एक अप्रैल यानी आज से देवभूमि उत्तराखंड में महाकुंभ का मेला शुरू हो गया है. हरिद्वार में 1 अप्रैल से शुरू हुआ महाकुंभ 30 अप्रैल तक चलेगा. महाकुंभ मेले की दिव्यता और भव्यता के लिए हरिद्वार में खास इंतजाम किए गए हैं.
- पहला शाही स्नान- 11 मार्च महाशिवरात्रि
वैसे तो हरिद्वार महाकुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत 1 अप्रैल से हो रही है. हालांकि, इसके पहले कुंभ का पहला शाही स्नान 11 मार्च 2021 को हो चुका है. धरती पर गंगा का अवतरण भगवान शिव की वजह से ही हुआ था. गंगा, शिव की जटाओं में समाहित हैं. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन पवित्र गंगा में स्नान करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी अधिक है. - दूसरा शाही स्नान- 12 अप्रैल, सोमवती अमावस्या का स्नान
हरिद्वार महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान पहले स्नान के 1 महीने बाद 12 अप्रैल सोमवार को सोमवती अमावस्या के दिन होगा. अमावस्या के दिन वैसे भी पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान का विशेष महत्व माना जाता है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. - तीसरा शाही स्नान- 14 अप्रैल मेष संक्रांति और बैसाखी
हरिद्वार महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल बुधवार को मेष संक्रांति के मौक पर होगा. इस दिन बैसाखी भी है. ऐसी मान्यता है कि मेष संक्रांति के दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है. ज्योतिषीय मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं. - चौथा शाही स्नान- 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा के दिन
हरिद्वार महाकुंभ का चौथा और आखिरी शाही स्नान चैत्र के महीने में पूर्णिमा के दिन होगा. इसे शाही स्नान के सबसे अहम दिनों में से एक माना जाता है . इसलिए इस दिन को अमृत योग के नाम से भी जाना जाता है.