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राजधानी के चौक इलाके के टीले वाली मस्जिद में लगे अवैध पोस्टर, गलती या साजिश

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Published : Jun 17, 2022, 11:31 AM IST

लखनऊ के चौक इलाके में स्थित टीले वाली मस्जिद पर लगे अवैध पोस्टर, मामले की जानकारी होने पर पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर ने तत्काल पोस्टर हटाने का आदेश दिया, मामले को गंभीरता में लेकर पुलिस जांच कर रही है.

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लखनऊ की मस्जिद में लगे अवैध पोस्टर

लखनऊ: पिछले जुमे यानि की 10 जून को टीले वाली मस्जिद पर जुटी भीड़ को लेकर मामला अभी शांत नहीं हुआ था. अब, जुमे की नमाज के ठीक एकदिन पहले एक कुछ शरारती तत्वों ने टीले वाली मस्जिद पर सैकड़ों लोगों के पोस्टर चिपका दिए. ऐसा कहा जा रहा है कि पोस्टर में पुलिस के साथ सैकड़ों लोगों के चेहरे थे. जो लखनऊ के अमन-चैन बिगाड़ने वाले हैं. हालांकि, पोस्टर लगने के थोड़ी देर में ही ये सभी पोस्टर मस्जिद के पास से हटा दिये गए. इस मामले में पुलिस कमिश्नर का कहना है की ये पोस्टर पुलिस ने नहीं लगवाए. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या बीते 10 जून को टीले वाली मस्जिद में इकट्ठा होने वाली भीड़ ने पोस्टर लगवाए हैं.

जानकारी के अनुसार 10 जून को जब प्रयागराज में जुमे की नमाज के बाद भीड़ हिंसक हो रही थी. तब लखनऊ पुलिस ये दावा कर रही थी कि राजधानी में अमन कायम है. पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर ने यह ऐलान किया कि लखनऊ में नमाज के बाद भीड़ ने किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या नारेबाजी नहीं की थी. लेकिन, उसके 6 दिन बाद जुमे के दिन से ठीक एकदिन पहले ही एक पोस्टर ने पुलिस के दावों को हवा में उड़ा दिए. राजधानी के चौक इलाके में स्थित टीले वाली मस्जिद में शाम ढ़लते ही एक के बाद कई पोस्टर चिपका दिए गए. जिसमें सैकड़ों लोगों के चेहरे थे. उन्हें लखनऊ के अमन-चैन का दुश्मन बताते हुए उनकी सूचना देने के लिए लोगों से अपील की गई थी. जैसे खबर आग की तरह फैली तो पुलिस ने पोस्टर तत्काल हटवा दिए.

जैसे ही पोस्टर हटाने का आदेश पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर से लिया गया तो उन्होंने कहा कि पोस्टर कैसे और किसने लगाए वो पता नही. इसकी जांच की जा रही है. कमिश्नर के जवाब के बाद अब सवाल उठ रहा है. कि जब 17 जून को पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. तब इस तरह के पोस्टर पुलिस की जानकारी के बिना कैसे लग गए. सवाल यह भी कि एक संवेदनशील इलाके में ऐसे पोस्टर पुलिस की जानकारी के बिना लग गए. तो 17 जून के उस अलर्ट पर राजधानी पुलिस कितनी सतर्क रही होगी ?


यह भी पढ़ें- Agnipath Scheme: यूपी सरकार अग्निवीरों को सेवा के बाद देगी नौकरियों का मौका


अब सवाल यह भी है कि पुलिस मुख्यालय में बैठकर अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी व डीजीपी डीएस चौहान पुलिस कर्मियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दे रहे थे. ठीक उसी वक़्त कैसे अराजक तत्व इतनी संख्या में पोस्टर लगा कर चले गए. राजधानी में इस तरह के पोस्टर लगाने वाले कौन लोग थे. फिलहाल पुलिस मामल को गंभीरता में लेकर पोस्टर लगाने वाले शरारती लोगों की पहचान कर रही है.


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लखनऊ: पिछले जुमे यानि की 10 जून को टीले वाली मस्जिद पर जुटी भीड़ को लेकर मामला अभी शांत नहीं हुआ था. अब, जुमे की नमाज के ठीक एकदिन पहले एक कुछ शरारती तत्वों ने टीले वाली मस्जिद पर सैकड़ों लोगों के पोस्टर चिपका दिए. ऐसा कहा जा रहा है कि पोस्टर में पुलिस के साथ सैकड़ों लोगों के चेहरे थे. जो लखनऊ के अमन-चैन बिगाड़ने वाले हैं. हालांकि, पोस्टर लगने के थोड़ी देर में ही ये सभी पोस्टर मस्जिद के पास से हटा दिये गए. इस मामले में पुलिस कमिश्नर का कहना है की ये पोस्टर पुलिस ने नहीं लगवाए. ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या बीते 10 जून को टीले वाली मस्जिद में इकट्ठा होने वाली भीड़ ने पोस्टर लगवाए हैं.

जानकारी के अनुसार 10 जून को जब प्रयागराज में जुमे की नमाज के बाद भीड़ हिंसक हो रही थी. तब लखनऊ पुलिस ये दावा कर रही थी कि राजधानी में अमन कायम है. पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर ने यह ऐलान किया कि लखनऊ में नमाज के बाद भीड़ ने किसी भी प्रकार का प्रदर्शन या नारेबाजी नहीं की थी. लेकिन, उसके 6 दिन बाद जुमे के दिन से ठीक एकदिन पहले ही एक पोस्टर ने पुलिस के दावों को हवा में उड़ा दिए. राजधानी के चौक इलाके में स्थित टीले वाली मस्जिद में शाम ढ़लते ही एक के बाद कई पोस्टर चिपका दिए गए. जिसमें सैकड़ों लोगों के चेहरे थे. उन्हें लखनऊ के अमन-चैन का दुश्मन बताते हुए उनकी सूचना देने के लिए लोगों से अपील की गई थी. जैसे खबर आग की तरह फैली तो पुलिस ने पोस्टर तत्काल हटवा दिए.

जैसे ही पोस्टर हटाने का आदेश पुलिस कमिश्नर ध्रुव कांत ठाकुर से लिया गया तो उन्होंने कहा कि पोस्टर कैसे और किसने लगाए वो पता नही. इसकी जांच की जा रही है. कमिश्नर के जवाब के बाद अब सवाल उठ रहा है. कि जब 17 जून को पूरे प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया है. तब इस तरह के पोस्टर पुलिस की जानकारी के बिना कैसे लग गए. सवाल यह भी कि एक संवेदनशील इलाके में ऐसे पोस्टर पुलिस की जानकारी के बिना लग गए. तो 17 जून के उस अलर्ट पर राजधानी पुलिस कितनी सतर्क रही होगी ?


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अब सवाल यह भी है कि पुलिस मुख्यालय में बैठकर अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी व डीजीपी डीएस चौहान पुलिस कर्मियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दे रहे थे. ठीक उसी वक़्त कैसे अराजक तत्व इतनी संख्या में पोस्टर लगा कर चले गए. राजधानी में इस तरह के पोस्टर लगाने वाले कौन लोग थे. फिलहाल पुलिस मामल को गंभीरता में लेकर पोस्टर लगाने वाले शरारती लोगों की पहचान कर रही है.


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