लखनऊ: केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का मुख्य चेहरा बने राकेश टिकैत का यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों में कितना असर होगा यह शाम तक साफ हो जाएगा. हालांकि, प्रदेश की करीब 60 विधानसभा सीटों पर उनके आंदोलन और जनसभाओं के असर की संभावना जताई जा रही है. सबसे ज्यादा वेस्टर्न यूपी की सीटों पर दखल की संभावना ने भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ा रखी है. इसके अलावा टिकैत और उनके संगठन ने मेरठ, बरेली, प्रयागराज, लखनऊ, लखीमपुर, कानपुर, अलीगढ़, बागपत समेत 15 से अधिक प्रदेश के प्रमुख जिलों में 20 से ज्यादा सभाएं, बैठक और प्रेस कांफ्रेंस की हैं. इन सभी जगहों पर उन्होंने किसानों के मुद्दों और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाया था. इन सबका कितना असर चुनाव नतीजों पर पड़ेगा ये शाम तक साफ हो जाएगा.
फर्स्ट फेज की सीटों पर कितना असर
यूपी विधानसभा चुनाव के पहले फेज में करीब 11 जिलों की कुल 58 सीटों पर मतदान हुआ था. इनमें से मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, बुलंदशहर की करीब 30 सीटों के नतीजों पर राकेश टिकैत का सीधा असर होने की बात कही जा रही है. इन जिलों में ज्यादा संख्या में किसान रहते हैं और किसानों पर भारतीय किसान यूनियन का सीधा दखल है. राकेश टिकैत के आंदोलन के बाद से उनकी पकड़ किसानों पर और बढ़ी है. यहां समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल को अपरोक्ष रूप से टिकैत का समर्थन मिला है. इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल की भी किसानों पर मजबूत पकड़ है. यही वजह है कि चुनाव परिणामों में फर्क देखने की बात कही जा रही है.
किसानों पर मजबूत पकड़
वेस्टर्न यूपी के 8 से ज्यादा जिलों में दूसरे फेज में 14 फरवरी मतदान हुआ था. यहां के सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, शाहजहांपुर की करीब 20 विधानसभा सीटों के नतीजों पर राकेश टिकैत के असर की संभावना है. भारतीय किसान यूनियन इन जनपदों में भी मजबूत पकड़ रखता है. चुनाव से पूर्व और प्रचार के दौरान राकेश टिकैत ने इन जिलों में जमकर सभाएं कीं और लोगों को किसान हित में भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया. इस वजह से माना जा रहा है कि विधानसभा सीटों के नतीजों में फर्क दिख सकता है.
लखीमपुर कांड और लखनऊ की सभाएं
लखीमपुर कांड पर प्रमुख रूप से राकेश टिकैत का सरकार के सामने खड़े होना भी वहां की विधानसभा सीटों के नतीजों में फर्क डाल सकता है. घटना के बाद से राकेश टिकैत के संगठन ने जिस तेजी वहां सभाएं और बैठकें की हैं और लखीमपुर जनपद के देहात क्षेत्र में पैठ बनाई है उनका असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है. लखीमपुर के अलावा राजधानी लखनऊ में सरकार के खिलाफ राकेश टिकैत की लामबंदी का असर राजधानी के आसपास के जिलों के नतीजों को प्रभावित कर रहा है.
लखनऊ, प्रयागराज और कानपुर गए थे
यूपी में विधानसभा चुनावों से पहले राकेश टिकैत ने राजधानी लखनऊ में बड़ी जनसभा में लोगों को संबोधित किया था. यहां पर उन्होंने भाजपा सरकार को उसकी नीतियों के खिलाफ घेरा था. इसी तरह वह प्रयागराज और कानपुर में भी चुनाव से पहले गए थे. टिकैत पश्चिमी यूपी के मेरठ में सबसे पहले पहुंचे थे. क्योंकि पहले चरण में मेरठ समेत 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर चुनाव था. उससे पहले यहां और अन्य नजदीकी जिलों में संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेसवार्ता की. इसके बाद भी कई चरणों में चुनाव से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेसवार्ता की हैं.
चुनाव से पहले बरेली और अलीगढ़ में प्रेसवार्ता
24 जनवरी को राकेश टिकैत अलीगढ़ गए थे. इसी तरह मतदान से पूर्व 9 फरवरी को वह बरेली गए थे. यहां संयुक्त किसान मोर्चा की संयुक्त प्रेसवार्ता हुई थी, जिसमें सरकार की कमियां गिनाईं गईं थीं. मतदान से पूर्व 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेसवार्ता पीलीभीत में भी हुई थी. लखीमपुर खीरी में भी चुनाव से पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेसवार्ता हुई. वहां योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत सरकार के खिलाफ चुनाव से पहले सरकार को घेरते दिखे.
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