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राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री का आदर करना प्रत्येक नागरिक का आवश्यक दायित्व : हाईकोर्ट - लखनऊ की खबरें

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जमानत याचिका पर पारित अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री का आदर करना प्रत्येक नागरिक का आवश्यक दायित्व है.

हाईकोर्ट
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Published : Oct 26, 2021, 9:27 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जमानत याचिका पर पारित अपने आदेश में कहा है कि प्रत्येक नागरिक का यह आवश्यक कर्तव्य है कि वह देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सभी संवैधानिक व्यक्तियों का सम्मान करें. न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे हुए किसी भी व्यक्ति को किसी वर्ग या धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता है. क्योंकि वे देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं.


न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमर्यादित सम्पादित फोटो, व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करने के अभियुक्त मोहम्मद आफाक कुरैशी की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए की. अमीनाबाद थाने में दर्ज एफआईआर में अभियुक्त पर आरोप लगाया गया है कि उसने स्थानीय थाने के धानाध्यक्ष द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में उक्त अमर्यादित तस्वीर भेजी थी. जमानत याचिका में अभियुक्त की ओर से न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी गई थी और दलील दी गई कि वह साल का बुजूर्ग व्यक्ति है. जो न तो अधिक पढा-लिखा है और न ही इस प्रकार का फोटो सम्पादन करने में समर्थ है.

इसे भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी हिंसाः बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या के आरोप में दो आरोपी गिरफ्तार

सफाई दी गई कि उसके मोबाइल का किसी ने उसे फंसाने की मंशा से इस्तेमाल कर लिया है. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वे धार्मिक भावनाएं भड़काने व दो वर्गों के बीच शत्रुता उतपन्न करने के अपराध से सम्बंधित हैं. न्यायालय ने इसी पर कहा कि प्रधानमंत्री को किसी वर्ग या धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता. अभियुक्त की माफी व अन्य सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत दे दी.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जमानत याचिका पर पारित अपने आदेश में कहा है कि प्रत्येक नागरिक का यह आवश्यक कर्तव्य है कि वह देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सभी संवैधानिक व्यक्तियों का सम्मान करें. न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री या संवैधानिक पद पर बैठे हुए किसी भी व्यक्ति को किसी वर्ग या धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता है. क्योंकि वे देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं.


न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमर्यादित सम्पादित फोटो, व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करने के अभियुक्त मोहम्मद आफाक कुरैशी की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए की. अमीनाबाद थाने में दर्ज एफआईआर में अभियुक्त पर आरोप लगाया गया है कि उसने स्थानीय थाने के धानाध्यक्ष द्वारा बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप में उक्त अमर्यादित तस्वीर भेजी थी. जमानत याचिका में अभियुक्त की ओर से न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी गई थी और दलील दी गई कि वह साल का बुजूर्ग व्यक्ति है. जो न तो अधिक पढा-लिखा है और न ही इस प्रकार का फोटो सम्पादन करने में समर्थ है.

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सफाई दी गई कि उसके मोबाइल का किसी ने उसे फंसाने की मंशा से इस्तेमाल कर लिया है. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वे धार्मिक भावनाएं भड़काने व दो वर्गों के बीच शत्रुता उतपन्न करने के अपराध से सम्बंधित हैं. न्यायालय ने इसी पर कहा कि प्रधानमंत्री को किसी वर्ग या धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता. अभियुक्त की माफी व अन्य सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत न्यायालय ने अभियुक्त को जमानत दे दी.

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