लखनऊ: गोमती नदी के किनारे स्थित लक्ष्मण टीला स्थित लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव मंदिर व मस्जिद प्रकरण में हिन्दू पक्ष की ओर से सिविल कोर्ट में दाखिल मुकदमे को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रतिवादियों को जवाबी हलफ़नामा दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने मौलाना सैयद शाह फजलुल मन्नान की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) साउथ द्वारा पारित 25 सितंबर 2017 के आदेश को चुनौती दी गई थी. उक्त आदेश में सिविल जज ने हिन्दू पक्ष की ओर से दाखिल वाद को खारिज किए जाने के सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था. उक्त आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को अपर जिला जज ने भी खारिज कर दिया था. वर्तमान याचिका में अपर जिला जज के आदेश को भी चुनौती दी गई है.
याची की ओर से दलील दी गई है कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के तहत हिन्दू पक्ष की ओर से दाखिल वाद पोषणीय है. वहीं याचिका का विरोध करते हुए, हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता हरी शंकर जैन ने दलील दी कि उक्त मामले में प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट लागू ही नहीं होता. कहा गया कि निगरानी अदालत ने भी अपने आदेश में कहा है कि लॉर्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से दाखिल सिविल वाद पोषणीय है तथा निचली अदालत को वाद की सुनवाई करने एवं निर्णय करने का पूर्ण क्षेत्राधिकार प्राप्त है.
उल्लेखनीय है कि निचली अदालत के समक्ष मालिकाना हक को लेकर यह वाद वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं रंजना अग्निहोत्री द्वारा दाखिल किया गया था. पत्रावली के अनुसार वर्ष 2013 में लार्ड शेष नागेश टीलेश्वर महादेव की ओर से सिविल जज जूनियर डिविजन (साउथ) लखनऊ की अदालत में एक नियमित वाद दायर किया गया था जिसमें यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य पक्षकार बनाए गए थे. निचली अदालत में दाखिल इस नियमित वाद में मांग की गई थी कि टीले वाली मस्जिद के अंदर लॉर्ड शेष नागेश का मंदिर है जिसको वहां पर एक समुदाय विशेष के लोगों द्वारा नुकसान पहुंचाया गया है. नियमित वाद के माध्यम से कहा गया था कि इस टीले वाले स्थान का मालिकाना हक उन्हें दिलाया जाए तथा पूजा अर्चना की भी अनुमति दी जाए.