लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चालीस साल पुरानी एक अपील को निर्णित करते हुए हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा पाए अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया है. न्यायालय ने अपने फैसले में कथित प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही को भरोसे के लायक नहीं माना है.
ये निर्णय न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने राधेश्याम समेत चार की ओर से साल 1982 में दाखिल अपील पर पारित किया है. अपील के विराधीन रहने के दौरान इनमें से तीन अपीलार्थियों की मौत हो चुकी थी. सिर्फ एक अपीलार्थी राजकुमार ही जीवित रह गया है. मामला हरदोई जिले के पिहानी थाने का है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 19 सितम्बर 1981 को अभियुक्तों ने श्रीपाल नाम के शख्स की हत्या धारदार हथियार से कर दी थी. हमलावर उसका सिर काटकर ले गए थे.
न्यायालय ने गवाहों के बयानों पर गौर करने पर पाया कि उनमें काफी विरोधाभाष है. न्यायालय ने कहा कि अभियोजन के मुताबिक अभियुक्त खतरनाक हथियारों से लैस होकर आए थे, और मृतक को ललकारा था. न्यायालय ने कहा कि अभियोजन की कहानी को मानें तो इसके बावजूद मृतक ने खुद को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया.
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वहीं खड़ा होकर अभियुक्तों के अपने पास आने का इंतजार करता रहा. न्यायालय ने कहा कि यह भरोसेमंद बात नहीं लगती. वहीं प्रत्यक्षदर्शियों ने भी मृतक को बचाने का कोई प्रयास किया हो, यह भी बात अभियोजन नहीं बता सका. ऐसे तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद न्यायालय ने राजकुमार की अपील स्वीकार कर ली.