लखनऊ : राजधानी में अवैध मिट्टी खनन माफिया प्रशासन पर हावी होते जा रहे हैं. सरकारी कामों में मिट्टी खनन का परमिट लेकर चोरी चुपके मिट्टी बेचने के साथ-साथ मानक के विपरीत खुदाई भी कर रहे हैं. इसको लेकर स्थानीय पुलिस ने जिला प्रशासन को लिखित रुप में शिकायत किया था. जिसका जवाब एसडीएम सदर प्रफुल्ल त्रिपाठी ने दो हफ्ते बाद दिया है. इसमें स्थानीय पुलिस की शिकायत को खारिज करते हुए कहा गया कि काकोरी क्षेत्र में मिट्टी खनन अवैध तरीके से नहीं किए जा रहे हैं.
वहीं हलवापुर, कुसमौरा गांव में खनिज अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे तो उन्होंने जांच कहा कि अवैध तरीके से अगर खनन किया जा रहा है तो जिम्मेदारो के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी ओर ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर जाकर स्थानीय लोगों से बात कि तो उन्होंने बताया कि 50 साल से ग्राम पंचायत की इस जमीन में जंगल था लेकिन खनन माफियाओं ने उसे खोद डाला.
वहीं मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे खनिज अधिकारी सुशील ने बताया कि हम निरीक्षण कर रहे हैं. यहां लोगों ने अवैध खनन की शिकायत की थी, वहीं स्थानीय पुलिस ने भी इसकी जानकारी दी थी. खनिज अधिकारी ने बताया कि जांच में जो भी चीज सामने निकल कर आती है, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल प्रशासन की तरफ से एनएचएआई और रेलवे में चल रहे कार्य के प्रयोग में आने वाली मिट्टी की खुदाई की परमिशन दी जाती है. मानक के अनुसार मिट्टी खुदाई 2 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन यहां पर मिट्टी खनन माफियाओं ने 12 फीट मिट्टी की खुदाई कर डाली है. निरीक्षण के बाद अब यह देखना होगा किस पैरामीटर के हिसाब से मिट्टी खनन माफियाओं पर कार्रवाई होती है. बता दें कि जिला प्रशासन ने एनएचएआई के कार्य को पूरा करने के लिए मैंसर्स सद्भाव इंजीनियर प्राइवेट लिमिटेड को खुदाई की अनुमति दी थी. इसने खुदाई का काम मैंसर्स रघुवंशी बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड को दे दी. वहीं अब 32000 घन मीटर का यह खनन का काम हाफिज खेड़ा के निवासी उदय भान सिंह के नाम से किया जा रहा है.
काकोरी पुलिस ने दो हफ्ते पहले इस क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को लेकर जिला प्रशासन से शिकायत की थी और एक रिपोर्ट दी थी. लेकिन एसडीएम सदर प्रफुल्ल त्रिपाठी ने उसे गलत साबित कर दिया और कहा कि इस क्षेत्र में मिट्टी खुदाई के लिए 32 हजार घन मीटर की अनुमति है, उसी के अनुरूप यह काम चल रहा है.