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High Court News : देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में सजा काट रहे अभियुक्त को जमानत

देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश में सजा काट रहे अभियुक्त मोहम्मद तारिक काशमी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है. मोहम्मद तारिक काशमी को बाराबंकी कोर्ट ने वर्ष 2015 में उम्र कैद की सजा सुनाई थी.

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Published : Mar 28, 2023, 10:38 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2007 में सवा किलो आरडीएक्स के साथ गिरफ्तार किए गए आतंकवाद के अभियुक्त मोहम्मद तारिक काशमी का जमानत प्रार्थना पत्र मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने काशमी को अपने स्थानीय पुलिस थाने पर अपनी जानकारी देते रहने व पासपोर्ट सरेंडर करने का भी आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मोहम्मद तारिक काशमी की अपील के साथ दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त अपील के द्वारा तारिक काशमी ने 24 अप्रैल 2015 के बाराबंकी कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी हुई है. जिसमें उसे विस्फोटक अधिनियम, यूएपीए व देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोपों में दोष सिद्ध किया गया था और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. अपील के साथ दाखिल जमानत प्रार्थना पत्र पर काशमी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि उसके पास से सवा किलो आरडीएक्स और तीन डेटोनेटर की फर्जी बरामदगी दिखाई गई थी. इसके बाद सिर्फ पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर उसे सजा सुना दी गई. जमानत प्रार्थना पत्र का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश वर्मा विरोध ने किया. दलील दी गई कि मात्र पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर अपीलार्थी को दोषसिद्ध करने में ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की है.


न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस के उपरांत पारित अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी के पास से हुई बरामदगी के आधार पर ट्रायल चलाया गया. जबकि बरामदगी का किसी दूसरे अपराध से सम्बंध अभियोजन ने साबित नहीं किया है. न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वर्तमान मुकदमे से पूर्व की अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास भी सामने नहीं आया है. इन सभी तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने मामले में जमानत का पर्याप्त आधार माना.


यह भी पढ़ें : Corona Virus in Lucknow : आठ कोविड पॉजिटिव मरीज मिले, 27 हुए एक्टिव केस

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2007 में सवा किलो आरडीएक्स के साथ गिरफ्तार किए गए आतंकवाद के अभियुक्त मोहम्मद तारिक काशमी का जमानत प्रार्थना पत्र मंजूर कर लिया है. न्यायालय ने काशमी को अपने स्थानीय पुलिस थाने पर अपनी जानकारी देते रहने व पासपोर्ट सरेंडर करने का भी आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने मोहम्मद तारिक काशमी की अपील के साथ दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पारित किया. उक्त अपील के द्वारा तारिक काशमी ने 24 अप्रैल 2015 के बाराबंकी कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती दी हुई है. जिसमें उसे विस्फोटक अधिनियम, यूएपीए व देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के आरोपों में दोष सिद्ध किया गया था और उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. अपील के साथ दाखिल जमानत प्रार्थना पत्र पर काशमी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि उसके पास से सवा किलो आरडीएक्स और तीन डेटोनेटर की फर्जी बरामदगी दिखाई गई थी. इसके बाद सिर्फ पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर उसे सजा सुना दी गई. जमानत प्रार्थना पत्र का राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश वर्मा विरोध ने किया. दलील दी गई कि मात्र पुलिसकर्मियों की गवाही के आधार पर अपीलार्थी को दोषसिद्ध करने में ट्रायल कोर्ट ने कोई गलती नहीं की है.


न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस के उपरांत पारित अपने आदेश में कहा कि अपीलार्थी के पास से हुई बरामदगी के आधार पर ट्रायल चलाया गया. जबकि बरामदगी का किसी दूसरे अपराध से सम्बंध अभियोजन ने साबित नहीं किया है. न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वर्तमान मुकदमे से पूर्व की अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास भी सामने नहीं आया है. इन सभी तथ्यों को देखते हुए न्यायालय ने मामले में जमानत का पर्याप्त आधार माना.


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