लखनऊ: विवादित ढांचा विध्वंस मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दो सप्ताह के लिए सुनवाई टाल दी है. पुनरीक्षण याचिका में कुछ दस्तावेजी त्रुटि होने के कारण न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की एकल सदस्यीय पीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने याचियों के अधिवक्ता को दस्तावेजी त्रुटि दूर करने का भी आदेश दिया है.
यह याचिका अयोध्या के रहने वाले हाजी महबूब अहमद और सैयद अखलाक अहमद की ओर से दाखिल की गई है. इनकी तरफ से अधिवक्ता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य जफरयाब जिलानी ने दायर याचिका को मंगलवार को न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया. जिलानी बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक भी हैं.
पुनरीक्षण याचिका में अयोध्या के रहने वाले दोनों याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि याचीगण इस मामले में गवाह होने के साथ-साथ विवादित ढांचा विध्वंस की घटना के पीड़ित भी हैं. याचिका में सभी 32 अभियुक्तों को दोषी करार दिये जाने की मांग की गई है.
विवादित ढांचे को 6 दिसंबर 1992 को 'कार सेवकों' ने ढहा दिया था. इस मामले में 30 सितम्बर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, साक्षी महाराज, लल्लू सिंह, बृजभूषण शरण सिंह व महंत नृत्य गोपाल दास समेत सभी जीवित 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया था.