लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार के पास लंबित पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पर फैसला आने तक लेवाना होटल की बिल्डिंग के धवस्तीकरण के सम्बंध में एलडीए को किसी प्रकार के उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया है. न्यायालय ने कहा है कि सरकार लम्बित पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को तीन सप्ताह में तय करे. मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल पीठ ने लेवाना हॉस्पिटलिटी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है.
याची की ओर से कहा गया कि एलडीए ने 9 नवंबर 2022 को होटल को ढहाने का आदेश कर दिया है. जिसके खिलाफ याची का पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र सरकार के समक्ष लम्बित है. कहा गया कि याची को बिना सुनवाई का समुचित मौका दिए ही उक्त आदेश पारित किया गया है. जबकि याची नक्शे का प्रशमन करने के लिए तैयार है. न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि मामले में विचार की आवश्यकता है.
शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय स्कॉलर को पूरी करने दे पीएचडी: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ. शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि पांच साल एक पीएचडी स्कॉलर को कोर्स करने की अनुमति देना. बाद में यह कहकर उसे पीएचडी करने से रोक देना कि उसके दाखिले में कुछ कानूनी खामियां थीं, सही नहीं है. न्यायालय ने कहा कि याची स्कॉलर को पीएचडी पूरी करने की अनुमति दी जाए और इसके लिए उसका एक साल का पीरियड भी बढ़ाया जाए.
न्यायालय ने आगे कहा कि स्कॉलर से फीस जमाकर उसे पीएचडी पूरी करने की अनुमति दी जाए. न्यायालय ने मामले पर टिप्पणी करते हुए यह भी कहा देश में पहले ही रिसर्च स्कॉलर की कमी है. ऐसे में विश्वविद्यालय का निर्णय उचित नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने याची पल्लवी सोनी की ओर से दाखिल याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया. याची का तर्क था कि उसने 2015 में विश्वविद्यालय में पीएचडी में दाखिला लिया था. विश्वविद्यालय ने तकनीकी आधारों पर याची का दाखिला 2019 में खारिज कर दिया, जिसे उसने कोर्ट में चुनौती दी थी.
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