लखनऊ : राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के ऐतिहासिक इमारतों, किलों, महलों व आलीशान भवनों को पर्यटन विभाग हेरिटेज बिल्डिंग में तब्दील करेगा. विभाग के इस फैसले से न केवल इन ऐतिहासिक इमारतों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि इससे विभाग और प्रदेश की आय में भी इजाफा होगा. इन इमारतों को हेरिटेज होटल व पैलेस बनाए जाने के बाद लोग यहां पर नवाबी ठाठ-बांट के साथ ऐतिहासिक धरोहरों में विवाह समेत अन्य फंक्शन कर सकेंगे. इसके लिए राजधानी समेत प्रदेश में पुरानी और खंडहर हो चुकीं धरोहरों को अब पर्यटन विभाग संवारने का काम करेगा, जिसके बाद इनको हैरिटेज होटल या पैलेस में बदला जा सकेगा. इनमें आलीशान शादियां हो सकेंगी. इससे पर्यटन तो बढ़ेगा ही, सरकार को राजस्व भी मिलेगा. पर्यटन विभाग ने यह योजना पीपीपी मॉडल के तर्ज पर तैयार की है. इसका प्रपोजल बनाकर शासन को भेज दिया गया है.
राजधानी में कैसरबाग के पास छतरमंजिल, रोशन उद्दौला कोठी, कोठी गुलिस्तान-ए-इरम और कोठी दर्शन विलास ऐतिहासिक धरोहर हैं. इन सभी चार इमारतों को पुरात्व विभाग से पर्यटन विभाग को सौंप दिया गया है. जिसके बाद अब इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग के पास हो गई है. इन्हीं चार इमारतों में होटल या पैलेस में तब्दील करने का काम किया जायेगा. इसके लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी मंजूरी दे दी गई हैं. यह ऐतिहासिक भवन मौजूदा समय में जिनके भी कस्टडी में है, वहां से लेकर पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा. इसके बाद पर्यटन विभाग इन भवनों का प्रयोग करेगा.
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव, मुकेश मेश्राम ने बताया कि 'विभाग द्वारा राजधानी समेत प्रदेश में 1950 से पहले की जो कलात्मक और ऐतिहासिक धरोहर हैं उनको संवारने का काम अब पर्यटन विभाग करेगा. उन्होंने बताया कि आज के दौर में लोग ऐतिहासिक जगहों पर केवल घूमने नहीं आना चाहते हैं वह यहां पर उसके इतिहास से जुड़े अनुभव को जीना चाहते हैं, यानि वो वहां कि कला व संस्कृति को बेहद नजदीक से अनुभव करना चाहते हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी तैयार की गई है, जिसमें पुराने खंडहर व भवन आदि को सुरक्षित रखने का काम किया जायेगा.'
पीपीपी मॉडल पर होगा तैयार : मुकेश मेश्राम ने बताया कि 'इन ऐतिहासिक धरोहरों को बदलने का काम किया जायेगा. इसमें कॉफी, म्यूजियम, लाइब्रेरी, डेस्टिनेशन वेडिंग, कल्चरल एक्टिविटी, वेडिंग शूट व फिल्म शूट आदि काम किए जा सकेंगे. यह पूरी योजना पीपीपी मॉडल पर तैयार की जायेगी. जिसके तहत सरकार इन जगहों को लीज पर कंपनी को देगी. जिसके बाद उन इमारतों के पूरे रख-रखाव व देखभाल की जिम्मेदारी कंपनियों पर होगी. ऐसे में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे, वहीं सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा. उन्होंने ने बताया कि प्रदेश में कई राज-परिवार भी रहते हैं, अगर वो भी योजना से जुड़ना चाहेंगे तो उनको भी इसमें शामिल किया जायेगा. इसके लिए सरकार द्वारा उनको सब्सिडी आदि भी दी जायेगी, ताकि अधिक से अधिक फायदा मिल सके.'
उन्होंने कहा कि 'इसके अलावा बुंदेलखंड के 7 जनपदों में करीब 30 से अधिक भवनों को चिन्हित किया गया है. इसके अलावा रामपुर एस्टेट में भी कई पुराने ऐतिहासिक इमारते हैं, इनको भी शामिल किया जायेगा. इसी तरह पूरे प्रदेश में ऐसी ऐतिहासिक इमारतों का चयन किया गया है, जहां पर्यटक आकर उस दौर की शानो-शौकत को और करीब से अनुभव कर सकेंगे. हम उन्हें भी इस पॉलिसी में शामिल कर पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रक्रिया कर रहे हैं. इसी तरह प्रदेश में ऐसी कई जगह हैं जहां पर अभी भी कई ऐतिहासिक व राजाओं से जुड़ी हुई चीजें हैं, जिन्हें लोग देखना और उनके अनुभवों को महसूस करना चाहते हैं.'
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