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हाथरस केस: अगली सुनवाई में तय होगा DM प्रवीण कुमार का भविष्य

हाथरस मामले में सोमवार को हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सरकार ने जिलाधिकारी हाथरस को पद पर बनाए रखने या हटाने के संबंध में कोर्ट से समय मांगा है. सरकार की ओर से बताया गया कि एसपी को हटाने की वजह मृतका का अंतिम संस्कार नहीं था. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई पर सीबीआई से विवेचना की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है.

हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Nov 2, 2020, 9:30 PM IST

लखनऊ: हाथरस मामले में 25 नवम्बर तक वहां के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार को पद से हटाए जाने या बनाए रखने पर राज्य सरकार निर्णय लेगी. इस मामले में सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार ने जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के संबंध में निर्णय के लिए अगली सुनवाई तक का वक्त मांगा है. न्यायालय ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

अगली सुनवाई तक तय होगा हाथरस जिलाधिकारी का भविष्य
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि जिलाधिकारी के संबंध में क्या निर्णय लिया गया. इस पर राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जिलाधिकारी के विरुद्ध अब तक कुछ भी गलत नहीं मिला है. तत्कालीन एसपी को मामले को ठीक से हैंडल न कर पाने और विवेचना में कुछ शुरुआती कमी के कारण हटाया गया था. सरकार ने कहा कि उन्हें भी मृतका के अंतिम संस्कार के मामले की वजह से नहीं हटाया गया था.

ये कहा खंडपीठ ने

इस पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ का कहना था कि निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिहाज से पूछा गया था कि क्या हाथरस के जिलाधिकारी को पद बनाए रखना उचित होगा. इस पर सरकार की ओर से अगली सुनवाई तक का वक्त मांगा गया. सरकार के वकील ने इस बारे में कोर्ट से बताया कि अगली सुनवाई तक इस सम्बंध में निर्णय ले लिया जाएगा. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 नवम्बर की तिथि नियत की है.

इन्होंने पेश किया हलफनामा

राज्य सरकार, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार और तत्कालीन एसपी हाथरस विक्रांत वीर ने भी जवाबी हलफनामा सोमवार को पेश किया गया. अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने बताया कि सरकार की ओर से हलफनामे में हाथरस जैसे मामले की पुनुरावृत्ति होने की दशा में अंतिम संस्कार के लिए गाइडलाइंस का मसौदा पेश किया गया है.

जिलाधिकारी ने ये कहा

जिलाधिकारी प्रवीण कुमार ने अपने हलफनामे में कहा कि घटना के बाद दिल्ली से ही मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी थी. कुछ दलों के नेताओं ने मृतका के शव को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और एम्बुलेंस के रास्ते में व्यवधान डाला था. अगले दिन विवादित ढांचा विध्वंस का फैसला आने वाला था और पूरा प्रदेश हाई अलर्ट पर था. परिस्थितियों को देखते हुए रात में ही अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया था. यदि ऐसा न किया जाता तो हजारों लोग एकत्रित हो जाते और इसे जातीय रंग देने का प्रयास करते. जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के हलफनामे में यह भी कहा गया कि मृतका के पिता से अंतिम संस्कार की सहमति ली गई थी.

तत्कालीन एसपी ने ये कहा

तत्कालीन एसपी हाथरस विक्रांत वीर ने भी जिलाधिकारी के कथन की पुष्टि की है. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि अंतिम संस्कार में केरोसिन का प्रयोग नहीं किया गया था. सुनवाई के दौरान न्यायालय के पिछले आदेश के अनुपालन में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा और तत्कालीन एसपीविक्रांत वीर कोर्ट रूम में मौजूद रहे.

सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश
सुनवाई को दौरान न्यायालय ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को अगली सुनवाई पर विवेचना की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं. सीबीआई की ओर से अधिवक्ता अनुराग सिंह उपस्थित हुए.


मृतका के पिता को मुआवजा ट्रांसफर
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि मुआवजे की रकम मृतका के पिता के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मिलने वाले मुआवजे का 25 प्रतिशत भी मृतका के पिता को ट्रांसफर कर दिया गया है. मुआवजे की बाकी रकम चार्जशीट दाखिल होने और मामले पर ट्रायल कोर्ट का फैसला आने पर दिए जाने का प्रावधान है. सुरक्षा के संबंध में सरकार की ओर से बताया गया कि पीड़िता के परिवार की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को दिया गया है.

अभियुक्तों की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता
इस मामले की सुनवाई में अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए. उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि विवेचना के संबंध में ऐसी कोई टिप्पणी न हो, जिससे अभियुक्तों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. पीड़िता के परिवार की ओर से पेश अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने ट्रायल प्रदेश से बाहर कराए जाने की मांग दोहराई. केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसपी राजू और एमिकस क्यूरी के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर पेश हुए.

लखनऊ: हाथरस मामले में 25 नवम्बर तक वहां के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार को पद से हटाए जाने या बनाए रखने पर राज्य सरकार निर्णय लेगी. इस मामले में सोमवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार ने जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के संबंध में निर्णय के लिए अगली सुनवाई तक का वक्त मांगा है. न्यायालय ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की बहस सुनने के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.

अगली सुनवाई तक तय होगा हाथरस जिलाधिकारी का भविष्य
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि जिलाधिकारी के संबंध में क्या निर्णय लिया गया. इस पर राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जिलाधिकारी के विरुद्ध अब तक कुछ भी गलत नहीं मिला है. तत्कालीन एसपी को मामले को ठीक से हैंडल न कर पाने और विवेचना में कुछ शुरुआती कमी के कारण हटाया गया था. सरकार ने कहा कि उन्हें भी मृतका के अंतिम संस्कार के मामले की वजह से नहीं हटाया गया था.

ये कहा खंडपीठ ने

इस पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ का कहना था कि निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिहाज से पूछा गया था कि क्या हाथरस के जिलाधिकारी को पद बनाए रखना उचित होगा. इस पर सरकार की ओर से अगली सुनवाई तक का वक्त मांगा गया. सरकार के वकील ने इस बारे में कोर्ट से बताया कि अगली सुनवाई तक इस सम्बंध में निर्णय ले लिया जाएगा. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 नवम्बर की तिथि नियत की है.

इन्होंने पेश किया हलफनामा

राज्य सरकार, जिलाधिकारी प्रवीण कुमार और तत्कालीन एसपी हाथरस विक्रांत वीर ने भी जवाबी हलफनामा सोमवार को पेश किया गया. अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने बताया कि सरकार की ओर से हलफनामे में हाथरस जैसे मामले की पुनुरावृत्ति होने की दशा में अंतिम संस्कार के लिए गाइडलाइंस का मसौदा पेश किया गया है.

जिलाधिकारी ने ये कहा

जिलाधिकारी प्रवीण कुमार ने अपने हलफनामे में कहा कि घटना के बाद दिल्ली से ही मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी थी. कुछ दलों के नेताओं ने मृतका के शव को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और एम्बुलेंस के रास्ते में व्यवधान डाला था. अगले दिन विवादित ढांचा विध्वंस का फैसला आने वाला था और पूरा प्रदेश हाई अलर्ट पर था. परिस्थितियों को देखते हुए रात में ही अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया था. यदि ऐसा न किया जाता तो हजारों लोग एकत्रित हो जाते और इसे जातीय रंग देने का प्रयास करते. जिलाधिकारी प्रवीण कुमार के हलफनामे में यह भी कहा गया कि मृतका के पिता से अंतिम संस्कार की सहमति ली गई थी.

तत्कालीन एसपी ने ये कहा

तत्कालीन एसपी हाथरस विक्रांत वीर ने भी जिलाधिकारी के कथन की पुष्टि की है. उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि अंतिम संस्कार में केरोसिन का प्रयोग नहीं किया गया था. सुनवाई के दौरान न्यायालय के पिछले आदेश के अनुपालन में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा और तत्कालीन एसपीविक्रांत वीर कोर्ट रूम में मौजूद रहे.

सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश
सुनवाई को दौरान न्यायालय ने मामले की जांच कर रही सीबीआई को अगली सुनवाई पर विवेचना की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं. सीबीआई की ओर से अधिवक्ता अनुराग सिंह उपस्थित हुए.


मृतका के पिता को मुआवजा ट्रांसफर
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि मुआवजे की रकम मृतका के पिता के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मिलने वाले मुआवजे का 25 प्रतिशत भी मृतका के पिता को ट्रांसफर कर दिया गया है. मुआवजे की बाकी रकम चार्जशीट दाखिल होने और मामले पर ट्रायल कोर्ट का फैसला आने पर दिए जाने का प्रावधान है. सुरक्षा के संबंध में सरकार की ओर से बताया गया कि पीड़िता के परिवार की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को दिया गया है.

अभियुक्तों की ओर से भी पेश हुए अधिवक्ता
इस मामले की सुनवाई में अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए. उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि विवेचना के संबंध में ऐसी कोई टिप्पणी न हो, जिससे अभियुक्तों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. पीड़िता के परिवार की ओर से पेश अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने ट्रायल प्रदेश से बाहर कराए जाने की मांग दोहराई. केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसपी राजू और एमिकस क्यूरी के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर पेश हुए.

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