लखनऊ : देश और प्रदेश में तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जहां के लोगों को पीने के पानी के लिए बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड में आने वाले ज्यादातर जिलों का ऐसा ही हाल है. यहां गर्मियों में पानी का बड़ा संकट हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 तक 'हर घर नल से जल योजना' के तहत पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति करने का लक्ष्य रखा था. जल जीवन मिशन की इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है, जिसमें उत्तर प्रदेश को 10870 करोड़ से ज्यादा की धनराशि आवंटित की जी चुकी है. प्रदेश में यह काम जोरों से चल भी रहा है, हालांकि शुरुआती दौर में ही इसे लेकर कई खामियां नजर आने लगी हैं. इनमें पानी की बर्बादी और रखरखाव का अभाव प्रमुख है.
जीवन के लिए पानी मूलभूत आवश्यकता है, इसके बावजूद गांवों में रहने वाली देश की आधी से ज्यादा आबादी के घरों में साफ पेयजल उपलब्ध नहीं है. इस असमानता को दूर करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बहुत ही महत्वाकांक्षी 'हर घर नल से जल योजना' आरंभ की. ऐसी योजना बहुत ही सराहनीय और बहु प्रतीक्षित थी. सत्तर सालों में इस ओर किसी और सरकार का ध्यान नहीं गया. कई क्षेत्रों में भीषण जल संकट रहता है और ऐसे क्षेत्रों में महिलाओं को पानी के लिए कई-कई किलोमीटर तक पैदल चलकर पानी ढोना पड़ता है. सरकार के इस कदम के बाद कई उम्मीदें जगीं, तो कुछ आशंकाएं और समस्याएं भी सामने आने लगी हैं. देखरेख के अभाव में पानी की बेतहाशा बर्बादी हो रही है. जगह-जगह पानी सड़कों और गलियारों में भर रहा है और इससे रास्ते भी बर्बाद हो रहे हैं.
गांवों के स्तर पर पानी सप्लाई और लाइनों में लीकेज आदि की समस्या को देखने के लिए कोई नियमित स्टाफ नहीं है. यदि शुरुआती स्तर पर इस तरह की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो देशभर के हजारों गांव से जाने कितना पानी रोज यूं ही बर्बाद होता रहेगा. सरकार को इसके लिए कोई उचित कदम जरूर उठाना चाहिए. अभी उत्तर प्रदेश में लगभग पचहत्तर लाख परिवारों को यह सुविधा मिल रही है और मार्च तक एक करोड़ लोग इस योजना के तहत लाभान्वित होने लगेंगे. इस योजना के तहत जल संरक्षण के उपाय भी किए जाने हैं, हालांकि इस ओर सरकार का कोई प्रयास अब तक दिखाई नहीं दिया है. इस योजना का उद्देश्य हर एक ग्रामीण के घर में टोटी से जल उपलब्ध कराना, जहां पानी की ज्यादा समस्या है, वहां प्राथमिकता के आधार पर पानी पहुंचाना, आंगनबाड़ी केंद्रों, स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों सहित अन्य सरकारी भवनों तक नल से कनेक्शन प्रदान करना और जलापूर्ति प्रणाली को लंबे समय तक स्थिरता प्रदान करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट्स, वितरण नेटवर्क और दूषित पदार्थों को हटाने आदि की व्यवस्था करना है.
इस योजना पर करीब से नजर रख रहे और जल संरक्षण के विषय को लेकर काम करने वाले डॉ भरत कुमार कहते हैं कि "सरकार की यह योजना निस्संदेह बहुत ही महत्वाकांक्षी है. गांव में रह रहे एक एक बड़े वर्ग में तमाम बीमारियां साफ पानी न मिल पाने की वजह से फैलती हैं. वैसे भी हर भारतवासी का अधिकार है कि उसे स्वच्छ जल सुलभ तरीके से मिले. अब इस योजना के तहत वंचित ग्रामीणों को भी उनके घर में स्वच्छ जल से पानी की सप्लाई होगी, हालांकि सरकार को कुछ अन्य बातों पर भी गहनता से चिंतन करना होगा. भूगर्भ जल की स्थिति हम सब जानते हैं. साल दर साल भूगर्भ जल स्तर गिरता ही जा रहा है. बावजूद इसके भूगर्भ जल स्तर सुधारने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं हो पाया है. सिंचाई के लिए ज्यादातर पानी भूगर्भ से ही लिया जाता है. अब हर गांव में पेयजल के लिए घर-घर पाइपलाइन से पानी की सप्लाई होगी. गांव में बड़ी संख्या में तालाब और पोखरों पर अतिक्रमण और कब्जे हो चुके हैं. पक्के भवन बनने के कारण अब तालाबों से मिट्टी भी नहीं निकाली जाती इसलिए तालाबों का वजूद खतरे में हैं. यही कारण है कि भूगर्भ जल का कोश धीरे-धीरे रिक्त होता जा रहा है. इसलिए सरकार को स्वच्छ जल की आपूर्ति के साथ-साथ जल संरक्षण पर भी पूरा ध्यान देना होगा और पानी की बर्बादी तत्काल रोकनी होगी."