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विवेकानंद डोबरियाल को हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, उद्घोषणा की नोटिस की खारिज

राजस्व परिषद चेयरमैन के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहत दी है. कोर्ट ने विवेकानंद के खिलाफ जारी नोटिस को खारिज कर दिया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jun 27, 2022, 10:42 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राजस्व परिषद चेयरमैन के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत उसके खिलाफ जारी नोटिस को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने विवेकानंद डोबरियाल की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया.

याचिका में कहा गया कि धारा 82 के तहत उसके खिलाफ नोटिस जारी की गई लेकिन उक्त नोटिस में याची को कब और कहां हाजिर होना है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है. कहा गया कि अखबारों में भी उक्त नोटिस प्रकाशित कराई गई है लेकिन उनमें भी हाजिर होने की जानकारी नहीं दी गई. यह भी दलील दी गई कि निचली अदालत ने धारा 82 के तहत आदेश पारित करते हुए कोई कारण भी नहीं दर्शाया है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया.

इसे भी पढ़ें-जानलेवा हमला व मारपीट का मामला : कोर्ट ने आरोपी इरफान को दी सशर्त जमानत

न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि धारा 82 के तहत जारी उद्घोषणा नोटिस में इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए थी कि अभियुक्त को कहां और कब हाजिर होना है. इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि अभियुक्त पर लगी धाराएं धारा 82(4) में उल्लिखित धाराओं में से नहीं हैं. इसलिए भी उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर नहीं घोषित किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि विवेकानंद डोबरियाल पर तहसील कर्मचारियों व अधिकारियों से मिलीभगत कर बड़ी मात्रा में जमीनों का फर्जीवाड़ा करने का आरोप है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से राजस्व परिषद चेयरमैन के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल को बड़ी राहत मिली है. न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत उसके खिलाफ जारी नोटिस को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने विवेकानंद डोबरियाल की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया.

याचिका में कहा गया कि धारा 82 के तहत उसके खिलाफ नोटिस जारी की गई लेकिन उक्त नोटिस में याची को कब और कहां हाजिर होना है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है. कहा गया कि अखबारों में भी उक्त नोटिस प्रकाशित कराई गई है लेकिन उनमें भी हाजिर होने की जानकारी नहीं दी गई. यह भी दलील दी गई कि निचली अदालत ने धारा 82 के तहत आदेश पारित करते हुए कोई कारण भी नहीं दर्शाया है. याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया.

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न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि धारा 82 के तहत जारी उद्घोषणा नोटिस में इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए थी कि अभियुक्त को कहां और कब हाजिर होना है. इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि अभियुक्त पर लगी धाराएं धारा 82(4) में उल्लिखित धाराओं में से नहीं हैं. इसलिए भी उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर नहीं घोषित किया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि विवेकानंद डोबरियाल पर तहसील कर्मचारियों व अधिकारियों से मिलीभगत कर बड़ी मात्रा में जमीनों का फर्जीवाड़ा करने का आरोप है.

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