ETV Bharat / state

CSIR-CIMAP की नई तकनीक, मंदिरों में अर्पित फूलों से बनेंगी अगरबत्तियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के CSIR-CIMAP ने एरोमा मिशन फेज-2 के अन्तर्गत फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती के निर्माण की पद्धति का सफतापूर्वक फॉर्मूला तैयार कर लिया है. इससे महिलाओं तथा युवाओं को करोना की कठिन परिस्थिति में रोजगार देने हेतु एक प्रयास किया जा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार देना तो है ही साथ ही भारत को अगरबत्ती उद्योग में आत्मनिर्भर बनाना भी है.

author img

By

Published : Jul 23, 2021, 4:05 AM IST

मंदिरों में अर्पित फूलों से बनेगीं अगरबत्तियां
मंदिरों में अर्पित फूलों से बनेगीं अगरबत्तियां

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सी.एस.आई.आर. सीमैप ने एरोमा मिशन फेज-2 के अन्तर्गत फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती के निर्माण की पद्धति का सफतापूर्वक फॉर्मूला तैयार कर लिया है जो कि अब तक मंदिरों में भक्तों द्वारा अर्पित किए गए फूलों से निर्मित की जायेंगी. जहां एक ओर इससे लघु उद्योग को बढ़ावा मिलेगा ही साथ में बड़ी तादात में बेरोजगारी को भी कम किया जा सकेगा.




सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) लखनऊ, ने फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीकी को जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून को हस्तांतरण किया गया. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु सीमैप के प्रशासन नियंत्रक भाष्कर ज्योति ड्योरी एवं प्रीत मोहन सिंह कोहली, प्रबंध निदेशक, जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून ने अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किये. फाउन्डेशन अगले दो महीनों में ही फूलों से निर्मित अगरबत्ती का उत्पादन शुरू करके जल्द बाजार में उतारेगी.



बैठक के दौरान प्रीत मोहन सिंह कोहली ने बताया कि इस परियोजना से नशा मुक्ति के बाद हम युवाओं एवं बेरोजगारों को इस तकनीकी द्वारा प्रशिक्षण देकर उनका पुर्नस्थापन करना मुख्य उद्वेश्य है. इसके अलावा देहरादून तथा हरिद्वार में बेकार हुए फूलों को मंदिर से एकत्रित करके उनसे अगरबत्ती तथा सुगंधित कोन का प्राकृतिक रूप से बनाना तथा उसको आम आदमी तक पहुंचाने का लक्ष्य है, इसमें सीमैप का सहयोग अहम रहेगा.

इस्तेमाल हुए फूलों का पुनः उपयोग

सीमैप के निदेशक डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि मंदिर में चढ़े फूलों की पवित्रता बनाये रखने हेतु उत्तराखण्ड़ के अन्य स्थानों पर भी इस तकनीकी का प्रचार प्रसार कर महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार देकर भारत वर्ष को अगरबत्ती उद्योग में आत्मनिर्भर बनाना है.

इस अवसर पर संस्थान के डा. सौदान सिंह, डा. संजय कुमार, डा. राम सुरेश शर्मा, डा. रमेश कुमार श्रीवास्तव एंव जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून के राजीव बंसल तथा भूलिन्दर सिंह इत्यादि उपस्थित थे.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के सी.एस.आई.आर. सीमैप ने एरोमा मिशन फेज-2 के अन्तर्गत फूलों से निर्मित सुगंधित अगरबत्ती के निर्माण की पद्धति का सफतापूर्वक फॉर्मूला तैयार कर लिया है जो कि अब तक मंदिरों में भक्तों द्वारा अर्पित किए गए फूलों से निर्मित की जायेंगी. जहां एक ओर इससे लघु उद्योग को बढ़ावा मिलेगा ही साथ में बड़ी तादात में बेरोजगारी को भी कम किया जा सकेगा.




सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) लखनऊ, ने फूलों से अगरबत्ती बनाने की तकनीकी को जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून को हस्तांतरण किया गया. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु सीमैप के प्रशासन नियंत्रक भाष्कर ज्योति ड्योरी एवं प्रीत मोहन सिंह कोहली, प्रबंध निदेशक, जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून ने अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किये. फाउन्डेशन अगले दो महीनों में ही फूलों से निर्मित अगरबत्ती का उत्पादन शुरू करके जल्द बाजार में उतारेगी.



बैठक के दौरान प्रीत मोहन सिंह कोहली ने बताया कि इस परियोजना से नशा मुक्ति के बाद हम युवाओं एवं बेरोजगारों को इस तकनीकी द्वारा प्रशिक्षण देकर उनका पुर्नस्थापन करना मुख्य उद्वेश्य है. इसके अलावा देहरादून तथा हरिद्वार में बेकार हुए फूलों को मंदिर से एकत्रित करके उनसे अगरबत्ती तथा सुगंधित कोन का प्राकृतिक रूप से बनाना तथा उसको आम आदमी तक पहुंचाने का लक्ष्य है, इसमें सीमैप का सहयोग अहम रहेगा.

इस्तेमाल हुए फूलों का पुनः उपयोग

सीमैप के निदेशक डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि मंदिर में चढ़े फूलों की पवित्रता बनाये रखने हेतु उत्तराखण्ड़ के अन्य स्थानों पर भी इस तकनीकी का प्रचार प्रसार कर महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार देकर भारत वर्ष को अगरबत्ती उद्योग में आत्मनिर्भर बनाना है.

इस अवसर पर संस्थान के डा. सौदान सिंह, डा. संजय कुमार, डा. राम सुरेश शर्मा, डा. रमेश कुमार श्रीवास्तव एंव जाग्रिती फाउन्डेशन, देहरादून के राजीव बंसल तथा भूलिन्दर सिंह इत्यादि उपस्थित थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.