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यूपी में बने उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ी, 21 हजार करोड़ रूपये का हुआ निर्यात

उत्तर प्रदेश के बने उत्पादों की मांग विदेशों में बढ़ी है. निर्यात में हुए इस इजाफे के सिलसिले को बरकरार रखने तथा यूपी से देश और विदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अब प्रदेश सरकार ने हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेंटर बनाने का फैसला किया हैं. सभी जिलों में बनने वाले इन केंद्रों में समन्वय के लिए एक सेंट्रलाइज्ड फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए जाने की योजना एमएसएमई विभाग ने तैयार की है.

यूपी में बने उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ी
यूपी में बने उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ी
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Published : Sep 6, 2021, 10:00 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई योजनाओं का असर अब दिखने लगा है. कोरोना संकट के दौरान जब दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं थीं, उस समय भी सूबे में फुटवियर, लेदर, टेक्सटाइल और ग्लासवेयर कारोबारियों के बनाए उत्पादों की विदेशों में खूब मांग हो रही थी. इसका लाभ उठाते हुए सूबे के लेदर, टेक्सटाइल, ग्लासवेयर, आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, खिलौने और कालीन कारोबारियों ने अपने उत्पादों को विदेशों में भेजकर निर्यात का ग्राफ ऊपर उठाया है. निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले प्रोत्साहन के चलते ऐसे निर्यातकों के कारण ही, इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल एवं मई में राज्य से 21,500.85 करोड़ रूपये का निर्यात हुआ है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 152.67 फीसदी अधिक है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने जारी बयान में कहा है कि निर्यात में हुए इस इजाफे के सिलसिले को बरकरार रखने तथा यूपी से देश और विदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अब प्रदेश सरकार ने हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेंटर बनाने का फैसला किया हैं. सभी जिलों में बनने वाले इन केंद्रों में समन्वय के लिए एक सेंट्रलाइज्ड फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए जाने की योजना एमएसएमई विभाग ने तैयार की है. सरकार को उम्मीद है कि इन सेंटर्स के बनने से निर्यात में 400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी. वहीं लगभग 4000 लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया होंगे.

निर्यात से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बने तमाम उत्पादों की विदेशों में लगातार मांग बढ़ रही है. इस वजह से ही बीते वर्ष के मुकाबले 152.67 प्रतिशत अधिक निर्यात उत्तर प्रदेश से हुआ है. इसके चलते ही निर्यात वृद्धि के मामले में तमिलनाडु और गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है. जबकि देश के प्रमुख निर्यात राज्यों में उत्तर प्रदेश छठे स्थान पर है. निर्यात के मामले में गुजरात पहले स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र दूसरे, तमिलनाडु तीसरे, आंध्र प्रदेश चौथे, कर्नाटका पांचवें स्थान पर हैं. केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों में यह खुलासा किया गया है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष अप्रैल-मई में निर्यात के मामले में उत्तर प्रदेश ने तेलंगाना, उड़ीसा, केरल, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और पंजाब जैसे कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. केंद्र सरकार के इन आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल-मई में उत्तर प्रदेश से 21,500.85 करोड़ रूपये का सामान निर्यात किया गया. जबकि बीते वर्ष अप्रैल-मई में 8511.34 करोड़ रूपये का सामान निर्यात किया गया था.

इस वर्ष कालीन, दरी, टेक्सटाइल फैब्रिक, ओवन फैब्रिक, मैन्मेद स्टेपल फैब्रिक, फुटवियर, ग्लासवेयर, आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, चावल, प्लास्टिक उत्पाद, सिल्क, कृत्रिम फूल जैसे सामानों का विदेशों से खूब निर्यात किया गया. नेपाल, बंगालदेश और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने कोरोना काल के दौरान यूपी से बड़ी संख्या ओडीओपी उत्पाद मंगवाए. अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल-मई में 742.47 करोड़ रुपए के फुटवियर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 147.04 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. इसी प्रकार इस वर्ष अप्रैल-मई में 310.77 करोड़ रुपए के ग्लासवेयर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 39.99 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था.

इसी प्रकार इस वर्ष 120.83 करोड़ रुपए के खिलौनों का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 26.19 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. इसी प्रकार इस वर्ष 744.15 करोड़ रुपए के कालीन और टेक्सटाइल फैब्रिक का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 247.63 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. लेदर से बने पर्स, ब्लेट, बैग तथा अन्य उत्पादों का निर्यात इस वर्ष 493.80 करोड़ रुपए का हुआ, जबकि बीते वर्ष 79.21 करोड़ रुपए के ही लेदर से बने उत्पादों का निर्यात हुआ था.


राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए प्रयासों के चलते ही चावल, खिलौने, दवाई, कालीन, सिल्क, उर्वरक, मछली उत्पाद, चीनी और कृत्रिम फूल जैसे सामानों के विदेशों से खूब आर्डर मिले. इसके चलते अब यूपी निर्यात के मामले में देश में अपने छठवें स्थान पर है. अब प्रदेश सरकार इस स्थान से ऊपर पहुचने की मंशा रखती हैं. जिसके चलते दस देशों के राजदूतों के माध्यम से निर्यात को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेन्टर बनाने का फैसला किया हैं.

इसे भी पढ़ें- युवक की आत्महत्या के 24 घंटे बाद मुर्दे पर दर्ज हुआ धोखाधड़ी व मारपीट का केस

ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन सेन्टर्स से प्रदेश के 25 निर्यात बाहुल्य जिलों से निर्यात में 250 करोड़ की बढ़ोतरी होने का अनुमान है. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 2500 की संख्या में रोजगार मिलेगा. इसी तरह 25 अपेक्षाकृत कम निर्यात वाले जिलों में निर्यात में 125 करोड़ की बढ़ोतरी और 1250 लोगों को रोजगार मिलेगा. बचे जिलों से 25 करोड़ के निर्यात में वृद्धि और 250 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा. जल्दी ही सरकार निर्यात को बढ़ावा देने संबंधी कई अन्य फैसले भी लेगी. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार उद्यमियों को कई तरह की रियायतें भी दे सकती है, ताकि राज्य के तमाम उत्पादों को विदेशों में आसानी से भेजा जा सके.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई योजनाओं का असर अब दिखने लगा है. कोरोना संकट के दौरान जब दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गईं थीं, उस समय भी सूबे में फुटवियर, लेदर, टेक्सटाइल और ग्लासवेयर कारोबारियों के बनाए उत्पादों की विदेशों में खूब मांग हो रही थी. इसका लाभ उठाते हुए सूबे के लेदर, टेक्सटाइल, ग्लासवेयर, आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, खिलौने और कालीन कारोबारियों ने अपने उत्पादों को विदेशों में भेजकर निर्यात का ग्राफ ऊपर उठाया है. निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले प्रोत्साहन के चलते ऐसे निर्यातकों के कारण ही, इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल एवं मई में राज्य से 21,500.85 करोड़ रूपये का निर्यात हुआ है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 152.67 फीसदी अधिक है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने जारी बयान में कहा है कि निर्यात में हुए इस इजाफे के सिलसिले को बरकरार रखने तथा यूपी से देश और विदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अब प्रदेश सरकार ने हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेंटर बनाने का फैसला किया हैं. सभी जिलों में बनने वाले इन केंद्रों में समन्वय के लिए एक सेंट्रलाइज्ड फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए जाने की योजना एमएसएमई विभाग ने तैयार की है. सरकार को उम्मीद है कि इन सेंटर्स के बनने से निर्यात में 400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी. वहीं लगभग 4000 लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया होंगे.

निर्यात से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बने तमाम उत्पादों की विदेशों में लगातार मांग बढ़ रही है. इस वजह से ही बीते वर्ष के मुकाबले 152.67 प्रतिशत अधिक निर्यात उत्तर प्रदेश से हुआ है. इसके चलते ही निर्यात वृद्धि के मामले में तमिलनाडु और गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश का स्थान है. जबकि देश के प्रमुख निर्यात राज्यों में उत्तर प्रदेश छठे स्थान पर है. निर्यात के मामले में गुजरात पहले स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र दूसरे, तमिलनाडु तीसरे, आंध्र प्रदेश चौथे, कर्नाटका पांचवें स्थान पर हैं. केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों में यह खुलासा किया गया है.

राज्य सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किये गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष अप्रैल-मई में निर्यात के मामले में उत्तर प्रदेश ने तेलंगाना, उड़ीसा, केरल, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और पंजाब जैसे कई राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. केंद्र सरकार के इन आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल-मई में उत्तर प्रदेश से 21,500.85 करोड़ रूपये का सामान निर्यात किया गया. जबकि बीते वर्ष अप्रैल-मई में 8511.34 करोड़ रूपये का सामान निर्यात किया गया था.

इस वर्ष कालीन, दरी, टेक्सटाइल फैब्रिक, ओवन फैब्रिक, मैन्मेद स्टेपल फैब्रिक, फुटवियर, ग्लासवेयर, आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, चावल, प्लास्टिक उत्पाद, सिल्क, कृत्रिम फूल जैसे सामानों का विदेशों से खूब निर्यात किया गया. नेपाल, बंगालदेश और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने कोरोना काल के दौरान यूपी से बड़ी संख्या ओडीओपी उत्पाद मंगवाए. अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल-मई में 742.47 करोड़ रुपए के फुटवियर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 147.04 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. इसी प्रकार इस वर्ष अप्रैल-मई में 310.77 करोड़ रुपए के ग्लासवेयर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 39.99 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था.

इसी प्रकार इस वर्ष 120.83 करोड़ रुपए के खिलौनों का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 26.19 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. इसी प्रकार इस वर्ष 744.15 करोड़ रुपए के कालीन और टेक्सटाइल फैब्रिक का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 247.63 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था. लेदर से बने पर्स, ब्लेट, बैग तथा अन्य उत्पादों का निर्यात इस वर्ष 493.80 करोड़ रुपए का हुआ, जबकि बीते वर्ष 79.21 करोड़ रुपए के ही लेदर से बने उत्पादों का निर्यात हुआ था.


राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए प्रयासों के चलते ही चावल, खिलौने, दवाई, कालीन, सिल्क, उर्वरक, मछली उत्पाद, चीनी और कृत्रिम फूल जैसे सामानों के विदेशों से खूब आर्डर मिले. इसके चलते अब यूपी निर्यात के मामले में देश में अपने छठवें स्थान पर है. अब प्रदेश सरकार इस स्थान से ऊपर पहुचने की मंशा रखती हैं. जिसके चलते दस देशों के राजदूतों के माध्यम से निर्यात को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेन्टर बनाने का फैसला किया हैं.

इसे भी पढ़ें- युवक की आत्महत्या के 24 घंटे बाद मुर्दे पर दर्ज हुआ धोखाधड़ी व मारपीट का केस

ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन सेन्टर्स से प्रदेश के 25 निर्यात बाहुल्य जिलों से निर्यात में 250 करोड़ की बढ़ोतरी होने का अनुमान है. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 2500 की संख्या में रोजगार मिलेगा. इसी तरह 25 अपेक्षाकृत कम निर्यात वाले जिलों में निर्यात में 125 करोड़ की बढ़ोतरी और 1250 लोगों को रोजगार मिलेगा. बचे जिलों से 25 करोड़ के निर्यात में वृद्धि और 250 व्यक्तियों को रोजगार मिलेगा. जल्दी ही सरकार निर्यात को बढ़ावा देने संबंधी कई अन्य फैसले भी लेगी. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार उद्यमियों को कई तरह की रियायतें भी दे सकती है, ताकि राज्य के तमाम उत्पादों को विदेशों में आसानी से भेजा जा सके.

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