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ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय समिति गठित - ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय

लखनऊ के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. इस समिति के गठन का उद्देश्य भाषा विश्वविद्यालय की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए रूपरेखा तैयार करना है.

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय
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Published : Dec 30, 2020, 9:52 PM IST

लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में बुधवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया. इस समिति के गठन का उद्देश्य भाषा विश्वविद्यालय की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए रूपरेखा तैयार करना है.

समिति के गठन का उद्देश्य

विश्वविद्यालय के प्रवक्ता आशीष मिश्रा ने बताया कि यह उच्च स्तरीय समिति विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न भाषाओं के पाठ्यक्रम को रोजगार परक बनाने एवं विलुप्त हो रही स्वदेशी भाषाओं के पुनर्जागरण के लिए कार्य करेगी. भाषाओं पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने के लिए वह विलुप्त हो रही देशी भाषाओं के उत्थान के लिए देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिष्ठित आचार्य को समिति में शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि केएमसी विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसकी मुख्य अवधारणा भाषाओं के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही भाषाओं के संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाना है.

उन्होंने बताया कि समिति में उर्दू, फारसी, टर्किश, हिंदी, संस्कृत, पाली, अंग्रेजी, जर्मन, कोरियन, रशियन, जापानी, चाइनीस, फ्रेंच एवं अन्य भाषाओं के विशेषज्ञों को समिति में शामिल किया गया था. यह विशेषज्ञ राजधानी लखनऊ सहित देश के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के थे.

लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में बुधवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया. इस समिति के गठन का उद्देश्य भाषा विश्वविद्यालय की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए रूपरेखा तैयार करना है.

समिति के गठन का उद्देश्य

विश्वविद्यालय के प्रवक्ता आशीष मिश्रा ने बताया कि यह उच्च स्तरीय समिति विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न भाषाओं के पाठ्यक्रम को रोजगार परक बनाने एवं विलुप्त हो रही स्वदेशी भाषाओं के पुनर्जागरण के लिए कार्य करेगी. भाषाओं पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाने के लिए वह विलुप्त हो रही देशी भाषाओं के उत्थान के लिए देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिष्ठित आचार्य को समिति में शामिल किया गया है. उन्होंने बताया कि केएमसी विश्वविद्यालय प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसकी मुख्य अवधारणा भाषाओं के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही भाषाओं के संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों को रोजगार परक बनाना है.

उन्होंने बताया कि समिति में उर्दू, फारसी, टर्किश, हिंदी, संस्कृत, पाली, अंग्रेजी, जर्मन, कोरियन, रशियन, जापानी, चाइनीस, फ्रेंच एवं अन्य भाषाओं के विशेषज्ञों को समिति में शामिल किया गया था. यह विशेषज्ञ राजधानी लखनऊ सहित देश के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय के थे.

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