लखनऊः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) की अध्यक्षता में लखनऊ में वस्तु एवं सेवा कर परिषद (Goods and Service Tax Council) की 45वीं बैठक हुई. बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर चर्चा हुई लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई. बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का सही समय नहीं है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार नहीं किया गया है. राजस्व से जुड़े कई मुद्दों पर इसके लिए आगे विचार करना होगा.
ऐप के माध्यम से फूड डिलीवरी सेवाएं देने वाली Swiggy और Zomato जैसी कंपनियों को जीएसटी के दायरे में लाने पर बात हुई. जीएसटी काउंसिल की तरफ से मंत्रियों के समूह (GoM) को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसके अनुसार डिलीवरी देने वाली एजेंसी को जीएसटी का भुगतान करना होगा. अभी तक फूड प्रदाता रेस्टोरेंट या होटल को GST का भुगतान करना पड़ता था लेकिन अगर प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो ये भुगतान Swiggy और Zomato जैसी फूड डिलीवरी देने वाली कंपनियों को GST का भुगतान करना पड़ेगा. ये प्रस्ताव मंत्रियों के समूह को भेजा गया है. मंत्रियों का समूह इसे लेकर दो महीनों में अपना फैसला सुनाएगा.
महंगी इंपोर्टेड दवाओं पर जीसएटी छूट मिलेगी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि Zologensma और Viltetso जैसी अन्य महंगी इंपोर्टेड दवाओं पर जीसएटी छूट मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के इलाज से जुड़ी जिन दवाओं पर जीसएटी 30 सितंबर तक के लिए घटाई गई थी, उसे बढ़ाकर 31 दिसंबर तक अब कर दिया गया है. जीएसटी दर में यह कटौती सिर्फ रेमिडेसिवियर जैसी दवाओं के लिए है और इसमें मेडिकल उपकरण शामिल नहीं होंगे.
कैंसर की दवाओं पर अब 5 फीसदी जीएसटी लगेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि कैंसर से संबंधित दवाओं पर जीएसटी 12 फीसद से घटाकर अब 5 फीसद कर दिया गया है. इसके अलावा दिव्यांगों के लिए रेट्रोफिटमेंट किट पर अब 5 फीसद जीएसटी रहेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बायो-डीजल पर जीएसटी 12 फीसद से घटाकर 5 फीसद की गई है. इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सरकार जो 75 फीसद खर्च करती है, उसे जीएसटी से पूरी तरह से बाहर रखने का फैसला किया गया है.
ऑनलाइन फूड कंपनियों पर टैक्स के मुद्दे को मंत्रियों के समूह को भेजा
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि स्विगी, जोमौटो जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों पर टैक्स के मुद्दे को मंत्रियों के समूह (GoM) के पास विचार के लिए भेजा गया है. इसपर आगे कोई फैसला किया जा सकेगा. 2 महीने का समय मंत्री समूह को दिया है, उसकी रिपोर्ट आने के बाद फैसला किया जाएगा. उन्होंने बताया कि एयरक्राफ्ट और अन्य वस्तुओं को लीज पर इंपोर्ट करने को लेकर कुछ फैसले हुए हैं, जिससे डबल टैक्सेशन की समस्या से राहत मिल सके.
वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने यूपी सरकार की ओर से रखा पक्ष
वहीं, वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक में उत्तर प्रदेश की तरफ से अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि इंफोर्समेंट और तकनीकी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए. आम आदमी पर बोझ ना पड़े. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने कोविड-19 के बाद बेहतर प्रदर्शन किया है. समय के साथ कानूनों में आवश्यक परिवर्तन स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि आम लोगों के जनजीवन को आसान बनाने के लिए नियमों एवं कानूनों में संशोधन, परिवर्तन किया जाना चाहिए.
दिल्ली और राजस्थान सरकार ने पेट्रोल-डीजल के मुद्दे पर रखा पक्ष
बैठक के बाद दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर चर्चा हुई थी. लेकिन इस पर सहमति नहीं बन पाई. वहीं अन्य राज्यों की तरफ से भी इस पर विरोध जताया गया है. सरकार राजस्व के मामले में संकट में है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर और राजस्व का संकट नहीं बढ़ाया जा सकता है.
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राजस्थान सरकार के मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि केरल हाई कोर्ट का डिसीजन था, लिहाजा पेट्रोल-डीजल को लेकर चर्चा हुई. राजस्थान ने भी इसका विरोध किया है. राज्य सरकार अभी भी फाइनेंसियल क्राइसिस से गुजर रहे हैं. GST को लेकर फाइनेंस मिनिस्टर के एजेंडा में लाया था, लेकिन राज्य तैयार नहीं थे. दिल्ली और राजस्थान ने इसको लेकर बात किया. उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने इसे एजेंडे में लाया था लेकिन कई राज्य इस बार सहमत नहीं हुए.