लखनऊ : कई साल बाद जून माह के अंतिम समय में शुरू होने वाली मानसूनी बारिश बदस्तूर जारी है. इस बार अच्छी बारिश से किसान प्रसन्न हैं. पिछले कई साल वर्ष से बारिश अपेक्षाकृत कम हो रही थी. इससे किसान परेशान थे. किसानों का मत है कि यदि इस बार यूं ही बीच-बीच में बारिश होती रही तो खरीफ की पैदावार उम्मीद से बेहतर रहेगा. किसानों को अतिवृष्टि का डर भी सता रहा है. यदि जरूरत से ज्यादा बारिश हुई तो फसलों के लिए वह भी ठीक नहीं होगा.
प्रगतिशील किसान पद्मश्री रामसरन वर्मा कहते हैं खरीफ में होने वाली फसलों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इसलिए यदि इस समय अच्छी बारिश होती है तो इसका सीधा लाभ किसानों को होगा. यदि चावल की बात करें तो भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक देश है. इस फसल को डेढ़ सौ सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है. उत्तर प्रदेश को प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में गिना जाता है. पद्मश्री रामसरन वर्मा कहते हैं गन्ना नकदी क्रॉप होने के कारण किसानों की प्रिय फसल है. प्रदेश में गन्ने की खेती बड़े पैमाने की जाती है. इसके लिए पानी की बहुत अधिक जरूरत होती है. अच्छी बारिश होने से किसानों का सिंचाई पर खर्च होने वाला पैसा बच जाता है. स्वाभाविक है कि उन्हें इसका दोहरा लाभ होता है. एक तो सिंचाई का पैसा बचता है और दूसरी बात फसल भी अच्छी हो जाती है.
रामसरन वर्मा कहते हैं मोटे अनाज जौ, ज्वार, बाजरा, कोदो, मक्का सहित दलहन और तिलहन में मूंग, उड़द, तिल, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन आदि का उत्पादन भी इसी साजन में किया जाता है. इन दिनों देश-विदेश में मोटे अनाजों की मांग काफी बढ़ गई है. यह अनाज शुगर और बीपी जैसी बीमारियों में काफी लाभकारी हैं. यही नहीं अन्य कई रोगों और मोटापा कम करने में भी यह अनाज उपयोगी बताए जा रहे हैं. ऐसे में किसान इन फसलों का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कर लाभ कमा सकते हैं. वह कहते हैं यह कई साल बाद है, जब अच्छी बारिश होती दिखाई दे रही है. आगे भी यदि उसी अनुपात में बारिश हुई तो इससे लोगों को बहुत फायदा होगा. इस बारिश से पानी की समस्या का भी कुछ हद तक समाधान होगा, क्योंकि तालाब और पोखरे बारिश के पानी से भर जाते हैं और भूगर्भ जल भी अच्छी तरह रीचार्ज हो पाता है.
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