लखनऊ: आत्मनिर्भर भारत के सपने को चुनौती मानकर यूपी का एमएसएमई सेक्टर उत्पादन की श्रेष्ठता की दौड़ में शामिल हो चुका है. केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, लेकिन इसका फायदा उद्यमियों को मिलता दिखाई नहीं दे रहा है. वहीं लाॅकडाउन के दौरान बिजली का फिक्स चार्ज और बैंक कर्ज का ब्याज भी एमएसएमई सेक्टर को चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में उद्यमियों की परेशानियां बढ़ गई हैं और उन्होंने प्रदेश सरकार से राहत की मांग की है.
प्रदेश में है एमएसएमई की 90 लाख यूनिट, अकेले राजधानी में 45977
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र में यूपी देश में तीन सालों से पहने नंबर पर है. पूरे प्रदेश में एमएसएमई की कुल 90 लाख यूनिट हैं. इनमें से राजधानी लखनऊ में कुल 45977 यूनिट हैं, जिनमें से 8836 यूनिट सरकारी दस्तावेज में दर्ज हैं और इनमें करीब 46 हजार कामगार काम करते हैं. लाॅकडाउन का सीधा असर इन इकाइयों पर पड़ा है. लाॅकडाउन के कारण काम बंद होने की वजह से इन इकाइयों में काम करने वाले कामगार अपने घरों की ओर पलायन कर गए. इससे कोरोबार की गतिविधियां बहुत ही कम हो गईं और मुनाफा घाटे में बदल गया.
वहीं लाॅकडान में काम बंद होने के दौरान भी उद्यमियों को बिजली का फिक्स चार्ज और बैंक कर्ज ब्याज सहित चुकाना पड़ रहा है. ऐसे में उद्यमियों की परेशानियां बढ़ गई हैं. फेब्रिकेशन वर्क में विदेश में अपनी पहचान बना चुके लखनऊ के उद्यमी अनिल अग्रवाल ने बताया कि दो महीने से ज्यादा समय तक कारखाना बंद था. उन्होंने बताया कि इस दौरान भी ढाई लाख रुपये बिजली बिल का फिक्स चार्ज चुकाया. वहीं बैंक ने भी कर्ज की किस्त ब्याज सहित समय पर ली.
एमएसएमई फीस के नाम पर बैंक ने वसूले साढ़े छह लाख रुपये
अनिल अग्रवाल ने बताया कि इतना ही नहीं बैंक ने एमएसएमई फीस के नाम पर साढ़े छह लाख रुपये वसूला है. उन्होंने बताया कि यह उद्यमियों के लिए लाॅकडाउन के दौरान की मार है. उद्यमियों ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर की समस्या को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से प्रदेश सरकार के समक्ष रखा गया है. संस्था के को-चेयरमैन मनीष खेमका ने बताया कि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और उद्योग मंत्री सतीश महाना के साथ वेबीनार में उद्यमियों ने यह समस्या उठाई थी. उन्होंने कहा कि उम्मीद है सरकार सकारात्मक कदम उठाएगी.
समस्याओं के समाधान के लिए किया जा रहा प्रयास
उपायुक्त उद्योग मनोज चौरसिया ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर की समस्याओं का समाधान करने के लिए लगातार प्रसाय किया जा रहा है. एमएसएमई विभाग के कामकाज का दायरा उद्यमियों के उत्पाद की मार्केटिंग, उत्पादन में कच्चे माल की उपलब्धता और बैंकिंग सुविधा दिलाने तक ही सीमित है. उन्होंने बताया कि उद्यमियों को कारोबार करने में किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने की जिम्मेदारी भी उद्योग विभाग के अधिकारियों पर है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब उद्यमियों की छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाएगा, तो वह किस तरह से कामगारों को रोजगार दे पाएंगे.
लखनऊ में एमएसएमई कुल इकाइयां
कृषि आधारित- 232, सोडा वाटर- 8 और 4 कॉटन टैक्सटाइल की इकाइयां हैं. वहीं वूल एंड सिल्क-1, जूट की- 3, रेडीमेड गारमेंट- 3808, काष्ठ आधारित इंडस्ट्री- 27, पेपर प्रोडक्ट- 296, चमड़ा उत्पाद- 35, केमिकल आधारित उद्योग-102, रबड़ प्लास्टिक-188, खनिज आधारित-159, मेटल आधारित-41, इंजीनियरिंग यूनिट-67, इलेक्ट्रिकल मशीनरी-126, रिपेयरिंग और सर्विस 2892 और अन्य 844 इकाइयां हैं.