लखनऊ: हाथरस मामले में 25 नवंबर को हुई सुनवाई पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश पारित किया है. अपने आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को पीड़िता के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिये जाने के सरकार के आश्वासन पर अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान द्वारा 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर उक्त आदेश पारित किया. मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का आश्वासन दिया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है. इस पर न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को इस संबंध में निर्देश प्राप्त कर अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
वहीं परिवार की अधिवक्ता ने यह भी बताया कि परिवार ने मुआवजे से कभी इनकार नहीं किया. मामले की पूर्व की सुनवाई के दौरान परिवार के एक सदस्य ने कह दिया था कि हमने जब बेटी खो दी तो कोई मुआवजा उस कमी को पूरा नहीं कर सकता, लेकिन इसका यह आशय नहीं है कि परिवार मुआवजा से इनकार कर रहा है. दरअसल, अधिवक्ता ने यह बात जिलाधिकारी हाथरस द्वारा 23 अक्टूबर को भेजे गए पत्र के बावत उठाई. इसमें मुआवजा स्वीकार करने के बारे में विचार स्पष्ट करने को कहा गया है.
न्यायालय ने मीडिया से उक्त घटना के संबंध में आए सभी सामग्रियों को मामले की फाइल के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. उल्लेखनीय है कि सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 10 दिसंबर तक जांच पूरी होने की संभावना जताई गई थी, जबकि जिलाधिकारी प्रवीण कुमार को न हटाए जाने के अपने फैसले का राज्य सरकार ने बचाव किया था.
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