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भाभी के साथ दुष्कर्म मामले में आरोपी को हाईकोर्ट ने दी जमानत - हाईकोर्ट की लेटेस्ट न्यूज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) भाभी के साथ दुराचार के आरोपी देवर को जमानत दे दी है. आरोपी के खिलाफ अम्बेडकर नगर के हसवर थाने में दर्ज है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jan 20, 2022, 10:28 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने भाभी के साथ दुराचार के मामले में अभियुक्त को जमानत दी है. इस मामले में न्यायालय ने यह भी पाया कि अभियुक्त ने अपने भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए भाभी व उसके मायके वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि न्यायालय ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी न करते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने खालिद की जमानत याचिका पर दिया है.

याची के खिलाफ अम्बेडकर नगर के हसवर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया है कि पीड़िता के मायके अभियुक्त आता-जाता रहता था. पीड़िता उसकी भाभी है. एक दिन मौका पाकर उसने पीड़िता के साथ दुराचार की वारदात को अंजाम दे डाला. वहीं, अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसके भाई ने 11 दिसम्बर 2017 को आत्महत्या कर ली थी.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, संज्ञेय अपराध की विवेचना में नहीं कर सकते हस्तक्षेप...

इस मामले में उसने पीड़िता व उसके मायके वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है. उक्त मुकदमे में दबाव डालने के लिए उस पर दुराचार का झूठा आरोप लगाया गया है. वह 5 दिसम्बर 2021 से जेल में बंद है. साथ ही यह भी दलील दी गई कि एफआईआर में मात्र छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देते हुए दुराचार का आरोप पीड़िता द्वारा लगाया गया. न्यायालय ने कहा कि वह मामले के तथ्यों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है लेकिन अनुच्छेद 21 के तहत अभियुक्त के जीवन के अधिकार को देखते हुए उसे जमानत पर रिहा किया जाना उचित होगा.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने भाभी के साथ दुराचार के मामले में अभियुक्त को जमानत दी है. इस मामले में न्यायालय ने यह भी पाया कि अभियुक्त ने अपने भाई को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए भाभी व उसके मायके वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. हालांकि न्यायालय ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी न करते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने खालिद की जमानत याचिका पर दिया है.

याची के खिलाफ अम्बेडकर नगर के हसवर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया है कि पीड़िता के मायके अभियुक्त आता-जाता रहता था. पीड़िता उसकी भाभी है. एक दिन मौका पाकर उसने पीड़िता के साथ दुराचार की वारदात को अंजाम दे डाला. वहीं, अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसके भाई ने 11 दिसम्बर 2017 को आत्महत्या कर ली थी.

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इस मामले में उसने पीड़िता व उसके मायके वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है. उक्त मुकदमे में दबाव डालने के लिए उस पर दुराचार का झूठा आरोप लगाया गया है. वह 5 दिसम्बर 2021 से जेल में बंद है. साथ ही यह भी दलील दी गई कि एफआईआर में मात्र छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान देते हुए दुराचार का आरोप पीड़िता द्वारा लगाया गया. न्यायालय ने कहा कि वह मामले के तथ्यों पर कोई टिप्पणी नहीं कर रही है लेकिन अनुच्छेद 21 के तहत अभियुक्त के जीवन के अधिकार को देखते हुए उसे जमानत पर रिहा किया जाना उचित होगा.

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