लखनऊ. काकोरी कोतवाली अंतर्गत एनबीडब्ल्यू वारंट (NBW Warrant) के नाम पर मंगलवार को दीवान और सिपाही पर 30 हजार रुपये वसूली का आरोप लगा था. मामला संज्ञान में आने पर पुलिस कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए थे. जांच में दोनों पुलिसकर्मी दोषी पाए गए. दोनों पुलिसकर्मियों को बुधवार को लाइन हाजिर कर दिया गया. साथ ही विभागीय जांच का आदेश भी दिया गया है.
काकोरी थाना अंतर्गत बेढ़ौना गांव (Bedhona Village) निवासी सुरेंद्र व सुशील का वर्ष 2009 में गांव के ही सुरेश से विवाद हुआ था. जिसको लेकर दोनों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट जारी हुई था. वारंट कस्बा चौकी इंचार्ज राजबहादुर के पास था. सुरेंद्र व सुशील के पिता बराती लाल ने बताया कि मुकदमे में वादी की मौत हो चुकी है. जिस वजह से हम यह मान रहे थे मुकदमा खत्म हो गया होगा. इसी कारण दोनों बेटे नहीं जा रहे थे. मंगलवार सुबह कस्बा चौकी से दीवान मुकेश कुमार व सिपाही विभोर कुमार घर पर आ धमके और वारंट की बात कही। इस संबंध में जब उनसे वारंट संबंधी कागज दिखाने को कहा गया तो जेल भेजने की धमकी देने लगे। बराती लाल का आरोप है कि दोनों ने 40 हजार रुपये की मांग की, जिसमें 30 हजार रुपये दे दिए गए। इसके बाद 10 हजार रुपये बाद में लेने के बाद कहकर दोनों सिपाही चले गए.
इसके बाद बराती लाल ने भाजपा के मंडल अध्यक्ष रवि राज लोधी से शिकायत की तो मंडल अध्यक्ष ने घटना की जानकारी चौकी इंचार्ज राजबहादुर से ली. इस बाबत चौकी इंचार्ज ने बताया कि वारंट के कागज दरोगा राजेश विश्वकर्मा के पास हैं. दोनों सिपाहियों से कुछ भी नहीं बोला गया था. दोनों सिपाही बिना बताए और वारंट के कागज लेकर दबिश देने गए थे. इसके बाद मंडल अध्यक्ष ने पुलिस कमिश्नर लखनऊ से शिकायत की तो कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए थे.
एसीपी काकोरी अनिरुद्ध विक्रम ने बताया घटना की जानकारी होते ही दोनों पुलिसकर्मियों खिलाफ जांच के आदेश हुए थे. जिसमें दोनों पुलिसकर्मियों के ऊपर पीड़ित से वसूली के दोष साबित हुआ है. जिसको लेकर सिपाही व दीवान को लाइन हाजिर कर दिया गया है और विभागीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
यह भी पढ़ें: गाजियाबाद महिला से रेप के आरोपी दारोगा को SSP ने किया सस्पेंड