लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब 32 हजार वर्ग फीट जमीन पर कॉलोनी बसाई जाएगी, लेकिन शर्त ये है कि इस कॉलोनी में केवल कम बजट वाले भूखंड ही होंगे. इनका क्षेत्रफल 30 वर्ग मीटर से शुरू होगा. यूपी कैबिनेट ने इस फैसले पर बाई सर्कुलेशन मुहर लगा दी है. गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को सस्ते मकान देने के वादे को पूरा करने के लिए योगी सरकार ने 'अफोर्डेबल हाउसिंग उपविधि-2021' को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दिलाई है. इससे अब बिल्डरों को शहरों में कम जमीन पर अधिक ऊंची इमारत और मकान बनाने के साथ अधिक प्लाट काटने की सुविधा मिलेगी.
आवास विभाग ने अफोर्डेबल हाउसिंग उपविधि-2021 तैयार की. इसी नीति को मंजूरी मिलने से अब प्रदेश में जहां कम जमीन पर अधिक मकान बनाए जा सकेंगे, वहीं गरीबों को ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, मिनी एमआईजी व एमआईजी मकान कम कीमत पर उपलब्ध होंगे. इस नीति के लागू होने से अनाधिकृत कॉलोनियों की बढ़ती संख्या पर भी लगाम लगेगी. ग्रुप हाउसिंग के लिए पहुंच मार्ग भी तय कर दिया गया है. 10 एकड़ वाली योजनाओं के लिए 12 मीटर चौड़ी सड़क, 10 से 25 एकड़ के लिए 18 मीटर और 25 एकड़ से अधिक के लिए 24 मीटर चौड़ी सड़क होनी चाहिए. रेरा में पंजीकरण कराने वाले बिल्डर को 20 फीसदी जमीन बंधन रखने की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाएगा.
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इस उपविधि के मुताबिक, प्लाट डवलपमेंट योजना के लिए न्यूनतम क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर (लगभग 32 हजार वर्ग मीटर ) रखा गया है. इस पर ईडब्लूएस के 30-35 वर्ग मीटर, एलआईजी 35-50 वर्ग मीटर और अन्य वर्ग के 50-150 वर्ग मीटर के प्लाट बेंचे जा सकेंगे. इन पर मकान बनाने के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) दोगुना कर दिया गया है. ईडब्ल्यूएस के लिए डेंसिटी 250 इकाइयां प्रति हेक्टेयर, एलआईजी 200 इकाइयां प्रति हेक्टेयर व और अन्य वर्ग में 150 इकाइयां प्रति हेक्टेयर की गई है.