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बिकरू कांड: SIT रिपोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने याची पर ठोंका 25 हजार का हर्जाना

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Published : Jun 21, 2021, 5:11 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिकरू कांड पर तैयार की गई एसआईटी की रिपोर्ट समेत जय वाजपेयी मामले में विधि सम्मत कार्रवाई के आग्रह वाली जनहित याचिका को सोमवार को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया.

बिकरू कांड
बिकरू कांड

लखनऊ : बिकरु कांड केस में यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है. अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की ओर से SIT रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता सौरभ भदौरिया पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिकरू कांड पर तैयार की गई एसआईटी की रिपोर्ट समेत जय वाजपेयी मामले में विधि सम्मत कार्रवाई के आग्रह वाली जनहित याचिका को सोमवार को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने कानपुर के अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.

नूतन ठाकुर थीं याची की वकील

याची की अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने न्यायालय के समक्ष दलील दी कि गैंगस्टर एक्ट में बंद जय वाजपेयी चर्चित बिकरू कांड के प्रमुख अभियुक्तों में से एक है. उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सचिवालय में फर्जी एंट्री पास बनवाने, फर्जी पासपोर्ट बनवाने तथा फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनाए जाने से सम्बंधित मुकदमे भी दर्ज हैं. याची के अधिवक्ता का कहना था कि जय वाजपेई के खिलाफ पहले से ही विभिन्न धाराओं में कई थानों में मुकदमे दर्ज थे. पूर्व में भी उसकी तथा उसकी सहायता करने वाले तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कई जांच रिपोर्ट में संस्तुति की गयी थीं. लेकिन इन पर आज तक सही कार्यवाही नहीं हुई है.

याचिका में पहले की इन रिपोर्टों पर कार्रवाई करने की गुजारिश की गयी थी, साथ ही बिकरू कांड की एसआईटी रिपोर्ट को मंगवाते हुए उसकी संस्तुतियों पर कार्रवाई करने का भी आग्रह किया गया था।

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

उधर, राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील क्यू एच रिजवी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका, जनहित याचिका के रूप में सुनवाई लायक नहीं है और खारिज किए जाने योग्य है. कोर्ट ने याचिका को पीआईएल मानने से इन्कार कर निज हित वाली करार देकर 25 हजार हर्जाने का आदेश दिया है.

जानिए क्या है बिकरु कांड केस ?

आपको बता दें कि 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर गोलीबारी कर दी थी. इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि कई अन्य पुलिवाले घायल हुए थे. बाद में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके करीब आधा दर्जन साथी पुलिस एंकाउंटर में मारे गए थे. जय वाजपेयी, विकास दुबे का खजांची था. वही गैंगस्टर की काली कमाई को इंवेस्ट करता था. जय वाजपेयी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई है.

लखनऊ : बिकरु कांड केस में यूपी सरकार को बड़ी राहत मिली है. अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की ओर से SIT रिपोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता सौरभ भदौरिया पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बिकरू कांड पर तैयार की गई एसआईटी की रिपोर्ट समेत जय वाजपेयी मामले में विधि सम्मत कार्रवाई के आग्रह वाली जनहित याचिका को सोमवार को शुरुआती सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति संजय यादव व न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने कानपुर के अधिवक्ता सौरभ भदौरिया की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया.

नूतन ठाकुर थीं याची की वकील

याची की अधिवक्ता नूतन ठाकुर ने न्यायालय के समक्ष दलील दी कि गैंगस्टर एक्ट में बंद जय वाजपेयी चर्चित बिकरू कांड के प्रमुख अभियुक्तों में से एक है. उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सचिवालय में फर्जी एंट्री पास बनवाने, फर्जी पासपोर्ट बनवाने तथा फर्जी आर्म्स लाइसेंस बनाए जाने से सम्बंधित मुकदमे भी दर्ज हैं. याची के अधिवक्ता का कहना था कि जय वाजपेई के खिलाफ पहले से ही विभिन्न धाराओं में कई थानों में मुकदमे दर्ज थे. पूर्व में भी उसकी तथा उसकी सहायता करने वाले तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कई जांच रिपोर्ट में संस्तुति की गयी थीं. लेकिन इन पर आज तक सही कार्यवाही नहीं हुई है.

याचिका में पहले की इन रिपोर्टों पर कार्रवाई करने की गुजारिश की गयी थी, साथ ही बिकरू कांड की एसआईटी रिपोर्ट को मंगवाते हुए उसकी संस्तुतियों पर कार्रवाई करने का भी आग्रह किया गया था।

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की

उधर, राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील क्यू एच रिजवी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका, जनहित याचिका के रूप में सुनवाई लायक नहीं है और खारिज किए जाने योग्य है. कोर्ट ने याचिका को पीआईएल मानने से इन्कार कर निज हित वाली करार देकर 25 हजार हर्जाने का आदेश दिया है.

जानिए क्या है बिकरु कांड केस ?

आपको बता दें कि 2 जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने दबिश देने पहुंची पुलिस टीम पर गोलीबारी कर दी थी. इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि कई अन्य पुलिवाले घायल हुए थे. बाद में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके करीब आधा दर्जन साथी पुलिस एंकाउंटर में मारे गए थे. जय वाजपेयी, विकास दुबे का खजांची था. वही गैंगस्टर की काली कमाई को इंवेस्ट करता था. जय वाजपेयी पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई है.

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