लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व अपर मुख्य सचिव, वित्त प्रशांत त्रिवेदी के खिलाफ दोबारा जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है. यह आदेश आयुवेर्दिक व यूनानी चिकित्साधिकारियों को डायनमिक/विशिष्ट एसीपी का लाभ दिए जाने के आदेश का अनुपालन न होने और जमानतीय वारंट जारी होने के बावजूद कोर्ट के समक्ष हाजिर न कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दिया है. न्यायालय ने गौतमबुद्ध नगर के सीजेएम को निर्देश दिया है कि वह जमानतीय वारंट का तामील सुनिश्चित करें. हालांकि, न्यायालय ने यह भी कहा है कि सीजेएम उन्हें जमानत दे सकते हैं. मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची का कहना है कि 6 मई 2022 को रिट कोर्ट ने उसकी याचिका पर आदेश दिया था कि एलोपैथिक चिकित्साधिकारियों की तरह आयुवेर्दिक एवं यूनानी चिकित्साधिकारियों को भी डायनमिक/विशिष्ट एस्योर्ड करियर प्रोग्रेशन का लाभ दिया जाए. उक्त आदेश का अनुपालन न होने पर याची ने वर्तमान अवमानना याचिका दाखिल की. जिस में 26 जुलाई 2022 को ही जवाब मांगा गया था. हालांकि, 6 मई 2022 को रिट कोर्ट के उक्त आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर दी. सरकार की उक्त अपील भी 15 मार्च 2023 को खारिज हो गई.
बावजूद इसके 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. इस पर 6 अप्रैल 2023 को न्यायालय ने प्रशांत त्रिवेदी को बतौर अपर मुख्य सचिव वित्त नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अदालत के आदेश की अवमानना की कार्यवाही की जाए. 10 मई 2023 को न्यायालय ने तीन सप्ताह में 6 मई 2022 के आदेश का अनुपालन शपथ पत्र दाखिल करने अथवा प्रशांत त्रिवेदी को हाजिर होने का आदेश दिया. न्यायालय के उक्त आदेश के बावजूद प्रशांत त्रिवेदी न तो हाजिर हुए और न ही अनुपालन शपथ पत्र दाखिल किया. इस पर न्यायालय ने 4 जुलाई को उनके खिलाफ जमानतीय वारंट जारी किया. 14 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान पुनः 10 दिनों का समय मांगा गया. बावजूद इसके न तो प्रशांत त्रिवेदी हाजिर हुए और न ही रिट कोर्ट के आदेश का अनुपालन हुआ.
वहीं, विशेष सचिव, वित्त ने शपथ पत्र दाखिल कर प्रशांत त्रिवेदी की बीमारी का हवाला देते हुए बताया कि त्रिवेदी सीने, सिर और पीठ में दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं. जिसकारण उनका इलाज जिला अस्पताल गौतमबुद्धनगर में चल रहा है. इस पर न्यायालय ने मेडिकल प्रेस्क्रिप्शन को देखते हुए कहा कि त्रिवेदी को ऐसी कोई समस्या नहीं दिखती जिसके कारण न्यायालय के आदेश का अनुपालन न हो सके. न्यायालय ने विशेष सचिव द्वारा हलफनामा दाखिल करने पर भी नाराजगी व्यक्त करते हुए, अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण तलब किया है.
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