लखनऊ: हत्या के प्रयास के एक मामले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने भाजपा विधायक की चिठ्ठी पर आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बावजूद विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दिया. न्यायमूर्ति शबीहुल हसनैन और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने भवानी फेर दूबे की याचिका पर दिया.
मामले की विवेचना हाईकोर्ट के ही आदेश पर जीआरपी के एसपी की निगरानी में हुई थी. याची की ओर से कहा गया था कि उसका बेटा स्लीपर क्लास में ट्रेन से यात्रा कर रहा था, लेकिन उसके पास जनरल क्लास का टिकट था. चेकिंग के दौरान टीटीई अनिल कुमार सिंह ने उससे टिकट मांगा तो उसने सारी परिस्थिति बताकर फाइन भरने की बात कही.
जानें क्या था पूरा मामला-
- हत्या के प्रयास के मामले में गृह विभाग के विशेष सचिव ने आरोप पत्र दाखिल किया था.
- आरोप पत्र दाखिल हो जाने के बावजूद विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दी गई थी.
- ट्रायल कोर्ट को यह आदेश भी दिया गया है कि मामले की सुनवाई शीघ्रता से पूरी की जाए.
- साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन निर्देशों का ट्रायल कोर्ट सख्ती से पालन करे.
याचिका में कहा गया कि आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बावजूद अभियुक्त को लाभ पहुंचाने की नियत से विशेष सचिव ने भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह के कहने पर 19 जून 2018 को केस विवेचना के लिए सीबीसीआईडी के सौंप दिया गया. हालांकि न्यायालय ने 23 जुलाई 2018 को ही विवेचना ट्रांसफर किये जाने पर रोक लगा दी थी. मामले पर अब अंतिम निर्णय देते हुए न्यायालय ने कहा है कि विवेचना ट्रांसफर किये जाने का आदेश गलत था लिहाजा इसे खारिज किया जाता है.