लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सरकारी राशन की दुकानों के आवंटन के संबंध में स्वयं सहायता समूहों को प्राथमिकता देने वाले 7 जुलाई 2020 के शासनादेश को अमान्य घोषित कर दिया है. न्यायालय ने इस शासनादेश को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाया. न्यायालय ने शासनादेश के तहत की गई सभी कार्रवाइयों को भी अविधिक घोषित किया है.
स्वयं सहायता समूहों के किसी पंजीकरण का प्रावधान नहीं
यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने हरिपाल और अन्य की याचिकाओं पर पारित किया. अपने निर्णय में न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम राशन की दुकानों के आवंटन के सम्बंध में प्राथमिकता देने का प्रावधान नहीं करता है. ऐसे में एक शासनादेश द्वारा स्वयं सहायता समूहों को आवंटन में प्राथमिकता देने का निर्णय मनमाना और अविधिक है. न्यायालय ने आगे कहा कि इन स्वयं सहायता समूहों के किसी पंजीकरण का भी प्रावधान नहीं किया गया है, ऐसे में उन्हें उत्तरदायी कैसे बनाया जा सकता है. न्यायालय ने 5 अगस्त 2019 के शासनादेश के अनुसार ही राशन की दुकानों के आवंटन का आदेश दिया है. वहीं न्यायालय ने केरोसीन डीलर्स को लाइसेंस प्रदान किये जाने के सम्बंध में वर्तमान डीलर्स को प्राथमिकता देने को भी अवैध करार दिया है. न्यायालय ने कहा कि कंट्रोल ऑर्डर्स 2016 और 2017 ऐसे किसी प्राथमिकता का प्रावधान नहीं करते हैं.