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रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार दारोगा को नहीं मिली जमानत

लखनऊ के चिनहट में 7 जून को दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. इस मामले में चिनहट थाने के दारोगा प्रदीप कुमार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. कोर्ट ने आरोपी दारोगा की जमानत अर्जी रद्द कर दी है.

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Published : Jul 29, 2022, 6:49 PM IST

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दरोगा को जमानत से इंकार

लखनऊः रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किए गए चिनहट थाने के दारोगा प्रदीप कुमार यादव की कोर्ट ने जमानत अर्जी रद्द कर दी है. मारपीट के एक मामले में मुकदमे की धाराएं बढ़ाने के लिए दारोगा को 5000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. दारोगा प्रदीप कुमार यादव की जमानत अर्जी को भृष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश ने खारिज किया है.

आरोपी दरोगा प्रदीप कुमार की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मी है, उसके ऊपर समाज में अपराध रोकने क दायित्व है. लेकिन जब अनुशासित बल का अधिकारी खुद ही ऐसा अपराध करने लगे, जो गंभीर प्रकृति का हो और भ्रष्टाचार हो तो ऐसे पुलिस अधिकारी के लिए नियमो को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए.

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सरकारी वकील लक्ष्मी पांडेय और ज्वाला प्रसाद शर्मा ने बताया कि इस मामले की रिपोर्ट भ्रष्टाचार निवारण संगठन के निरीक्षक ने 15 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि मामले की मनोज कुमार मिश्र ने शिकायत की थी. रिपोर्ट ने कहा गया था कि मनोज से मोहित कुमार मिश्रा ने घर के अंदर मारपीट और गाली-गलौज किया था. जिसकी रिपोर्ट चिनहट थाने में 7 जून को दर्ज कराई गई थी.

इस मामले के विवेचक प्रदीप कुमार यादव ने विरोधियो से पैसे लेकर एक आरोपी को नामजद नहीं किया. शिकायत में यह भी कहा गया कि आरोपी दरोगा शिकायतकर्ता के घर आया और मामले में धारा बढ़ाने के लिए 500 रुपये रिश्वत की मांग की. इस शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने आरोपी दारोगा को थाने के अंदर 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

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लखनऊः रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किए गए चिनहट थाने के दारोगा प्रदीप कुमार यादव की कोर्ट ने जमानत अर्जी रद्द कर दी है. मारपीट के एक मामले में मुकदमे की धाराएं बढ़ाने के लिए दारोगा को 5000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था. दारोगा प्रदीप कुमार यादव की जमानत अर्जी को भृष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश ने खारिज किया है.

आरोपी दरोगा प्रदीप कुमार की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मी है, उसके ऊपर समाज में अपराध रोकने क दायित्व है. लेकिन जब अनुशासित बल का अधिकारी खुद ही ऐसा अपराध करने लगे, जो गंभीर प्रकृति का हो और भ्रष्टाचार हो तो ऐसे पुलिस अधिकारी के लिए नियमो को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए.

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सरकारी वकील लक्ष्मी पांडेय और ज्वाला प्रसाद शर्मा ने बताया कि इस मामले की रिपोर्ट भ्रष्टाचार निवारण संगठन के निरीक्षक ने 15 जून को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि मामले की मनोज कुमार मिश्र ने शिकायत की थी. रिपोर्ट ने कहा गया था कि मनोज से मोहित कुमार मिश्रा ने घर के अंदर मारपीट और गाली-गलौज किया था. जिसकी रिपोर्ट चिनहट थाने में 7 जून को दर्ज कराई गई थी.

इस मामले के विवेचक प्रदीप कुमार यादव ने विरोधियो से पैसे लेकर एक आरोपी को नामजद नहीं किया. शिकायत में यह भी कहा गया कि आरोपी दरोगा शिकायतकर्ता के घर आया और मामले में धारा बढ़ाने के लिए 500 रुपये रिश्वत की मांग की. इस शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने आरोपी दारोगा को थाने के अंदर 5000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.

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