लखनऊ: राजधानी के हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से अपने रिवायती अंदाज में शाही मेहंदी का जुलूस निकाला गया. ये जुलूस पुराने लखनऊ स्थित बड़े इमामबाड़े से छोटे इमामबाड़े तक निकाला गया. कर्बला के शहीद इमाम हसन के बेटे और हजरत इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम की याद में निकाले गए इस शाही जुलूस में बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत की.
शाही मेंहदी जुलूस का रहा है पुराना इतिहास
अजादारी का केंद्र कहे जाने वाले अदब के शहर लखनऊ में हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर शाही मेहंदी का जुलूस निकाला गया. हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की याद में आज भी लखनऊ में नवाबी तौर तरीकों के साथ मोहर्रम अपने रिवायती अंदाज में मनाया जाता है. सन 1839 में मोहम्मद अली शाह बहादुर, जो अवध के तीसरे बादशाह थे, उन्होंने हुसैनाबाद ट्रस्ट कायम किया था. इसी के तहत आज तक लखनऊ में इमाम हुसैन की याद में इन शाही जुलूसों का आयोजन होता आ रहा है.
पहली मोहर्रम से लेकर आठ रबी अव्वल तक इन जुलूसों और मजलिस मातम का दौर जारी रहेगा. इसमें हर समुदाय के लोग अपनी आस्था के अनुसार शिरकत करते है और इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाते है.
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प्रशासन ने किए सुरक्षा के कड़े प्रबंध
इस जुलूस में जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए थे. डीएम और एसएसपी संग आईजी लखनऊ जोन खुद जुलूस मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते नजर आये. वहीं जुलूस पर ड्रोन और सीसीटीवी से भी नजर रखी गयी.