लखनऊ: डॉक्टर, पुलिस, सफाईकर्मी कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए लगातार दिन रात मेहनत कर रहे हैं. वहीं करोना संदिग्ध या संक्रमित मरीजों की सूचना मिलते ही 108 एंबुलेंस के कर्मचारी उस मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने तक का कार्य जीवीके संस्था कर रही है. इस संस्था का मुख्य कार्य 108 और 102 एंबुलेंस को चलाने में बड़ी भागीदारी निभाना है. कॉल अटेंड करने के साथ ही एंबुलेंस को मरीज तक भेजने फिर मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की प्रक्रिया जीवीके के कर्मचारी करते हैं.
जीवीके संस्था के कर्मचारी 24 घंटे दे रहे सेवा
राजधानी लखनऊ के आशियाना में स्थित 108 एंबुलेंस का कंट्रोल रूम जिसे जीवीके नामक संस्था चला रही है. उत्तर प्रदेश में 2200 एंबुलेंस 108 इमरजेंसी के तहत सेवाएं दे रही हैं. इन्हीं एंबुलेंस में से 1,031 एंबुलेंस को कोविड-19 मरीजों को लाने ले जाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है.
लगभग डेढ़ सौ गाड़ियां एएलएस एडवांस लाइफ सपोर्ट की हैं. प्रत्येक जिलों में दो-दो एंबुलेंस करोना संक्रमित मरीजों के लिए लगाई गई है. 108 एंबुलेंस को संचालित करने के लिए जीवीके ने कॉल सेंटर की एक बहुत बड़ी चेन बनायी है. जीवीके में 24 घंटे कर्मचारी कॉल अटेंड करने को तत्पर रहते हैं.
कोरोना से बचाव के लिए हरसंभव सावधानी
संस्था के वाइस प्रेसिडेंट राजेश वाघमारे ने बताया कि इस समय सबसे ज्यादा कॉल मरीजों में सर्दी, जुखाम के लक्षण वाले आते हैं, जिन्हें हम लोग विशेषज्ञों की सलाह के बाद जैसी जरूरत होती है, मरीज को तुरंत इमरजेंसी सेवा उपलब्ध कराते हैं.
हमारी संस्था ने अपने ड्राइवरों के लिए पीपीई किट, हैंड ग्लव्स और मास्क अनिवार्य किया हुआ है. सभी एंबुलेंस में सैनिटाइजर की व्यवस्था है. कोरोना के संक्रमित मरीजों को छोड़ने के बाद एंबुलेंस को सैनिटाइज किया जाता है. कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए हर संभव सावधानी बरती जा रही है.