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बहन की शादी का झूठा आधार लेकर जमानत मांगना पड़ा भारी

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Published : May 26, 2021, 12:41 AM IST

सगी बहन की शादी का झूठा आधार लेकर जमानत मांगना एक अभियुक्त को भारी पड़ गया. न्यायालय ने उक्त तथ्य की जानकारी होने के बाद अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट.
हाईकोर्ट.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष बंदी को अल्प अवधि की जमानत प्राप्त करने के लिए सगी बहन की शादी का झूठा आधार बताना काम नहीं आया. न्यायालय ने अभियुक्त की अल्प अवधि जमानत याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने अर्जुन यादव की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त का कहना था कि 29 मई को उसके सगी बहन की शादी है, लिहाजा उसे शादी में शामिल होने के लिए अल्प अवधि जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाए.

अभियुक्त ने दी थी गलत जानकारी
वहीं, सरकारी वकील ने न्यायालय को जानकारी दी कि स्थानीय थाने से प्राप्त सूचना के अनुसार अभियुक्त के रिश्तेदारी में एक लड़की की शादी है. सगी बहन की शादी की बात पूरी तरह गलत है. यह भी कहा गया कि यदि अभियुक्त को रिहा किया गया, तो यह अभियोजन के हित में नहीं होगा. न्यायालय ने उक्त तथ्य की जानकारी होने के बाद अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

उल्लेखनीय है कि अभियुक्त दहेज मृत्यु, पीड़िता के साथ क्रूरता तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत जेल में है. पूर्व में उसकी एक जमानत याचिका पैरवी के अभाव में खारिज भी हो चुकी है. अभियुक्त ने गिरफ्तारी से पूर्व एफआईआर निरस्त करने की भी याचिका दाखिल की थी. उक्त याचिका को भी हाईकोर्ट खारिज कर चुकी है.

पढ़ें- हत्या के आरोपी को ढूंढती रही पुलिस, उसने ली प्रधान पद की शपथ

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष बंदी को अल्प अवधि की जमानत प्राप्त करने के लिए सगी बहन की शादी का झूठा आधार बताना काम नहीं आया. न्यायालय ने अभियुक्त की अल्प अवधि जमानत याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने अर्जुन यादव की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त का कहना था कि 29 मई को उसके सगी बहन की शादी है, लिहाजा उसे शादी में शामिल होने के लिए अल्प अवधि जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाए.

अभियुक्त ने दी थी गलत जानकारी
वहीं, सरकारी वकील ने न्यायालय को जानकारी दी कि स्थानीय थाने से प्राप्त सूचना के अनुसार अभियुक्त के रिश्तेदारी में एक लड़की की शादी है. सगी बहन की शादी की बात पूरी तरह गलत है. यह भी कहा गया कि यदि अभियुक्त को रिहा किया गया, तो यह अभियोजन के हित में नहीं होगा. न्यायालय ने उक्त तथ्य की जानकारी होने के बाद अभियुक्त की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

उल्लेखनीय है कि अभियुक्त दहेज मृत्यु, पीड़िता के साथ क्रूरता तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत जेल में है. पूर्व में उसकी एक जमानत याचिका पैरवी के अभाव में खारिज भी हो चुकी है. अभियुक्त ने गिरफ्तारी से पूर्व एफआईआर निरस्त करने की भी याचिका दाखिल की थी. उक्त याचिका को भी हाईकोर्ट खारिज कर चुकी है.

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