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गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने की जनहित याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज - लखनऊ बेंच हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि हम इस विषय पर विचार नहीं कर सकते.

जनहित याचिका खारिज
जनहित याचिका खारिज
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Published : Nov 26, 2020, 8:00 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में श्रीमद्भागवत गीता को बेसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक एक विषय के तौर पर पढ़ाने की मांग की गई थी. हालांकि न्यायालय ने कहा कि पाठ्यक्रम में किसी विषय को जोड़ने अथवा घटाने पर हाईकोर्ट विचार नहीं कर सकता.

पाठ्यक्रम में शामिल करने की थी मांग

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने ब्रह्मा शंकर शास्त्री की याचिका पर पारित किया. याचिका में भारतीय मूल्यों और आदर्शों से छात्रों को रुबरु कराने के उद्देश्य से श्रीमद्भागवत गीता को बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा में एक विषय के तौर पर शामिल करने व पढ़ाने की मांग की गई थी. हालांकि न्यायालय ने याचिका को पूरी तरह अस्पष्ट और मिथ्या करार दिया.

संबंधित शैक्षिक बोर्ड के पास जाने के लिए कहा

न्यायालय ने कहा कि यदि याची श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहता है तो उसे सम्बंधित शैक्षिक बोर्ड जैसे हाई स्कूल या इंटरमीडिएट एजुकेशन के समक्ष जाना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि बोर्ड ही इस बात पर अच्छे से विचार कर सकती है कि श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में एक विषय के तौर पर शामिल किया जा सकता है अथवा नहीं. न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह कोर्ट किसी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने अथवा न करने के प्रश्न पर विचार नहीं कर सकती है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में श्रीमद्भागवत गीता को बेसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक एक विषय के तौर पर पढ़ाने की मांग की गई थी. हालांकि न्यायालय ने कहा कि पाठ्यक्रम में किसी विषय को जोड़ने अथवा घटाने पर हाईकोर्ट विचार नहीं कर सकता.

पाठ्यक्रम में शामिल करने की थी मांग

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने ब्रह्मा शंकर शास्त्री की याचिका पर पारित किया. याचिका में भारतीय मूल्यों और आदर्शों से छात्रों को रुबरु कराने के उद्देश्य से श्रीमद्भागवत गीता को बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा व उच्च शिक्षा में एक विषय के तौर पर शामिल करने व पढ़ाने की मांग की गई थी. हालांकि न्यायालय ने याचिका को पूरी तरह अस्पष्ट और मिथ्या करार दिया.

संबंधित शैक्षिक बोर्ड के पास जाने के लिए कहा

न्यायालय ने कहा कि यदि याची श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कराना चाहता है तो उसे सम्बंधित शैक्षिक बोर्ड जैसे हाई स्कूल या इंटरमीडिएट एजुकेशन के समक्ष जाना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि बोर्ड ही इस बात पर अच्छे से विचार कर सकती है कि श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में एक विषय के तौर पर शामिल किया जा सकता है अथवा नहीं. न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह कोर्ट किसी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने अथवा न करने के प्रश्न पर विचार नहीं कर सकती है.

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