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गृह वाटिका सब्जियों की उपलब्धता और वातावरण को शुद्ध करने में लाभकारीः डॉ सत्येंद्र - लखनऊ गृह वाटिका

कोरोना ने एक बार फिर लोगों को घरों में कैद कर दिया. ऐसे में आप कुछ ऐसा कर सकते हैं जो आपके आस-पास के वातावरण के साथ आपकी हेल्थ का भी पूरा ध्यान रखे. गृह वाटिका घर में बनाकर आप अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं.

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Published : May 4, 2021, 5:19 AM IST

लखनऊः कोरोना महामारी के दौर में हमारी आवाजाही सीमित हो चुकी है. ऐसे में हम कुछ रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं. इस दृष्टि से यदि बात किचन गार्डन की हो तो यह एक बेहतर कार्य हो सकता है, जिससे न सिर्फ हम अपने घरेलू उपयोग के लिए ताजी हरी सब्जियां उगा सकते हैं, बल्कि फूल एवं सुगंधित पौधों की कृषि कर अपने आसपास के माहौल को मनोरम बना सकते हैं.

सब्जियों के भाव छू रहे हैं आसमान
राजधानी लखनऊ के बख्शी तालाब में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निरंतर सुनने को आता है कि सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं और हमारे झोले का भार कम हो रहा है. अधिक पैसे खर्च करने के बावजूद भी हमें पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां भी नहीं मिलती हैं. एक सफल गृह वाटिका में क्या विशेषताएं होनी चाहिए, कौन-कौन सी सब्जियां ऋतु के आधार पर उगाई जानी चाहिए, इसकी जानकारी होना आवश्यक है. सफल गृह वाटिका उसको कहते हैं जिसमें कम से कम एक ऋतु में 15 से अधिक सब्जियां उगाई जाए. इसमें प्रमुख रूप से जायद ऋतु से यदि हम शुरुआत करते हैं तो कद्दू, तरोई, लौकी, भिंडी, परवल, करेला, मूली, लौकी, चौलाई, नारी पत्ती, घुइयां, जिमीकंद, बैंगन और टमाटर को हम आसानी से उगा सकते हैं और अक्टूबर-नवंबर तक हम इन सब्जियां का आनंद ले सकते हैं.

बीजों का पैकेट निर्धारित मूल्य पर उपलब्ध
आजकल सब्जी बीज विक्रेताओं के पास गृह वाटिका के लिए बीजों का पैकेट निर्धारित मूल्य पर उपलब्ध है. इन बीजों को आप निर्धारित दूरी पर पौधों की ऊंचाई के आधार पर इनकी बुवाई करें. यह ध्यान रखना है कि पूरब दिशा में कभी भी लंबी जाति वाली सब्जियां नहीं लगानी हैं. उत्तर, दक्षिण और पश्चिम दिशा में आपको मचान बनाकर सब्जियां लगानी चाहिए. मचान की ऊंचाई 5 फीट रखनी है. उचित जल प्रबंधन और जल निकास आवश्यक है. जब एक ही जगह पर थोड़े-थोड़े प्लॉट बनाकर के सब्जियां उगाई जाती हैं, तो निगरानी करने में भी समय कम लगता है. मुख्य रूप से गृह वाटिका में जो सब्जियां उगाई जाती हैं उनमें बीमारियां भी कम लगती हैं. कीटनाशक का बिल्कुल प्रयोग गृह वाटिका में नहीं करना चाहिए.

कीट लगने पर ये करें
गृह वाटिका से मिले हुए सूखी पत्तियों तथा घरों में जो थोड़ा सा बचा कचरा होता है, उसको एक 4 फीट गहरे और 4 फीट लंबा गड्ढा खोदकर उसमें डालकर जैविक खाद तैयार कर लें. इसी खाद का प्रयोग हम अपनी गृह वाटिका में करें. यदि कोई बीमारी या कीट लग जाती है, तो उसके लिए हम जैविक उत्पादों का प्रयोग करते हैं. जिसमें प्रमुख रुप से ब्यूबेरिया, बेसियाना और मेटारजियम एनीस्लोपी का प्रयोग किया जाता है. इन दोनों जैविक उत्पादों से 15 दिन के अंतराल पर अपनी गृह वाटिका में छिड़काव करते रहना चाहिए. खरीफ ऋतु में आद्रता अधिक होने पर बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है. इस समय ट्राइकोडरमा नामक जैविक फफूंदी नाशक का प्रयोग करना चाहिए. इसकी सेल्फ लाइफ भी अधिक होती है. 100 ग्राम तक ट्राइकोडरमा का पाउडर सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर पौधों की बुवाई करते समय उसी मिट्टी में मिला दें, तो बीमारियां कम लगती हैं.

यह भी पढ़ें: यूपी 4 करोड़ से ज्यादा कोरोना टेस्ट करने वाला देश का पहला राज्य बना

समय-समय पर करनी चाहिए सफाई
समय-समय पर सफाई करते रहें और गृह वाटिका को प्रबंधित करने के लिए सुबह का एक घंटा बहुत प्रभावी होता है. इस समय में हमें सूखी पत्तियां तोड़ना, उनके लिए मचान बनाना यह कार्य पूर्ण कर लेते हैं. आज बाजारों में सब्जियों के भाव बढ़ते चले जा रहे हैं. इन भावों के बढ़ने से जो समस्या प्रदेश के सामने आ रही है उससे भी हम निजात पा सकते हैं. यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा साधन बन जाता है.

लखनऊः कोरोना महामारी के दौर में हमारी आवाजाही सीमित हो चुकी है. ऐसे में हम कुछ रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं. इस दृष्टि से यदि बात किचन गार्डन की हो तो यह एक बेहतर कार्य हो सकता है, जिससे न सिर्फ हम अपने घरेलू उपयोग के लिए ताजी हरी सब्जियां उगा सकते हैं, बल्कि फूल एवं सुगंधित पौधों की कृषि कर अपने आसपास के माहौल को मनोरम बना सकते हैं.

सब्जियों के भाव छू रहे हैं आसमान
राजधानी लखनऊ के बख्शी तालाब में रहने वाले कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि निरंतर सुनने को आता है कि सब्जियों के भाव आसमान छू रहे हैं और हमारे झोले का भार कम हो रहा है. अधिक पैसे खर्च करने के बावजूद भी हमें पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां भी नहीं मिलती हैं. एक सफल गृह वाटिका में क्या विशेषताएं होनी चाहिए, कौन-कौन सी सब्जियां ऋतु के आधार पर उगाई जानी चाहिए, इसकी जानकारी होना आवश्यक है. सफल गृह वाटिका उसको कहते हैं जिसमें कम से कम एक ऋतु में 15 से अधिक सब्जियां उगाई जाए. इसमें प्रमुख रूप से जायद ऋतु से यदि हम शुरुआत करते हैं तो कद्दू, तरोई, लौकी, भिंडी, परवल, करेला, मूली, लौकी, चौलाई, नारी पत्ती, घुइयां, जिमीकंद, बैंगन और टमाटर को हम आसानी से उगा सकते हैं और अक्टूबर-नवंबर तक हम इन सब्जियां का आनंद ले सकते हैं.

बीजों का पैकेट निर्धारित मूल्य पर उपलब्ध
आजकल सब्जी बीज विक्रेताओं के पास गृह वाटिका के लिए बीजों का पैकेट निर्धारित मूल्य पर उपलब्ध है. इन बीजों को आप निर्धारित दूरी पर पौधों की ऊंचाई के आधार पर इनकी बुवाई करें. यह ध्यान रखना है कि पूरब दिशा में कभी भी लंबी जाति वाली सब्जियां नहीं लगानी हैं. उत्तर, दक्षिण और पश्चिम दिशा में आपको मचान बनाकर सब्जियां लगानी चाहिए. मचान की ऊंचाई 5 फीट रखनी है. उचित जल प्रबंधन और जल निकास आवश्यक है. जब एक ही जगह पर थोड़े-थोड़े प्लॉट बनाकर के सब्जियां उगाई जाती हैं, तो निगरानी करने में भी समय कम लगता है. मुख्य रूप से गृह वाटिका में जो सब्जियां उगाई जाती हैं उनमें बीमारियां भी कम लगती हैं. कीटनाशक का बिल्कुल प्रयोग गृह वाटिका में नहीं करना चाहिए.

कीट लगने पर ये करें
गृह वाटिका से मिले हुए सूखी पत्तियों तथा घरों में जो थोड़ा सा बचा कचरा होता है, उसको एक 4 फीट गहरे और 4 फीट लंबा गड्ढा खोदकर उसमें डालकर जैविक खाद तैयार कर लें. इसी खाद का प्रयोग हम अपनी गृह वाटिका में करें. यदि कोई बीमारी या कीट लग जाती है, तो उसके लिए हम जैविक उत्पादों का प्रयोग करते हैं. जिसमें प्रमुख रुप से ब्यूबेरिया, बेसियाना और मेटारजियम एनीस्लोपी का प्रयोग किया जाता है. इन दोनों जैविक उत्पादों से 15 दिन के अंतराल पर अपनी गृह वाटिका में छिड़काव करते रहना चाहिए. खरीफ ऋतु में आद्रता अधिक होने पर बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है. इस समय ट्राइकोडरमा नामक जैविक फफूंदी नाशक का प्रयोग करना चाहिए. इसकी सेल्फ लाइफ भी अधिक होती है. 100 ग्राम तक ट्राइकोडरमा का पाउडर सड़ी गोबर की खाद में मिलाकर पौधों की बुवाई करते समय उसी मिट्टी में मिला दें, तो बीमारियां कम लगती हैं.

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समय-समय पर करनी चाहिए सफाई
समय-समय पर सफाई करते रहें और गृह वाटिका को प्रबंधित करने के लिए सुबह का एक घंटा बहुत प्रभावी होता है. इस समय में हमें सूखी पत्तियां तोड़ना, उनके लिए मचान बनाना यह कार्य पूर्ण कर लेते हैं. आज बाजारों में सब्जियों के भाव बढ़ते चले जा रहे हैं. इन भावों के बढ़ने से जो समस्या प्रदेश के सामने आ रही है उससे भी हम निजात पा सकते हैं. यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी एक अच्छा साधन बन जाता है.

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