लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी गवर्नमेंट सर्वेंट रूल्स 1991 के नियम 8 के उपनियम 3 को स्पष्ट करते हुए कहा है कि सीधी भर्ती से नियुक्त हुए सहायक आयुक्तों और प्रोन्नति पाकर इस पद पर नियुक्त हुए सहायक आयुक्तों में कोई भेद नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही न्यायालय ने वाणिज्य कर विभाग में वर्ष 2012 में सहायक आयुक्तों को उपायुक्त के पदों पर प्रोन्नति देने के लिए तैयार की गई संयुक्त वरिष्ठता सूची को सही करार दिया है. न्यायालय ने कहा है कि उक्त सूची के आधार पर वर्ष 2014 में किये गए पदोन्नतियों में दखल देने की कोई आवश्यकता नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने प्रोन्नत उपायुक्तों में से कुछ की ओर से दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया. याचियों ने 9 अगस्त 2012 में बनी वरिष्ठता सूची को चुनौती दी थी. उक्त सूची में सीधे और प्रोन्नत सहायक आयुक्तों की वरिष्ठता एक साथ निर्धारित की गई थी. याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि उनकी सहायक आयुक्त के पदों पर उनकी नियुक्ति सीधे हुई थी. लिहाजा, उन्हें उन सहायक आयुक्तों से वरीयता मिलनी चाहिए, जो प्रोन्नति पाकर इस पद आए हैं.
न्यायालय ने यूपी गवर्नमेंट सर्वेंट रूल्स 1991 के नियम 8 के उपनियम 3 की व्याख्या करते हुए कहा कि सीधे नियुक्त सहायक आयुक्त और प्रोन्नत होकर बने सहायक आयुक्त की नियुक्ति एक ही वर्ष 2008-09 में हुई थी. लिहाजा, जब सहायक आयुक्त के पद पर सबकी नियुक्ति का वर्ष एक ही है तो उनकी वरिष्ठता सूची भी एक ही बनेगी और ऐसा करके राज्य सरकार ने कुछ भी गलत नहीं किया है.