लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में होम्योपैथी के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में संविदा पर तैनात किये गए पैरा मेडिकल और नॉन पैरामेडिकल स्टाफ को हटाने के आदेश को खारिज कर उन्हें पुनः उनकी जगह पर तैनात करने के एकल पीठ के आदेश का अनुपालन न करने पर सख्त रूख अपनाया है. न्यायालय ने इस सम्बन्ध में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि 'अगली सुनवाई तक याचियों के सम्बन्ध में पारित आदेश का अनुपालन किया जाए, अन्यथा अपर मुख्य सचिव आयुष लीना जौहरी कोर्ट के समक्ष हाजिर होकर स्पष्टीकरण दें. मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी.'
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने डॉ. विरशेष मिश्रा व अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया. याचियों की ओर से कहा गया था कि एकल पीठ ने 31 मार्च 2022 को पारित आदेश में दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा था कि याचियों की तैनाती 27 अक्टूबर 2017 को जारी एक शासनादेश के तहत की गई थी, लेकिन उन्हें संविदा का समय पूरा होने से पहले ही हटा दिया गया था जो कि गलत था. एकल पीठ ने याचियों को उनकी जगह तैनात करने और उनके कार्य के गुण दोष के आधार पर उनकी संविदा बढ़ाने का आदेश दिया था. उक्त आदेश के विरुद्ध सरकार ने पहले विशेष अपील दाखिल की, जिसे दो सदस्यीय खंडपीठ ने खारिज कर दिया और बाद में सरकार की याचिका शीर्ष अदालत से भी खारिज हो गई.
अवमानना याचिका पेश कर कहा गया है कि एकल पीठ के 27 अक्टूबर 2017 के आदेश का अनुपालन अभी तक नहीं किया है, वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि याचियों की बहाली के लिए प्रमुख सचिव ने निदेशक होम्योपैथी को आदेश का अनुपालन करने का आदेश दिया है और शीघ्र ही आदेश का पूरा अनुपालन कर दिया जाएगा.