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कालीचरण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य के निलंबन पर रोक से हाईकोर्ट का इनकार

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कालीचरण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. महेंद्र नाथ राय के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

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Published : Sep 22, 2022, 9:25 PM IST

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के जाने-माने कालीचरण इंटर कॉलेज (Kalicharan Inter College) के प्रधानाचार्य डॉ. महेंद्र नाथ राय के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रधानाचार्य के खिलाफ चल रही कार्यवाही में पारित आदेश, कोर्ट के आदेशों के अधीन होगा. डॉ. महेंद्र नाथ राय पर सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी करने का आरोप है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने प्रधानाचार्य की याचिका पर पारित किया. याचिका में मैनेजमेंट कमेटी के 25 मई 2022 के याची को निलंबित किए जाने के प्रस्ताव और डीआईओएस द्वारा जारी 21 जून 2022 के निलम्बन आदेश को चुनौती दी गई है. दलील दी गई है कि दोनों आदेश क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर और बिना कोई कारन दर्ज किए, पारित किए गए हैं. यह भी कहा गया कि डीआईओएस ने याची को बिना सुनवाई का मौका दिए, निलम्बन आदेश पारित किया है लिहाजा यह अविधिक है. याचिका का विरोध करते हुए, मैनेजमेंट कमेटी की ओर से दलील दी गई कि याची पर गम्भीर आरोप हैं, ऐसे में डीआईओएस द्वारा कार्यवाही में की गई अनियमितता का लाभ याची को नहीं दिया जा सकता.

यह भी पढ़ें- गिरधारी के एनकाउंटर में जांच आयोग ने लखनऊ पुलिस को दी क्लीन चिट

कहा गया कि याची को प्रधानाचार्य के तौर पर काम करने देना कॉलेज के हित में नहीं होगा. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि अब तक यह नहीं पाया गया है कि मैनेजमेंट कमेटी किसी दुर्भावना से ग्रसित है. लिहाजा किसी भी त्रुटि के आधार पर न्यायालय द्वारा मामले में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के जाने-माने कालीचरण इंटर कॉलेज (Kalicharan Inter College) के प्रधानाचार्य डॉ. महेंद्र नाथ राय के निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रधानाचार्य के खिलाफ चल रही कार्यवाही में पारित आदेश, कोर्ट के आदेशों के अधीन होगा. डॉ. महेंद्र नाथ राय पर सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी करने का आरोप है.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने प्रधानाचार्य की याचिका पर पारित किया. याचिका में मैनेजमेंट कमेटी के 25 मई 2022 के याची को निलंबित किए जाने के प्रस्ताव और डीआईओएस द्वारा जारी 21 जून 2022 के निलम्बन आदेश को चुनौती दी गई है. दलील दी गई है कि दोनों आदेश क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर और बिना कोई कारन दर्ज किए, पारित किए गए हैं. यह भी कहा गया कि डीआईओएस ने याची को बिना सुनवाई का मौका दिए, निलम्बन आदेश पारित किया है लिहाजा यह अविधिक है. याचिका का विरोध करते हुए, मैनेजमेंट कमेटी की ओर से दलील दी गई कि याची पर गम्भीर आरोप हैं, ऐसे में डीआईओएस द्वारा कार्यवाही में की गई अनियमितता का लाभ याची को नहीं दिया जा सकता.

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कहा गया कि याची को प्रधानाचार्य के तौर पर काम करने देना कॉलेज के हित में नहीं होगा. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने आदेश में कहा कि अब तक यह नहीं पाया गया है कि मैनेजमेंट कमेटी किसी दुर्भावना से ग्रसित है. लिहाजा किसी भी त्रुटि के आधार पर न्यायालय द्वारा मामले में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा.

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