ETV Bharat / state

लखीमपुर प्रकरण में टिकैत की संजीवनी से भाजपा को फौरी राहत, पर चुनाव में देना होगा जवाब

लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की टिप्पणी से उपजा आक्रोश पूरे उत्तर प्रदेश में बहुत आसानी से फैल सकता था, लेकिन राकेश टिकैत की मध्यस्थता में हुए समझौते ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए संजीवनी का काम किया है.

लखीमपुर प्रकरण में टिकैत की संजीवनी से भाजपा को फौरी राहत
लखीमपुर प्रकरण में टिकैत की संजीवनी से भाजपा को फौरी राहत
author img

By

Published : Oct 5, 2021, 11:55 AM IST

लखनऊ: लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की टिप्पणी से उपजा आक्रोश पूरे उत्तर प्रदेश में बहुत आसानी से फैल सकता था, लेकिन राकेश टिकैत की मध्यस्थता में हुए समझौते ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए संजीवनी का काम किया है. दिवंगत किसानों को भारी मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी और आरोपितों पर मुकदमे के वादे के बाद बात बन पाई.

लखीमपुर प्रकरण में टिकैत की संजीवनी से भाजपा को फौरी राहत

एक दिन के भीतर ही गुस्से से उपजा आंदोलन समाप्त हो जाना फिलहाल प्रदेश सरकार के लिए राहत वाली बात जरूर है, लेकिन कुछ माह बाद 2022 में जब चुनाव होगा, तब भाजपा को चार किसानों की मौत का जवाब समय-समय पर देना होगा. खासतौर पर तराई और पश्चिम उत्तर प्रदेश में. भाजपा को लखीमपुर मुद्दे को लेकर खास रणनीति बनानी होगी, जिसकी शुरुआत भाजपा ने अभी से की है. भाजपा की ओर से विपक्ष को लखीमपुर का गिद्ध साबित किया जा रहा है.

लखीमपुर में जो कुछ भी हुआ वह राष्ट्रीय स्तर का राजनैतिक मुद्दा बन गया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उनके भाई राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती सहित अधिकांश बड़े विपक्षी नेताओं ने इस मामले में योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है. पंजाब के उपमुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी लखीमपुर जाने की कोशिश की, हालांकि वह कामयाब नहीं हो सके.

इसे भी पढ़ें - सामने आई लखीमपुर हिंसा की हकीकत, वायरल वीडियो पर विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार को घेरा

राकेश टिकैत भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं. भाजपा को समय-समय पर चुनौती देते रहे हैं, लेकिन लखीमपुर के प्रकरण में उनकी मदद को योगी सरकार कभी नहीं भूलेगी. भले ही बड़े-बड़े विपक्षी नेता लखीमपुर न पहुंच सके हों, लेकिन सरकार ने टिकैत को वहां जाने से नहीं रोका. टिकैत के साथ ही प्रशासन की छह राउंड बातचीत हुई, जिसके बाद मृतकों के लिए मुआवजा तय किया गया. इस पूरे मामले में राकेश टिकैत किसानों को जीता हुआ घोषित करते हैं.

उनका कहना है कि यह पहली बार है, जब किसी केंद्रीय गृहराज्य मंत्री और उसके बेटे पर मुकदमा किया गया है. यदि गिरफ्तारी नहीं हुई, तो वह आगे भी इस मुद्दे पर आंदोलन करेंगे.

लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता का इस बारे में कहना है कि भाजपा को फौरी राहत मिली है. मुआवजा और नौकरी का एलान करके सरकार ने पूरे प्रदेश में हिंसा फैलने से रोका है, लेकिन विपक्षी दल चुनाव के दौरान इस मुद्दे को किसानों को लेकर भाजपा के रुख से जोड़ेंगे और कहेंगे कि भाजपा के मंत्री के बेटे ने किसानों को गाड़ी से रौंद दिया था, जिससे भाजपा को निपटना होगा.

दूसरी ओर अभी से भाजपा ने विपक्ष को इस मामले में गिद्ध साबित करना शुरू कर दिया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि पीड़ित किसानों के परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जा चुका है. विपक्ष अब गिद्ध बना हुआ है.

लखनऊ: लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान हुई घटना और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की टिप्पणी से उपजा आक्रोश पूरे उत्तर प्रदेश में बहुत आसानी से फैल सकता था, लेकिन राकेश टिकैत की मध्यस्थता में हुए समझौते ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए संजीवनी का काम किया है. दिवंगत किसानों को भारी मुआवजा, आश्रितों को सरकारी नौकरी और आरोपितों पर मुकदमे के वादे के बाद बात बन पाई.

लखीमपुर प्रकरण में टिकैत की संजीवनी से भाजपा को फौरी राहत

एक दिन के भीतर ही गुस्से से उपजा आंदोलन समाप्त हो जाना फिलहाल प्रदेश सरकार के लिए राहत वाली बात जरूर है, लेकिन कुछ माह बाद 2022 में जब चुनाव होगा, तब भाजपा को चार किसानों की मौत का जवाब समय-समय पर देना होगा. खासतौर पर तराई और पश्चिम उत्तर प्रदेश में. भाजपा को लखीमपुर मुद्दे को लेकर खास रणनीति बनानी होगी, जिसकी शुरुआत भाजपा ने अभी से की है. भाजपा की ओर से विपक्ष को लखीमपुर का गिद्ध साबित किया जा रहा है.

लखीमपुर में जो कुछ भी हुआ वह राष्ट्रीय स्तर का राजनैतिक मुद्दा बन गया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उनके भाई राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती सहित अधिकांश बड़े विपक्षी नेताओं ने इस मामले में योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है. पंजाब के उपमुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी लखीमपुर जाने की कोशिश की, हालांकि वह कामयाब नहीं हो सके.

इसे भी पढ़ें - सामने आई लखीमपुर हिंसा की हकीकत, वायरल वीडियो पर विपक्षी नेताओं ने योगी सरकार को घेरा

राकेश टिकैत भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं. भाजपा को समय-समय पर चुनौती देते रहे हैं, लेकिन लखीमपुर के प्रकरण में उनकी मदद को योगी सरकार कभी नहीं भूलेगी. भले ही बड़े-बड़े विपक्षी नेता लखीमपुर न पहुंच सके हों, लेकिन सरकार ने टिकैत को वहां जाने से नहीं रोका. टिकैत के साथ ही प्रशासन की छह राउंड बातचीत हुई, जिसके बाद मृतकों के लिए मुआवजा तय किया गया. इस पूरे मामले में राकेश टिकैत किसानों को जीता हुआ घोषित करते हैं.

उनका कहना है कि यह पहली बार है, जब किसी केंद्रीय गृहराज्य मंत्री और उसके बेटे पर मुकदमा किया गया है. यदि गिरफ्तारी नहीं हुई, तो वह आगे भी इस मुद्दे पर आंदोलन करेंगे.

लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर संजय गुप्ता का इस बारे में कहना है कि भाजपा को फौरी राहत मिली है. मुआवजा और नौकरी का एलान करके सरकार ने पूरे प्रदेश में हिंसा फैलने से रोका है, लेकिन विपक्षी दल चुनाव के दौरान इस मुद्दे को किसानों को लेकर भाजपा के रुख से जोड़ेंगे और कहेंगे कि भाजपा के मंत्री के बेटे ने किसानों को गाड़ी से रौंद दिया था, जिससे भाजपा को निपटना होगा.

दूसरी ओर अभी से भाजपा ने विपक्ष को इस मामले में गिद्ध साबित करना शुरू कर दिया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि पीड़ित किसानों के परिवार को सरकार की ओर से मुआवजा दिया जा चुका है. विपक्ष अब गिद्ध बना हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.