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सरकार को हाई कोर्ट का आदेश, शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर करें विचार

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सरकार को आदेश दिया है कि सरकार इस पर विचार करे. साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने में ही निर्णय लेने को कहा है.

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Published : Jan 21, 2020, 2:31 AM IST

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लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पुरानी पेंशन बहाली के संबंध में यदि उसे याचियों की ओर से प्रत्यावेदन दिया जाता है तो इस पर वह विचार करें और तीन माह में निर्णय ले. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल सदस्यीय पीठ ने शशांक कुमार पांडेय व 109 अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: पूर्व IPS अधिकारी एसआर दारापुरी पहुंचे घंटाघर, CAA के खिलाफ प्रदर्शन का किया समर्थन

याचियों का विशिष्ट बीटीसी में चयन होने के उपरांत दिसम्बर 2005 में नियुक्ति हुई थी. राज्य सरकार ने दिसम्बर 2005 व इसके बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों के सम्बंध में पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त करके नई व्य्वस्था लागू कर दी. न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचियों को दो सप्ताह में प्रत्यावेदन देने को कहा है. साथ ही सरकार को तीन माह में इस पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं. हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है.

हाईकोर्ट ने LDA की 14 कॉलोनियों के विकास कार्य की तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपर मुख्य सचिव, आवास की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. उक्त कमेटी को शहर की 14 कॉलोनियों के विकास कार्य का निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. न्यायालय ने तीन माह में रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सीडी सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने गोमती नगर जनकल्याण महासमिति की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर दिया है.

याची की ओर से मंडलायुक्त और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि उक्त अधिकारियों ने रिट कोर्ट के 4 सितम्बर 2015 के आदेश का अनुपालन अब तक नहीं किया है. उक्त आदेश में दो सदस्यीय खंडपीठ ने एलडीए की कॉलोनियों में सीवेज, सड़क व पानी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं को एक वर्ष में पूर्ण करने का आदेश दिया था. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि बिना विकसित किये कॉलोनियों को नगर निगम और जलकल विभाग को स्थानांतरित न किया जाए. याचिका का एलडीए व नगर निगम की ओर से विरोध किया गया. कहा गया कि उन्होंने न्यायालय के किसी भी आदेश की अवहेलना नहीं की है.

इसे भी पढ़ें- मोदी, योगी, शाह और मोहन भागवत रखेंगे राम मंदिर की पहली ईंट: परमहंस दास

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अपर मुख्य सचिव, आवास की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर 14 कॉलोनियों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है. अपर मुख्य सचिव के अलावा कमेटी में मंडलायुक्त, लखनऊ डिविजन के सहयोग से प्रमुख सचिव नगर विकास, जिलाधिकारी लखनऊ, उपाध्यक्ष एलडीए व नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ होंगे.

जिन कॉलोनियों का निरीक्षण उक्त कमेटी को करना है, वे हैं- गोमती नगर विस्तार के फेज-1 के सेक्टर 1 से 5 और फेज-2 के सेक्टर 1 से 4 के आवासीय और व्यवसायिक, सेक्टर-H जानकीपुरम योजना, रतन खंड शारदा नगर योजना, कानपुर रोड योजना विस्तार सेक्टर-I व सेक्टर-J.

न्यायालय ने तीन माह में इन कॉलोनियों के सीवेज, सड़क व पानी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के सम्बंध में रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है. मामले की अग्रिम सुनवाई 22 अप्रैल को होगी.

लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पुरानी पेंशन बहाली के संबंध में यदि उसे याचियों की ओर से प्रत्यावेदन दिया जाता है तो इस पर वह विचार करें और तीन माह में निर्णय ले. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल सदस्यीय पीठ ने शशांक कुमार पांडेय व 109 अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है.

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याचियों का विशिष्ट बीटीसी में चयन होने के उपरांत दिसम्बर 2005 में नियुक्ति हुई थी. राज्य सरकार ने दिसम्बर 2005 व इसके बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों के सम्बंध में पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त करके नई व्य्वस्था लागू कर दी. न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचियों को दो सप्ताह में प्रत्यावेदन देने को कहा है. साथ ही सरकार को तीन माह में इस पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं. हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है.

हाईकोर्ट ने LDA की 14 कॉलोनियों के विकास कार्य की तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपर मुख्य सचिव, आवास की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. उक्त कमेटी को शहर की 14 कॉलोनियों के विकास कार्य का निरीक्षण करके रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. न्यायालय ने तीन माह में रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सीडी सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने गोमती नगर जनकल्याण महासमिति की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर दिया है.

याची की ओर से मंडलायुक्त और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि उक्त अधिकारियों ने रिट कोर्ट के 4 सितम्बर 2015 के आदेश का अनुपालन अब तक नहीं किया है. उक्त आदेश में दो सदस्यीय खंडपीठ ने एलडीए की कॉलोनियों में सीवेज, सड़क व पानी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं को एक वर्ष में पूर्ण करने का आदेश दिया था. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि बिना विकसित किये कॉलोनियों को नगर निगम और जलकल विभाग को स्थानांतरित न किया जाए. याचिका का एलडीए व नगर निगम की ओर से विरोध किया गया. कहा गया कि उन्होंने न्यायालय के किसी भी आदेश की अवहेलना नहीं की है.

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न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अपर मुख्य सचिव, आवास की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर 14 कॉलोनियों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है. अपर मुख्य सचिव के अलावा कमेटी में मंडलायुक्त, लखनऊ डिविजन के सहयोग से प्रमुख सचिव नगर विकास, जिलाधिकारी लखनऊ, उपाध्यक्ष एलडीए व नगर आयुक्त नगर निगम लखनऊ होंगे.

जिन कॉलोनियों का निरीक्षण उक्त कमेटी को करना है, वे हैं- गोमती नगर विस्तार के फेज-1 के सेक्टर 1 से 5 और फेज-2 के सेक्टर 1 से 4 के आवासीय और व्यवसायिक, सेक्टर-H जानकीपुरम योजना, रतन खंड शारदा नगर योजना, कानपुर रोड योजना विस्तार सेक्टर-I व सेक्टर-J.

न्यायालय ने तीन माह में इन कॉलोनियों के सीवेज, सड़क व पानी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के सम्बंध में रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा है. मामले की अग्रिम सुनवाई 22 अप्रैल को होगी.

‘शिक्षकों के पुरानी पेंशन बहाली की मांग पर विचार करे सरकार’
विधि संवाददाता
लखनऊ
। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पुरानी पेंशन बहाली के सम्बंध में यदि उसे याचियों की ओर से प्रत्यावेदन दिया जाता है तो इस पर वह विचार कर, तीन माह में निर्णय ले। यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल सदस्यीय पीठ ने शशांक कुमार पांडेय व 109 अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचियों का विशिष्ट बीटीसी में चयन होने के उपरांत दिसम्बर 2005 में नियुक्ति हुई थी। लेकिन राज्य सरकार ने दिसम्बर 2005 व इसके बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों के सम्बंध में पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर, नई व्य्वस्था लागू कर दी। न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए, याचियों को दो सप्ताह में प्रत्यावेदन देने को कहा है व सरकार को तीन माह में इस पर निर्णय लेने के निर्देश दिये हैं। हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है।   


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Chandan Srivastava
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