लखनऊ: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद लगातार मुस्लिम संगठनों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. इसी कड़ी में लखनऊ में अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सुन्नी वक्फ बोर्ड से अपील की है. उनका कहना है कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से भी अपील की है कि अयोध्या के फैसले को भविष्य में किसी भी मामले में उदाहरण बनाकर पेश न किया जाए.
तर्कों के अनुकूल नहीं है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान हसन सिद्दीकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों पर पिछले 30 सालों से इल्जाम लगता आ रहा था कि मुसलमानों ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई. इस बात को न्यायालय ने गलत साबित कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिन तर्कों को सामने रखा गया, फैसला उसके अनुकूल नहीं है.
फैसले को उदाहरण बनाकर न किया जाए पेश
मौलाना इमरान हसन ने कहा कि मेरी सुप्रीम कोर्ट से भी अपील है कि इस फैसले को भविष्य में उदाहरण बनाकर न पेश किया जाए. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए फैसले कानून बन जाते हैं और दूसरी अदालती फैसलों में भी ऐसे फैसले नजीर बनाकर पेश किए जाते हैं.
मुस्लिम संगठनों ने फैसले का किया था स्वागत
गौरतलब है अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम संगठनों में फैसले का स्वागत तो किया है, लेकिन पुनर्विचार याचिका को लेकर उनकी राय अलग है. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना रुख साफ करते हुए रिव्यू पिटिशन न दाखिल करने का फैसला किया था.
26 नवंबर को होगी सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन पर फैसला लिए जाने के लिए 26 नवंबर को बैठक बुलाई है. वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से 17 नवंबर को लखनऊ के नदवा कॉलेज में बोर्ड की बैठक बुलाई गई है, जिसमें यह फैसला लिया जाएगा कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए या नहीं. इसके साथ ही अदालत के फैसले में जो मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन देने की बात कही गई है, उसको मंजूर किया जाए या नहीं. जिस पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.