लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खेल विभाग में काम कर रहे अंशकालिक खेल प्रशिक्षकों को फिलहाल काम करते रहने की अनुमति देने का आदेश दिया है. इन प्रशिक्षकों का अनुबंध मार्च 2020 में समाप्त हो चुका है. न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब भी तलब किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने विकास यादव व अन्य प्रशिक्षकों की सेवा सम्बंधी याचिका पर पारित किया.
याचिका में 21 सितम्बर 2020 के शासनादेश व 21 जनवरी 2021 के विज्ञापन को चुनौती दी गई है. उक्त विज्ञापन के जरिए अंशकालिक खेल प्रशिक्षक के पदों के लिए विज्ञापन मंगाए गए थे. दी गई दलील 31 मई 2019 के शासनादेश के अनुसार याचियों का अनुबंध पूरा होने पर आगे की सेवा के लिए नवीनीकरण करने पर विचार करने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार ने याचियों के नवीनीकरण पर विचार किए बिना ही नई भर्तियों के लिए आवेदन मंगा लिए.
इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने ओमैक्स रेजिडेंट्स की याचिका की खारिज
वहीं सरकारी वकील भी उक्त शासनादेश में नवीनीकरण के प्रावधान होने का विरोध नहीं कर सके. हालांकि उन्होंने जवाब देने के लिए समय की मांग की. इस पर न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व की सुनवाईयों पर भी सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय की मांग की गई थी. बावजूद इसके अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया. न्यायालय ने कहा कि मामले में हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रतीत होती है. इस टिप्पणी के साथ न्यायालय ने प्रशिक्षकों को अगली सुनवाई तक सभी सुविधाओं सहित काम करते रहने की अनुमति देने के आदेश दिए हैं.