ETV Bharat / state

गेहूं में लगने वाले रोग को लेकर किसानों को करना होगा ये बचाव

कृषि के प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि संतुलित मात्रा में गेहूं के फसलों में उर्वरकों का प्रयोग किया जाए तो फसल को बचाया जा सकता है, यदि किसान भाइयों को खेत में ब्लोच नामक बीमारी दिखाई दे, तो समय रहते हुए किसानों को इफको एमसी का पीका पीका कि 1.5 मिलीलीटर मात्रा तथा इफको का घुलनशील उर्वरक 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए.

author img

By

Published : Feb 12, 2021, 2:39 PM IST

गेहूं के फसल में कैसे लगता है ब्लोच रोग
गेहूं के फसल में कैसे लगता है ब्लोच रोग

लखनऊः लगातार मौसम में हो रहे बदलाव से रबी की फसलों को नुकसान हो सकता है. खासकर गेहूं की फसल को रोग से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखना होगा. विशेषज्ञों की माने तो गेहूं की फसल को रोग से मुक्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे फसल को बचाया जा सकता है.

दरअसल, राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक तरफ गेहूं फसल लहलहा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इनकी पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं. इसको लेकर अब किसानों को सावधान होना होगा, अगर समय रहते हुए इसका निदान नहीं किया गया, तो यह रोग गेहूं की उपज को की दर को सीधे आधा कर देता है. गेहूं फसल के बचाव के लिए समय-समय पर दवाओं का भी छिड़काव करना होगा, यदि गेहूं में पीलापन पड़ने लगे तो यह समझ जाना चाहिए, कि उनके फसल को ब्लोच नाम की बीमारी लग गई है.

गेहूं के फसल में कैसे लगता है ब्लोच रोग

नमी युक्त गर्म मौसम होने से गेहूं के फसल में यह रोग लग जाता है और फसल इस रोग के चपेट में आ जाता है. आमतौर पर मौसम के तापमान 17 सेंटीग्रेड से ऊपर होने पर भी यह रोग लगता है, वहीं एक तरफ ठंडी के मौसम में 12 घंटे से अधिक धुंध और कोहरा गेहूं के फसल के पत्तियों पर बना रह जाने से यह रोग गेहूं में लगना स्वभाविक है.

कृषि के प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि संतुलित मात्रा में गेहूं के फसलों में उर्वरकों का प्रयोग किया जाए तो फसल को बचाया जा सकता है, यदि किसान भाइयों को खेत में ब्लोच नामक बीमारी दिखाई दे, तो समय रहते हुए किसानों को इफको एमसी का पीका पीका कि 1.5 मिलीलीटर मात्रा तथा इफको का घुलनशील उर्वरक 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए. करीब 1 सप्ताह बाद यह छिड़काव द्वारा किया जाना चाहिए, जिससे इस रोग से गेहूं के फसल को बचाया जा सकता है.

लखनऊः लगातार मौसम में हो रहे बदलाव से रबी की फसलों को नुकसान हो सकता है. खासकर गेहूं की फसल को रोग से बचाने के लिए विशेष ध्यान रखना होगा. विशेषज्ञों की माने तो गेहूं की फसल को रोग से मुक्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे फसल को बचाया जा सकता है.

दरअसल, राजधानी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक तरफ गेहूं फसल लहलहा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ इनकी पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं. इसको लेकर अब किसानों को सावधान होना होगा, अगर समय रहते हुए इसका निदान नहीं किया गया, तो यह रोग गेहूं की उपज को की दर को सीधे आधा कर देता है. गेहूं फसल के बचाव के लिए समय-समय पर दवाओं का भी छिड़काव करना होगा, यदि गेहूं में पीलापन पड़ने लगे तो यह समझ जाना चाहिए, कि उनके फसल को ब्लोच नाम की बीमारी लग गई है.

गेहूं के फसल में कैसे लगता है ब्लोच रोग

नमी युक्त गर्म मौसम होने से गेहूं के फसल में यह रोग लग जाता है और फसल इस रोग के चपेट में आ जाता है. आमतौर पर मौसम के तापमान 17 सेंटीग्रेड से ऊपर होने पर भी यह रोग लगता है, वहीं एक तरफ ठंडी के मौसम में 12 घंटे से अधिक धुंध और कोहरा गेहूं के फसल के पत्तियों पर बना रह जाने से यह रोग गेहूं में लगना स्वभाविक है.

कृषि के प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि संतुलित मात्रा में गेहूं के फसलों में उर्वरकों का प्रयोग किया जाए तो फसल को बचाया जा सकता है, यदि किसान भाइयों को खेत में ब्लोच नामक बीमारी दिखाई दे, तो समय रहते हुए किसानों को इफको एमसी का पीका पीका कि 1.5 मिलीलीटर मात्रा तथा इफको का घुलनशील उर्वरक 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए. करीब 1 सप्ताह बाद यह छिड़काव द्वारा किया जाना चाहिए, जिससे इस रोग से गेहूं के फसल को बचाया जा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.