहली बार भारत में हो रहा है और खास बात यह है कि लखनऊ में इस आयोजन में दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा साइंस हमारे जीवन का काफी गहरा हिस्सा बनता जा रहा है तमाम ऐसी चीजों में प्लाज्मा नहीं रिप्लेसमेंट किया है जिनसे किसी ना किसी तरह का वेस्ट मटेरियल निकलता था और इसी के विभिन्न आयामों पर बात करने के लिए आज से अगले 3 दिनों तक हम इकट्ठा हुए हैं। इंस्टीट्यूट फॉर प्लाजमा रिसर्च के वैज्ञानिक सर्वेश्वर शर्मा कहते हैं कि प्लाज्मा रिसर्च के तमाम आयाम हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं और जिन पर दिन प्रतिदिन हम काम भी करते आ रहे हैं। सबसे अच्छी बात यह होती है कि प्लाज्मा फिजिक्स कि कोई भी वस्तु का कोई अवशेष नहीं रह जाता। टीवी कंप्यूटर और मोबाइल फोंस में प्लाज्मा इस्तेमाल होने के बाद अब प्लाज्मा के मेडिसिनल वैल्यू भी सामने आ रही हैं और कृषि में भी इसका इस्तेमाल पर बात की जा रही है। खेती में प्लाज्मा के इस्तेमाल से कीटनाशकों और कृमिनाशको के उपयोग में कमी की जा रही है ताकि इसका नकारात्मक प्रभाव मानव शरीर पर कम किया जा सके। इन्हीं आयामों पर हम चर्चा कर रहे हैं जो हमारे लिए बेहद जरूरी है। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर पंजाब से आई रिसर्च स्कॉलर सुनिधि कहती हैं कि प्लाज्मा साइंस सिर्फ धरती पर ही नहीं बल्कि सौरमंडल में भी अपना काम कर रहा है और इस पर रिसर्च हम कर रहे हैं। प्लाज्मा साइंस के तहत सुनिधि यहां पर पोस्टर प्रेजेंटेशन में भाग लेने आई हैं। अपने पोस्टर के बारे में सुनिधि ने बताया कि मेरे पोस्टर में यह बताया गया है कि गैलेक्सी में जब किसी भी तरह का सॉलिटन किसी दूसरे सॉलिटन से टकराता है तो उसकी एनर्जी में तो चेंज आ जाता है लेकिन इसके स्ट्रक्चर में चेंज नहीं आता और इसके कई तरह के पहलू मैंने अपने पोस्टर में दिखाने की कोशिश की है।


Conclusion:इस आयोजन के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के विधि और न्याय मंत्री बृजेश पाठक मौजूद रहे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक और सिक्किम सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अविनाश खरे भी मौजूद रहे। इन सभी के साथ-साथ रशिया से आए प्रोफेसर ए वी किम और यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन, यूएसए से आए प्रोफेसर स्वदेश महाजन भी उसका हिस्सा रहे। बाइट- डॉ पुनीत कुमार, प्रोफेसर, फिजिक्स डिपार्टमेंट, लखनऊ विश्वविद्यालय बाइट- सर्वेश्वर शर्मा, इंस्टीट्यूट फॉर प्लाजमा रिसर्च , वैज्ञानिक बाइट- सुनिधि, रिसर्च स्कॉलर, अमृतसर, पंजाब रामांशी मिश्रा
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